Bihar Politics: मोदी-नीतीश की जोड़ी ने फिर पकड़ी रफ्तार, तेजस्वी ने भी बना लिया फ्रंटफुट पर बैटिंग का प्लान
Lok Sabha Election 2024 बिहार में पीएम मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी एक बार फिर हिट हो रही है। लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को इस जोड़ी से टकराना बड़ी चुनौती बन गई है। हालांकि तेजस्वी यादव के लिए अच्छी बात यह है कि वह लालू पुत्र की छवि से निकलकर एक परिपक्व नेता के रूप में अपनी अलग पहचान बना ली है।
सुनील राज, पटना। सुनहरे दौर के बाद अचानक आई मुसीबत से बचने के लिए लालू प्रसाद ने ढाई दशक पहले जिस राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया था, उसकी कमान अब तेजस्वी यादव के हाथ में है। लालू के बिना राजनीति के प्रथम पाठ में ही तेजस्वी को 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा।
राजद का खाता तक नहीं खुल सका। किंतु कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में राजद को उभारने का श्रेय भी मिला।
चुनौतियों के साथ फिर बिसात सज रही है। बिहार में विपक्ष की ड्राइविंग सीट पर तेजस्वी बैठे हैं, लेकिन भाजपा-जदयू के मजबूत किले को ध्वस्त करना आसान नहीं होगा।
क्या है तेजस्वी यादव का प्लस प्वॉइंट
तेजस्वी यादव के पक्ष में अच्छी बात यह है कि राजनीति में लालू पुत्र की छवि से निकलकर उन्होंने परिपक्व नेता के रूप में अपनी अलग पहचान बना ली है। कमान मिलने के बाद पार्टी की छवि भी बदलने का प्रयास किया है।
राजद अब पुरानी पार्टी नहीं रही, जो जाति समीकरण के दायरे में अपनी जमीन मजबूत करेगी। एम-वाई समीकरण पर चलने वाली पार्टी में तेजस्वी ने बाप (बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी और पुअर यानी गरीब) तो जोड़ा ही इसमें विकास का एजेंडा भी शामिल कर दिया।
तेजस्वी की 17 साल बनाम 17 साल की सियासत
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार में 17 महीने बिताने वाले राजद ने नीतीश कुमार के अलग होते ही अपना चुनावी एजेंडा तय कर लिया था। जदयू और भाजपा सरकार की घेराबंदी के लिए 17 वर्ष बनाम 17 महीने में हुए काम को राजद ने अपना आधार बनाया है।
17 महीने की महागठबंधन सरकार में हुए कामों की जानकारी बिहार में जन-जन तक पहुंचाने के लिए पार्टी ने जन-विश्वास यात्रा तक निकाली और बिहार में घूम-घूमकर यह बताया कि जितने काम 17 महीने में राजद ने करा दिए उतने काम 17 वर्ष की राजग सरकार नहीं करा पाई।
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