Move to Jagran APP

सरकार की बड़ी पहल: कम पानी व सूखे में भी हो सकेगी पैदावार, इन फसलों की खेती करने वाले किसानों को मिलेगी राहत

बिहार सरकार ने राज्य में मोटे अनाज के उत्पादन के अनुसंधान के लिए 10 कृषि विज्ञान केंद्रों को जिम्मेदारी दी है। इसके साथ ही कम पानी और सूखे की स्थिति में भी मोटे अनाज का फसल आसानी से उगाया जा सके इसके लिए 50-50 हेक्टेयर का क्लस्टर बनाया जाएगा। सरकार किसानों को क्षेत्र विशेष की मिट्टी के अनुकूल खेती के लिए प्रेरित करने की योजना बना रही है।

By Raman ShuklaEdited By: Shubham SharmaUpdated: Sun, 24 Sep 2023 07:00 PM (IST)
Hero Image
बीज उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार किसानों को दे रही अनुदान।
राज्य ब्यूरो, पटना : बिहार में पारंपरिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए अब मोटे अनाज के बीज उत्पादन बढ़ाने के लिए 50-50 हेक्टेयर का क्लस्टर बनाया जाएगा, जिससे किसानों से पीपीपी (निजी सार्वजनिक सहायता) मोड पर खेती कराने की पहल होगी।

कृषि विभाग एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर आर्गनाइजेशन) और बीज उत्पादक कंपनियों को इसके लिए आगे किया जाएगा। किसानों को जिला और क्षेत्र विशेष की मिट्टी के अनुकूल फसलों के लिए प्रेरित करने की योजना है।

मोटे अनाज की फसल के लिए अनुसंधान 

मोटे अनाज के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की जाएगी। उन्नत बीज उत्पादन के लिए कृषि विशेषज्ञों ने इस पर काम शुरू कर दिया है।

विशेषज्ञ यह देख रहे हैं कि किस जिले की मिट्टी किस फसल के लिए उपयुक्त है। इसके साथ ही कम पानी और सूखे की स्थिति में भी मोटे अनाज का फसल आसानी से उगाया जा सके।

इसमें मंडुआ (रागी) ज्वार, बाजरा, कौनी, रागी, चेना, कुटकी, सावां और कोदो शामिल हैं। वर्तमान में बिहार में मक्का को छोड़कर दूसरे मोटे अनाज की खेती काफी कम है। इसके लिए किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराने की तैयारी है।

बीज पर 50 से 80 प्रतिशत पर अनुदान

कृषि विभाग किसानों को बीज पर 50 से 80 प्रतिशत तक अनुदान का प्रविधान कर रहा है। किसानों के सहयोग से गुणवत्तापूर्ण बीज का उत्पादन किया जाएगा। पहले चरण में ज्वार, बाजरा और मडुआ आदिक के बीज किसानों में वितरण की तैयारी है।

वहीं, राज्य में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा और अनुसंधान के लिए गया जिले में 150 करोड़ की लागत से सेंटर आफ एक्सीलेंस स्थापित किया जा रहा है। इसका लाभ किसानों को होगा।

कृषि विभाग के द्वारा भूमि संरक्षण पर आवश्यकता के अनुसार अनुसंधान के लिए भी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया जाएगा।

निजी एजेंसियों और किसानों से ली जाएगी मदद

10 कृषि विज्ञान केंद्रों को मोटे अनाज का बीज उत्पादन करने की जिम्मेदारी दी गई है। केवीके में किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

इसके साथ ही किसानों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। मोटे अनाज की सरकार ब्रांडिंग करेगी। मोटे अनाज का बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए निजी एजेंसियों और किसानों से भी मदद ली जाएगी।

राज्य के दोनों कृषि विश्वविद्यालयों को आपसी समन्वय बनाकर उन्नत बीज का उत्पादन बढ़ाने के निर्देश भी दिए गए हैं।

हैदराबाद की संस्थान करेगी रिसर्च

राज्य सरकार ने मोटे अनाज के विकास कार्यक्रम के लिए तेलंगाना राज्य के अंतर्राष्ट्रीय अर्ध शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान हैदराबाद का चयन किया है।

यह संस्थान कम वर्षा में मोटे अनाज वाले जिलों की पहचान करेगी। वहीं, किस जिले में किस फसल की खेती होगी। इसकी पूरी जानकारी देगी।

संस्थान करेगी ये काम

इसके लिए गया जिले के टनकुप्पा में बीज गुणन प्रक्षेत्र और मायापुर में उत्कृष्टता केंद्र बनाया जाएगा। यह संस्थान मोटे अनाज की फसलों की कटाई, प्रखंड और ग्राम स्तर पर इकाई स्थापित करने में मदद करेगी।

ये भी पढ़ेंः बिहार में किसानों के लिए खुशखबरी! इस फल की खेती पर 45 हजार रुपए दे रही है राज्य सरकार, यहां जानें पूरी बात

इसके साथ ही राज्य का कौन सा जिला मोटे अनाज की खेती के लिए सही है। इसका भी चयन करेगी। मोटे अनाजों के प्रोसेसिंग, महिला किसानों को प्रशिक्षण, बीज सुधार और बेहतर बाजार को लेकर भी सहयोग करेगी।

ये भी पढ़ेंः किसानों के लिए खुशखबरी: मशरूम की खेती से होगी मोटी कमाई, सरकार दे रही 10 लाख; बस करना होगा ये काम

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।