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यहां रूठकर दूर चली गई है गंगा, कोई तो मनाकर लाओ उसे

भागलपुर में जहां गंगा अपनी धार से कलकल करती हुई बहती थी वहां आज रेत की वारानी छायी हुई है। यहां के घाटों से गंगा रूठकर बहुत दूर चली गई है। उसे मनाकर वापस लाना जरूरी है।

By Kajal KumariEdited By: Updated: Thu, 01 Mar 2018 05:06 PM (IST)
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यहां रूठकर दूर चली गई है गंगा, कोई तो मनाकर लाओ उसे
भागलपुर [माधबेंद्र]। रेत भर आई है इसके गहरे पानी की जगह,  आंख भर आती है अब तो इस नदी को देखकर। पर आंसुओं से गंगा की धारा जोड़ी नहीं जा सकती है। सदियों से भागलपुर शहर की पहचान रही गंगा अब इसका साथ छोड़ चुकी है। शहर के विभिन्न घाटों पर अब चंपा नदी का पानी ही रह गया है, जिसे यहां के लोग चंपा नाला कहते हैं। 

उथली हो चुकी है गंगा की पेटी 

गंगा की पेटी उथली हो चुकी है। घाटी के बीच के हिस्से में गाद के ऊंचे टीले बन गए हैं। ये टीले इतने विशाल हैं कि बरसात के समय भी दिखाई देते हैं जबसारा इलाका जलमग्न हो जाता है। गाद के ये टीले तेजी गंगा को ग्रसने पर आमादा हैं। नदी की चौड़ाई सिमट रही है। 

जहां कलकल करता था पानी वहां रेत की वीरानी 

विक्रमशिला सेतु के समानांतर गंगा की एक संपर्क शाखा बहती थी। इसी संपर्क धारा के सहारे नवगछिया की तरफ से बहने वाली गंगा की मुख्य शाखा का पानी बरारी घाट को तृप्त करता था। यह संपर्क शाखा सूख चुकी है। बरारी घाट से करीब दो सौ मीटर आगे बढऩे के बाद इसके हिस्से में रेत की चादर बिछ गई है। विक्रमशिला सेतु से गुजरते समय गंगा का यह वीरान हिस्सा बरबस ही ध्यान खींच लेता है। ऐसा लगता है मानों कभी लय में बहने वाली प्रकृति खंडहर में बदल गई हो। 

विक्रमशिला सेतु के सामांतर गंगा की एक संपर्क शाखा बहती थी। इसी संपर्क धारा के सहारे नवगछिया की तरफ से बहने वाली गंगा की मुख्य शाखा का पानी बरारी घाट को तृप्त करता था। यह संपर्क शाखा सूख चुकी है। बरारी घाट से करीब दो सौ मीटर आगे बढऩे के बाद इसके हिस्से में रेत की चादर बिछ गई है।

विक्रमशिला सेतु से गुजरते समय गंगा का यह वीरान हिस्सा बरबस ही ध्यान खंींच लेता है। ऐसा लगता है मानों कभी लय में बहने वाली प्रकृति खंडहर में बदल गई हो। 

बाधित हुआ राष्ट्रीय जल मार्ग 

हल्दिया से इलाहाबाद तक गंगा के रूट को राष्ट्रीय जल मार्ग घोषित किया गया है। विक्रमशिला सेतु के उत्तरी हिस्से में पायों के बीच की दुरियां कम रहने के कारण उस ओर से बड़े नावों का गुजरना संभव नहीं रह गया है। नौवहन के लिए पुल का दक्षिणी छोर ही उपयुक्त है। 

हल्दिया से आने वाले जहाज दक्षिणी हिस्से के पायों के बीच से पुल को पार करते हुए करीब पांच सौ मीटर तक सेतु के सामांतर गंगा की संपर्क धारा से गुजरते थे। इसके बाद मुख्य धारा होते हुए गंतव्य की ओर निकल जाते थे। संपर्क मार्ग सूख जाने के कारण परिचालन अवरुद्ध हो चुका है। 

ड्रेजिंग के सारे प्रयास विफल 

जल मार्ग को सुचारू करने के लिए ड्रेजिंग के सारे प्रयास विफल साबित हो गए हैं। जिधर से भी रास्ता बनने की कोशिश की गई, धाराएं सूखती चली गईं। सबसे पहले पुल के सामांतर बहने वाली संपर्क धारा को ड्रेजिंग मशीन के सहारे गहरा और चौड़ा किया गया। अभी काम पूरा भी नहीं हुआ था कि धारा को रेत ने ग्रस लिया। 

इसके बाद सेतु के मध्य हिस्से के पायों के बीच से एक शाखा को निकालने का प्रयास किया गया। इसके लिए मुख्य धारा में ड्रेजिंग शुरू की गई, लेकिन लगातार पानी घटने के कारण काम बीच में ही छोडऩा पड़ा। 

हर साल बाढ़ में तबाही 

गंगा की पेटी में गाद भर आने के कारण इसकी जल ग्रहण क्षमता कम हो गई है। बरसात के समय जलस्तर में बढ़ोतरी को गंगा लंबे समय तक अपनी आगोश में सहेजकर नहीं रख पाती। पानी बढऩे के साथी ही गंगा के दरवाजे दोनों किनारों की तरफ खुल जाते हैं और बाढ़ का पानी आसपास के इलाकों को डूबो देता है। पिछले कुछ सालों से बाढ़ का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है जबकि अन्य दिनों में गंगा जल संकट का शिकार बनी रहती है। 

जल संकट की ओर बढ़ रहा है भागलपुर शहर 

भागलपुर शहर जलसंकट की ओर बढ़ रहा है। गांगा के साथ छोडऩे के साथ ही यहां का भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। पहले जहां 60 से 70 फीट नीचे पानी मिल जाता था अब 125 फीट तक पाइप डालने की जरूरत पड़ती है। भूजल पानी की गुणवत्ता में भी क्षरण हुआ है। 

बरारी वाटर वक्र्स के जरिए सौ साल से अधिक समय से शहरवासियों को गंगा का पानी शोधित कर सप्लाई किया जा रहा है। अब गंगा का पानी नहीं रहने के कारण शहर वासियों को नाले के पानी की ही आपूर्ति की जा रही है। यह स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। पिछले दिनों में पानी को लेकर नगर के पार्षद और संगठनों ने खूब हायतौबा मचाई थी, लेकिन परिणाम सिफर निकला।

खटाई में पड़ सकती है जलापूर्ति योजना 

शहर के लोगों के लिए जलापूर्ति की नई योजना बनाई है। तकरीबन साढ़े पांच सौ करोड़ की इस योजना में गंगा के किनारे प्लांट लगाया जाएगा और शहर के लोगों को पेयजल की आपूर्ति की जाएगी। गंगा के भागलपुर शहर से दूर जाने के कारण नए सिरे से योजना बनानी पड़ सकती है।

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