Gau Palan Yojana यदि आपके पास थोड़ी सी भी जमीन है तो गो-पालन कर ज्यादा कमाई कर सकते हैं। इस क्षेत्र में बेरोजगार युवक-युवतियों को अधिक अवसर है। इसमें सरकार 50 से 75 प्रतिशत तक अनुदान देगी। इसके तहत आप दो चार 15 और 20 उन्नत नस्ल के दुधारू मवेशी की डेयरी की स्थापना के लिए अनुदान ले सकते हैं।
पिंटू कुमार,
पटना। Patna News: यदि आपके पास 15 से 30 डिसमिल भी जमीन है तो गो-पालन कर परंपरागत कृषि से ज्यादा कमाई कर सकते हैं। इसके लिए बेरोजगार युवक-युवतियों को सरकार 50 से 75 प्रतिशत तक अनुदान देगी। समग्र गव्य विकास योजना के तहत दो, चार, 15 और 20 उन्नत नस्ल के दुधारू मवेशी की डेयरी की स्थापना के लिए अनुदान ले सकते हैं।
इसके लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 4848.248 लाख रुपये की स्वीकृति दे दी गई है। योजना का लाभ लेने के लिए 15 अगस्त से आनलाइन आवेदन किया जा सकेगा। आवेदकों का चयन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा। इस योजना के तहत पूरे प्रदेश में 3583 इकाई लगायी जानी हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में 3355 लोगों को इस योजना का लाभ दिया गया था।
कैसे करें आवेदन
योजना का लाभ लेने के लिए 15 अगस्त से गव्य विकास निदेशालय की वेबसाईट पर आनलाइन आवेदन कर सकेंगे। पिछले तीन वर्षों में आनलाइन प्रोप्त आवेदनों में से वैसे आवेदक जिन्हें योजना का लाभ प्राप्त नहीं हो सका, वैसे आवेदकों को प्राथमिकता के आधार पर वित्तीय वर्ष 2024-25 में योजाना का लाभ ले सकेंगे। इस योजना के लाभुकों की उम्र 55 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
कितनी होनी चाहिए जमीन
योजना के तहत चार उन्नत नस्ल के दुधारू मवेशी की इकाई की स्थापना के लिए कम से कम 15 डिसमिल, 15 और 20 उन्नत नस्ल के दुधारू मवेशी, बाछी-हिफर की इकाई की स्थापना के लिए कम से कम 30 डिसमिल जमीन या लीज की जमीन होनी चाहिए ताकि वे हरा चारा का उत्पादन भी कर सके।
इकाई की लागत और अनुदान
दो दुधारू मवेशी की इकाई लागत 1,74,000 रुपये है। चार दुधारू मवेशी के लिए इकाई लागत 3,90,400 रुपये है। 15 दुधारू मवेशी की इकाई लागत 15,34,000 रुपये है। 20 दुधारू मवेशी की इकाई लागत 20,22,000 रुपये है।
सामान्य वर्ग को 50 प्रतिशत जबकि अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को कुल लागत का 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इकाई लगाने के लिए सामान्य वर्ग को कुल लागत का 10 प्रतिशत राशि और अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को कुल लागत का पांच प्रतिशत राशि देना होगा।
प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने के साथ-साथ स्वरोजगार के अतिरिक्त अवसर सृजित करने के लिए पशु पालन विभाग की ओर से समग्र गव्य विकास योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना से प्रदेश में दुधारू पशुओं की संख्या में वृद्धि होगी। सिर्फ यही नहीं प्रदेश के सभी व्यक्तियों को दुग्ध के रूप में पौष्टिक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
- संजय कुमार, निदेशक डेयरी
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