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आंखों के सामने एक-एक कर गंगा में डूबते रहे पति, दो बेटे और बहू, दूसरे दिन भी नहीं मिला एक भी शव

गंगा स्नान करने गए एक ही परिवार के चार लोग बुधवार को डूब गए थे। श्राद्धकर्म के बाद शुद्धिकरण स्नान करने आया था शेखपुरा जिले के रजौरा गांव का परिवार। मृतकों में पिता पुत्र-पुत्री व भतीजे की पत्‍नी शामिल। ----------

By Vyas ChandraEdited By: Updated: Thu, 28 Jul 2022 11:25 AM (IST)
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घटना के समय डूबते लोगों की तस्‍वीर। वीडियो ग्रैब
बाढ़ (पटना), संवाद सूत्र। उमानाथ मंदिर घाट पर शेखपुरा जिले के बरबीघा के रजौरा से शुद्धिकरण स्नान के लिए आए एक ही परिवार के चार लोग बुधवार को गंगा में डूब गए। गुरुवार तक उनका पता नहीं चला है। तलाशी अभियान जारी है। डूबने वालों में पिता, इकलौते पुत्र व पुत्री व भतीजे की पत्‍नी  शामिल हैं। घाट पर खड़ी महिला अपने पति और दो बेटों को डूबते देखती रह गई। मृतकों की पहचान 40 वर्षीय मुकेश (पिता), 16 साल की सपना (पुत्री), 14 वर्षीय हर्ष (पुत्र) व 26 वर्षीया आभा (भतीजे की पत्नी) के रूप में की गई है।  

मां की तेरहवीं पर आए थे गंगा स्‍नान करने 

बताया गया कि मुकेश की मां का निधन हो गया था। सोमवार को तेरहवीं थी। बुधवार को गंगा में शुद्धिकरण स्नान के लिए परिवार के कुल 22 सदस्य वाहन रिजर्व करके बाढ़ के उमानाथ मंदिर आए थे। घाट पर स्नान के दौरान एक-एक कर चारों डूबते रहे परंतु किसी की हिम्मत नहीं हुई कि गंगा की तेज धारा में कूद कर उनकी जान बचाने की कोशिश भी करे। एक साथ चार लोगों के डूबने की खबर सुन थोड़ी ही देर में घाट पर हजारों की भीड़ जमा हो गई। स्वजन बदहवास दिखे। किसी के कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे। विवशता में पूरा परिवार रोये जा रहा था। 

पुत्री को बचाने में पिता, पुत्र व भतीजे की पत्नी डूबीं 

मुकेश कुमार के भाई प्रमोद कुमार ने बताया कि स्नान के दौरान तेज धार की चपेट में आकर मुकेश की पुत्री सपना डूबने लगी। यह देख पिता मुकेश, भाई हर्ष व चचेरी भाभी आभा उसे बचाने के लिए आगे बढ़ीं। परंतु ये तीनों भी गंगा की तेज धार से बाहर नहीं निकल सके और एक-एक कर सभी नदी में समा गए।  उमानाथ घाट क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध घाट है। यहां पटना, नालंदा, नवादा व शेखपुरा जिले के काफी लोग विभिन्न मौकों पर गंगा स्नान करने आते हैैं। परंतु यहां घाट पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैैं। गहरे पानी में जाने से रोकने को बैरिकेडिंग भी नहीं है। न ही गोताखोरों की स्थाई तैनाती है। इस कारण आए दिन यहां डूबने की घटनाएं होती रहती हैैं। बीते तीन माह में करीब दो दर्जन लोग डूब चुके हैैं। 

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