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By-Election In Bihar: कहीं बेटा तो कहीं बहू... उपचुनाव में परिवारवाद बन गया मुद्दा, बराबरी पर NDA और महागठबंधन

बिहार में हो रहे उपचुनावों में परिवारवाद का मुद्दा छाया हुआ है। राजद जदयू और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सभी पार्टियों ने अपने परिवार के सदस्यों को टिकट दिया है। इससे कार्यकर्ताओं में असंतोष है। बेलागंज में राजद के सुरेंद्र यादव के बाद उनके बेटे विश्वनाथ कुमार सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। रामगढ़ में राजद के जगदानंद सिंह के बेटे अजित सिंह उम्मीदवार हैं।

By Arun Ashesh Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 06 Nov 2024 04:15 PM (IST)
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जगदानंद सिंह के बेटे अजित सिंह और जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, पटना। विधानसभा की चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव में परिवारवाद पर राजनीतिक दलों की हाेशियारी जनता की पकड़ में आ गई है। परिवारवाद को बढ़ावा देने में एनडीए और महागठबंधन बराबरी पर हैं, इसलिए चुनाव प्रचार में जुटे दोनों गठबंधनों के नेता परिवारवाद पर बिना कुछ बोले हुए निकल जा रहे हैं। पिता के बाद पुत्र, बहू या पत्नी की उम्मीदवारी से दोनों गठबंधन के कार्यकर्ताओं में विक्षोभ है, प्रतिद्वंद्वी जिसे उभारने का प्रयास कर रहे हैं।

बेलागंज में 1990 से 2024 तक एक छोटी अवधि (1998-2000) को छोड़ कर राजद के सुरेंद्र यादव जनता दल और राजद के विधायक रहे। इस साल उनके सांसद बनने के बाद पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह राजद के उम्मीदवार हैं। राजद में टिकट के दावेदारों के बीच यह प्रश्न है कि इसबार विश्वनाथ चुनाव जीतते हैं तो अगले कई वर्षों तक किसी नए को अवसर नहीं मिलेगा।

राजद कार्यकर्ताओं के संशय को जदयू नेता और ग्रामीण कार्य मंत्री डॉ. अशोक चौधरी यह कह कर बल देते हैं कि जदयू को उपचुनाव में एक अवसर दीजिए। काम नहीं हुआ तो आम चुनाव में आप अलग निर्णय ले सकते हैं। हालांकि, बेलागंज में जदयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी भी परिवारवाद का ही प्रतिनिधित्व करती हैं।

मनोरमा स्वयं विधान परिषद की सदस्य रह चुकी हैं। जदयू के दावेदार भी इस आशंका से मुक्त नहीं हैं कि अगर मनोरमा चुनाव जीतती हैं तो क्षेत्र एक बार फिर परिवारवाद की भेट चढ़ जाएगा।

रामगढ़ की भी वही गति

रामगढ़ में राजद के जगदानंद सिंह के पुत्र अजित सिंह उम्मीदवार हैं। जगदानंद सिंह 2009 में सांसद बने तो उन्होंने राजद के एक कार्यकर्ता अंबिका यादव को अवसर दिया। अंबिका चुनाव जीते। 2015 में हारे तो 2020 के विस चुनाव में उन्हें अवसर नहीं मिला। जगदानंद के बड़े पुत्र सुधाकर सिंह विधायक बने। अब वह सांसद हैं, उप चुनाव हो रहा है तो इसमें उनके छोटे भाई अजित सिंह को उम्मीदवार बनाया गया।

सबसे बड़ा परिवार

इमामगंज में जीतनराम मांझी की दो बार जीत हुई। वह गया के सांसद हैं। उनकी बहू दीपा मांझी उप चुनाव में हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा की उम्मीदवार हैं। लोकसभा, विधान परिषद और विधानसभा में इस समय मोर्चा के पांच सदस्य हैं। मांझी सांसद हैं। पुत्र संतोष सुमन विधान पार्षद हैं। समधन ज्योति देवी विधायक हैं। दीपा मांझी चुनाव जीतती हैं तो संसद-विधानसभा में पार्टी के सदस्यों की संख्या छह हो जाएगी, जिनमें चार मांझी के परिवार के सदस्य और रिश्तेदार होंगे। ईमामगंज में भी मांझी को कार्यकर्ताओं की महात्वाकांक्षा से जूझना पड़ रहा है।

पति-पत्नी के बाद पुत्र

तरारी और पूर्ववर्ती पीरो विस क्षेत्र में 2000 से 2020 तक छह चुनाव हुए। चार बार नरेंद्र कुमार पांडेय ऊर्फ सुनील पांडेय चुनाव जीते। एक बार दूसरे नम्बर पर रहे। एक बार उनकी पत्नी गीता पांडेय दूसरे नम्बर पर रहीं। अभी उनके पुत्र विशाल प्रशांत भाजपा उम्मीदवार हैं। भाजपा ही नहीं, जदयू के कार्यकर्ता भी विशाल की जीत में अपना बंद भविष्य देख रहे हैं। एनडीए में यह सीट जदयू की रही है।सुनील पांडेय एक बार समता पार्टी और तीन बार जदयू के विधायक रहे हैं।

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