नाग को छोड़ पहले किसे मारने को कह रहे पूर्व सांसद पप्पू यादव, सीएम नीतीश के संबंध में क्या बोले
जाप के संरक्षक और पूर्व सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने एक बार फिर बेबाक बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि शराबबंदी करनी है तो पूरे देश में करिए। देश के अन्य हिस्सों के लिए अलग और बिहार के लिए अलग कानून कैसे हो सकता है।
By Vyas ChandraEdited By: Updated: Sat, 26 Feb 2022 04:45 PM (IST)
पटना, आनलाइन डेस्क। जाप के संरक्षक और पूर्व सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने कहा है कि वे सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की सराहना करते हैं। लेकिन उनकी नीति ठीक नहीं है। शराब तो पूरी दुनियां पी रही है। देश के लिए कानून अलग और बिहार के लिए अलग कैसे हो सकता है। पूरे देश में शराब बंद करिए न। शराबबंदी के लिए कभी हेलीकाप्टर, कभी शिक्षक, इन सबको वे सही नहीं मानते। बिहार की जो मूल जरूरत है उससे ध्यान भटकाया जा रहा है। वे शनिवार को एक मीडियाकर्मी से बात करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने यह भी कह दिया कि कोई ऐसा पुलिस वाला है क्या जो शराब नहीं पीता और शराब के धंधे में उसका शेयर नहीं है।
नीतीश कुमार का करते हैं सम्मान पप्पू यादव ने कहा कि बिहार के सीएम बस पदाधिकारियों की बातें आंख मूंदकर मान लेते हैं। जो पैसा मेडिकल में लगाना चाहिए, वह हेलीकाप्टर में लगा रहे हैं। किसी अधिकारी ने कह दिया तो हेलीकाप्टर का उपयोग शुरू कर दिया। यह आत्ममुग्धता है। बिहार की जरूरत है अपराधी, माफिया से मुक्ति, रोजगार, अर्थव्यवस्था, बेहतर जीडीपी। लेकिन इनपर ध्यान ही नहीं है। पप्पू यादव ने कहा कि वन नेशन वन हेल्थ, वन नेशन, वन एजुकेशन की बात होनी चाहिए। लेकिन यहां शिक्षकों का महत्व ही खत्म कर दिया गया।
कोई पुलिस वाला है क्या जो शराब नहीं पीता...क्या कोई पुलिसवाला है जो शराब नहीं पीता और उसका शराब के धंधे में शेयर नहीं है। कोई है तो बता दीजिए। नेता को गाेबर पर पैसा मिलेगा तो उठा लेगा। नेता छोड़ता है क्या किसी को। नेता तो बारूद का ढेर है। एक ओर नाग मिले और एक ओर नेता तो नाग को छोड़ दीजिए, पहले नेता को थकूचिए। मानवता और इंसानियत के लिए सबसे बड़ा कलंक यही लोग हैं। बिहार की दुर्गति के लिए सिस्टम चलाने वाले नेता ही हैं। पूर्व सांसद ने कहा कि आज माफिया में डर नहीं है। अपराध चरम पर है। इसके पीछे ये सिस्टम और नेता ही जिम्मेदार हैं।इसलिए शराब पर सबसे रायशुमारी होनी चाहिए। 14 करोड़ जनता से पूछना चाहिए। समाज के हर वर्ग से पूछना चाहिए। व्यापक मंथन होना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने भी कुछ प्वाइंट आउट किए हैं। व्यापक बहस की जरूरत है। जिद पर अड़ने की जरूरत नहीं है। मूल चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है।
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