Sharda Sinha Death: छठ में अनुपस्थिति का अहसास और गाढ़ा कर गईं स्वर कोकिला, कई फिल्मों में भी भरा संगीत
मशहूर लोकप्रिय लोक गायिका शारदा सिन्हा का छठ पर्व के पहले दिन निधन होना शायद एक संयोग था। वह एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका थीं जिन्होंने अपने कई गीतों में लोकगीतों का मिश्रण किया था। बिहार की समृद्ध लोक परंपराओं को उसकी सीमाओं से परे ले जाने वाली और लोकप्रिय बनाने वाली शारदा सिन्हा का दिल्ली के एम्स अस्पताल में रक्त कैंसर का इलाज चल रहा था।
प्रमोद कुमार सिंह, पटना। संगीत की दुनिया में शोकगीत। उग हे सुरुजदेव, आपकी उपासिका नहीं रहीं। गाते-गाते रुला गईं। स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के जाते ही सुर, ताल, लय और राग सब जैसे रो रहे हैं। छठ गीतों की पर्याय रहीं शारदा जी नहाय-खाय के दिन ही क्या गईं, चहुंओर पहले से सुने-सुनाए जा रहे उनके गीत उनकी अनुपस्थिति का अहसास और गाढ़ा करने लगे। वे लोक में इस तरह रच बस गई हैं, नेपथ्य में उनके गीतों के बिना सूर्यदेव को अर्घ्य कभी पूरा नहीं होगा।
भक्ति रस उनके पोर-पोर में बसा
शारदा सिन्हा के व्यक्तित्व में कई भाषाओं का समाहार था। मैथिली, भोजपुरी, मगही तीनों भाषाओं को उन्होंने साधा और गाया। यही कारण है कि भौगोलिक सीमाओं को लांघ व्यापक क्षेत्र में उनकी व्याप्ति हुई। विद्यापति के गीत-जय-जय भैरवी असुर भयावनि हो या जगदंबा घर में दीयरा बार अइनीं हो या केलवा के पात पर उग हे सुरुजदेव...दशार्ते हैं कि भक्ति रस उनके पोर-पोर में बसा था। सरस्वती उनके कंठ में वास करती थी।
हारमोनियम पर थिरकतीं अंगुलियां
मैथिल संस्कृति में पगी शारदा जी जब भोजपुरी में गाती थीं तो नहीं लगता, वह भोजपुरी भाषी नहीं हैं। मुंह में पान की लाली, सामने हारमोनियम पर थिरकतीं अंगुलियां और कंठ से गूंजते गीत उनके संपूर्ण व्यक्तित्व को दिव्य आभा प्रदान करते थे। एक साक्षात्कार के दौरान इस दिव्य देवी के दर्शन की वह छवि आज पुन: साकार हो उठी। माथे पर पल्लू डाले साक्षात सरस्वती लग रही थीं। वाणी में माधुर्य ऐसा, जैसे शहद टपकता हो।कई फिल्मों में उन्होंने गीत गाए
उनकी ख्याति ऐसी फैली की लोक से लेकर फिल्मी दुनिया तक छा गईं। मैंने प्यार किया के गीत-कहे तो से सजना...काफी लोकप्रिय हुआ था। इसके अलावा गैंग आफ वासेपुर का गीत-तार बिजली से पतले हमार पिया, चारफुटिया छोकरे जैसे कई फिल्मों में उन्होंने गीत गाए। एक से बढ़कर एक। जैसी सादगीपूर्ण जिंदगी, वैसे ही उनके गीत। कहीं भी अश्लीलता नहीं। गाईं तो बस गाती ही चली गईं।
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