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Car Bike Insurance Claim: सामान्य बीमा कंपनियां ब्याज सहित दावे का भुगतान करेंगी, नहीं तो जाना पड़ेगा जेल

सामान्य बीमा कंपनियों को लेकर जिला उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। अब बीमा कंपनियों को ब्याज सहित दावे का भुगतना करना होगा। इसके अलावा दावेदार को हर्जाना भी देना पड़ सकता है। अगर आदेश की अवहेलना की गई तो एक लाख जुर्माना और तीन वर्ष कारावास की सजा का प्रविधान है। इंश्योरेंस के दो मामलों का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया गया।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 05 Sep 2024 07:16 PM (IST)
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जनरल इंश्योरेंस को 45 दिनों के भीतर इतनी ही मात्रा में भुगतान का आदेश हुआ।
राज्य ब्यूरो, पटना। कार और ऑटो-रिक्शा की चोरी से संबंधित दो प्रकरणों में बीमा कंपनियां दावे के भुगतान से आनाकानी कर रही थीं। तथ्यों के आकलन व तर्कों की विवेचना के बाद जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष प्रेम रंजन मिश्रा और सदस्य रजनीश कुमार ने दोनों मामलों में ब्याज सहित भुगतान का निर्देश दिया है।

इसके अतिरिक्त, हर्जाना भी देना है। आदेश की अवहेलना करने पर शिकायतकर्ता उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-71 और 72 के तहत कार्रवाई का आग्रह कर सकते हैं। उसमें एक लाख जुर्माना और तीन वर्ष कारावास की सजा का प्रविधान है।

बीमित राशि के साथ देना होगा हर्जाना भी

अमित कुमार ने 24 अगस्त, 2012 को 6.5 लाख में इंडिगो कार खरीदी। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 23 अगस्त, 2013 तक के लिए उसका बीमा कराया। पटना के सीडीए कॉलोनी में किराये के मकान के सामने से 01 नवंबर, 2012 को उनकी कार चोरी हो गई।

शास्त्रीनगर थाना में प्राथमिकी के साथ उन्होंने बीमा कंपनी को सूचित कर दिया। खुले क्षेत्र में कार को पार्क किए जाने का बहाना बनाकर बीमा कंपनी ने उन्हें टरका दिया। कानूनी नोटिस के बाद भी दावे का सेटलमेंट नहीं हुआ। अंतत: अमित आयोग की शरण में पहुंचे।

आयोग ने पाया कि प्रापर केयरिंग दावे को निरस्त करने का एक बहाना भर है। आयोग ने 12 प्रतिशत ब्याज के साथ बीमित राशि (551068 रुपये) के भुगतान का निर्देश दिया। केस दायर होने की तारीख (03 सितंबर, 2013) से ब्याज की गणना होगी। इसके अलावा मानसिक तनाव के एवज में 50000 और कानूनी प्रक्रिया के लिए 20000 रुपये हर्जाना के रूप में देना होगा। 45 दिन के भीतर भुगतान नहीं करने पर 10000 रुपये अतिरिक्त देने होंगे।

सूचना में देरी पर बीमित राशि का आधा होगा भुगतान

दानापुर के शकील ने अपनी आटो-रिक्शा का बीमा नेशनल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से कराया था। पटना में बोरिंग रोड से सटी एक गली में 17 जून, 2015 की रात आटो पार्क कर ड्राइवर सोनू स्वजनों के साथ वैष्णो देवी चला गया। वापस आने पर सात जुलाई को उसे आटो वहां नहीं मिला। कुछ विलंब से उसने शकील को सूचना दी। 10 जुलाई को चोरी की प्राथमिकी हुई। उसके बाद बीमा कंपनी को सूचना दी गई।

शकील चक्कर लगाते रहे, लेकिन सूचना देने में देरी का हवाला देकर बीमा कंपनी ने पांच अप्रैल, 2016 को भुगतान से मना कर दिया। थक-हार कर शकील आयोग पहुंचे।

तथ्यों व तर्कों की विवेचना के बाद आयोग ने पाया कि पुलिस को तीन दिन और बीमा कंपनी को सात दिन देरी से सूचना दी गई। बीमा की शर्तें आंशिक रूप से पूरी नहीं हुई। ओरिएंटल इंश्योरेंस बनाम ब्रह्मानंद जवाडी मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का निर्णय है कि सूचना में देरी पर बीमित राशि का 50 प्रतिशत दावा बनता है।

जनरल इंश्योरेंस को 45 दिनों के भीतर इतनी ही मात्रा में भुगतान का आदेश हुआ। मामला दर्ज होने की तिथि (12 मई, 2016) से छह प्रतिशत ब्याज भी जोड़ा जाएगा। भुगतान में देरी पर पांच हजार रुपये जुर्माना देना होगा।

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