लालू प्रसाद और तेजस्वी के साथ आएंगे पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव, राजद में होगा एलजेडी का विलय
बिहार की राजनीति में एक नई तस्वीर दिखने वाली है। राष्ट्रीय जनता दल में पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की पार्टी का विलय होने वाला है। शरद यादव ने स्वयं इसकी घोषणा की है। कहा है कि जनता परिवार को एकजुट करेंगे।
By Vyas ChandraEdited By: Updated: Fri, 18 Mar 2022 08:53 AM (IST)
पटना, आनलाइन डेस्क। बिहार की राजनीति में एक और बदलाव दिख सकता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव (Ex Union Minister Sharad Yadav) की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का विलय राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में होगा। यह जानकारी शरद यादव ने खुद पत्र जारी कर दी है। उन्होंने बताया है कि दिल्ली स्थित उनके सात तुगलक रोड आवास पर 20 मार्च को इसके लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए बिखरे हुए जनता परिवार को साथ लाने के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया है। बता दें कि पूर्व राज्यसभा सदस्य शरद यादव को अदालत 15 दिनों में बंग्ला खाली करने का आदेश मिल चुका है। बता दें कि शरद यादव से कुछ दिनों पहले तेजस्वी यादव ने मुलाकात की थी। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी उनसे मिले थे। मांझी ने मांग कर दी थी कि राजद की ओर से उन्हें राज्यसभा भेजा जाए।
मजबूत विपक्ष की ओर ताक रही जनता बयान जारी कर उन्होंने एलजेडी के आरजेडी में विलय के निर्णय पर विस्तार से बात रखी है। कहा है कि वर्तमान की केंद्र सरकार पूरी तरह फेल है। जनता यह मानती भी है लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं है। लोग मजबूत विपक्ष के इंतजार में हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी की भी इशारों में चर्चा की है। शरद यादव ने 2018 में नीतीश कुमार से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया था।
बिखराव के कारण कमजोर पड़ा जनता परिवार शरद यादव ने बयान में कहा है कि अपने स्वास्थ्य की वजह से प्रयासों को काफी समय तक आगे नहीं बढ़ा सका। एक समय था जब 1989 में अकेले जनता दल के पास 143 सीटें थी। मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद जनता दल परिवार की विभिन्न सरकारों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसका असर भी दिखा। देश में वंचित वर्गों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में काफी उत्थान हुआ। लेकिन जैसे-जैसे जनता दल परिवार बिखरता गया, वैसे-वैसे देखा गया कि सत्ता में रहने वाली सरकारों ने संविधान प्रदत्त आरक्षण नीति के कार्यान्वयन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया।
लालू के साथ लड़ी वंचितों की लड़ाईयादव ने अपने बयान में यह भी कहा है कि लालू प्रसाद और उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान वंचितों के जो लड़ाई लड़ी उसके फल खाने की गति बहुत धीमी हो गई है। यूं कहें जनता दल परिवार बिखरने के बाद न केवल वंचित समाज को दुख सहने पड़े बल्कि समाज का हर वर्ग इस समय दुखी और परेशान है। अगर देश में वर्तमान शासन की बात करें तो उनकी पार्टी का उदय धीरे-धीरे और लगातार इस तथ्य के मद्देनजर भी देखा जाता है कि जनता परिवार लगातार बिखरा हुआ है। इसलिए लोगों की उस तरह की सेवा नहीं कर सका, जैसी एकजुट होकर कर सकता था। सभी मोर्चे पर विफलता के बावजूद वर्तमान शासन की चार राज्यों में जीत हुई है। एक और पार्टी उभरी है जिसने तत्कालीन जनता दल और कांग्रेस का वोट शेयर हथिया लिया है। लेकिन भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में मजबूत सरकार के साथ मजबूत विपक्ष का होना भी जरूरी है। आज जनता भले खुश नहीं है लेकिन उनके पास विकल्प भी नहीं है। क्योंकि हम सब बिखरे हुए हैं। इसका फायदा सत्ताधारी दल को हो रहा है।
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