पटना में अब खूब खाइए आंध्र प्रदेश की मछलियां, बिहार सरकार ने हटा लिया है बैन
पटना में मछली प्रेमियों के लिए बड़ी खबर है। आंध्र प्रदेश से आने वाली मछलियों पर लगी रोक को बिहार सरकार ने हटा लिया है। अब पटना में आंध्र प्रदेश की मछलियां बिकने लगी हैं।
By Rajesh ThakurEdited By: Updated: Thu, 31 Jan 2019 11:43 AM (IST)
पटना [राज्य ब्यूरो]। पटना शहर में आंध्र प्रदेश से आयातित मछलियां आज गुरुवार से बिकने लगी है। बिहार से आंध्र प्रदेश गई हाई लेवल टीम काे वहां मछलियों में कैंसरकारक फॉर्मलिन नहीं मिला। विदित हो कि आंध्र प्रदेश से आयातित मछलियों में फॉर्मलिन की पुष्टि होने के बाद ही उनकी खरीद-बिक्री से लेकर परिवहन और भंडारण तक पर सरकार ने 14 जनवरी को अगले 15 दिनों तक के लिए रोक लगा दी थी। यह डेडलाइन मंगलवार को समाप्त हो गई। अब सरकार कह रही है कि यह प्रतिबंध जागरूकता के लिए लगाया गया था, जिसकी डेडलाइन अब खत्म हो गई है।
यह है मामला
स्वास्थ्य विभाग ने अक्टूबर महीने में पटना शहर के 10 अलग-अलग स्थानों से मछलियों के नमूने लेकर जांच कराई गई थी। सात नमूनों में फॉर्मलिन पाया गया था, जबकि तीन नमूनों में मरकरी, लेड और दूसरे खतरनाक केमिकल पाए गए थे। केंद्रीय जांच लैब की रिपोर्ट मिलने के बाद 14 जनवरी को पटना नगर निगम क्षेत्र में आंध्रप्रदेश से आने वाली मछलियों की खरीद-बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
स्वास्थ्य सचिव ने कही ये बात
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बुधवार को बताया कि जागरूकता के लिए आंध्र प्रदेश की मछलियों का कारोबार प्रतिबंधित किया गया था। इसकी डेडलाइन अब समाप्त हो गई है। प्रतिबंध को आगे नहीं बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि पशुपालन एवं मत्स्य विभाग की सचिव डॉ. एन विजयलक्ष्मी और निदेशक निषाद अहमद के नेतृत्व में एक टीम फॉर्मलिन की जांच के लिए आंध्र प्रदेश गई थी। फॉर्मलिन से जुड़े एक प्रश्न पर स्वास्थ्य के प्रधान सचिव ने कहा कि फॉर्मलिन निश्चित तौर पर हानिकारक है। प्रतिबंध का मकसद लोगों को जागरूक करना था। उन्होंने कहा कि अब रिपोर्ट आने दें, इसके बाद फैसला होगा कि सरकार को आगे क्या करना है।
मछलियों में नहीं मिले फॉर्मलिन के साक्ष्य
मछलियों की जांच को आंध्र प्रदेश गई बिहार की उच्च स्तरीय टीम को वहां जांच के दौरान मछलियों में फॉर्मलिन के प्रयोग से जुड़े कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। इस टीम का नेतृत्व पशुपालन एवं मत्स्य सचिव डॉ. एन विजयलक्ष्मी कर रही थीं। टीम में चार अन्य सदस्य भी थे। जांच दल में शामिल पशुपालन निदेशक (मत्स्य) निषाद अहमद ने बताया कि जांच दल ने आंध्रप्रदेश में कई स्तरों पर जांच की और अधिकारियों के साथ बैठक भी की। प्रारंभिक जांच में मछलियों में फॉर्मलिन नहीं पाया गया है। जांच में यह बात सामने आई कि आंध्र प्रदेश से बिहार भेजी जाने वाली मछलियों को विशेष तरीके से बर्फ और भूसा मिलाकर पैक किया जाता है। तरीका पूरी तरह सुरक्षित है।
मछलियां साढ़े तीन दिन की अवधि में आंध्र से बिहार पहुंचती हैं। उन्होंने बताया आंध्र प्रदेश में फॉर्मलिन के प्रयोग पर नजर रखने के लिए विशेष टीम भी है। जांच टीम ने आंध्रप्रदेश सरकार को कई सुझाव दिए हैं, जिनसे बिहार सरकार को अवगत कराया जाएगा।
यह सवाल अभी तक अनुत्तरित
जो भी हो, बिहार में मछलियों में सरकारी जांच में ही फॉर्मलिन मिले थे। संभव है कि उसे आंध्र प्रदेश व बिहार के बीच मिलाया जाता रहा हो। ऐसे में यह कहना कि जागरूकता के लिए प्रतिबंध लगाया गया था, सवालों के घेरे में है। प्रतिबंध तो उठा लिया गया है, लेकिन यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है कि बिहार में मछलियों में मिला फॉर्मलिन अाखिर आया कहां से था?
यह है मामला
स्वास्थ्य विभाग ने अक्टूबर महीने में पटना शहर के 10 अलग-अलग स्थानों से मछलियों के नमूने लेकर जांच कराई गई थी। सात नमूनों में फॉर्मलिन पाया गया था, जबकि तीन नमूनों में मरकरी, लेड और दूसरे खतरनाक केमिकल पाए गए थे। केंद्रीय जांच लैब की रिपोर्ट मिलने के बाद 14 जनवरी को पटना नगर निगम क्षेत्र में आंध्रप्रदेश से आने वाली मछलियों की खरीद-बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
स्वास्थ्य सचिव ने कही ये बात
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बुधवार को बताया कि जागरूकता के लिए आंध्र प्रदेश की मछलियों का कारोबार प्रतिबंधित किया गया था। इसकी डेडलाइन अब समाप्त हो गई है। प्रतिबंध को आगे नहीं बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि पशुपालन एवं मत्स्य विभाग की सचिव डॉ. एन विजयलक्ष्मी और निदेशक निषाद अहमद के नेतृत्व में एक टीम फॉर्मलिन की जांच के लिए आंध्र प्रदेश गई थी। फॉर्मलिन से जुड़े एक प्रश्न पर स्वास्थ्य के प्रधान सचिव ने कहा कि फॉर्मलिन निश्चित तौर पर हानिकारक है। प्रतिबंध का मकसद लोगों को जागरूक करना था। उन्होंने कहा कि अब रिपोर्ट आने दें, इसके बाद फैसला होगा कि सरकार को आगे क्या करना है।
मछलियों में नहीं मिले फॉर्मलिन के साक्ष्य
मछलियों की जांच को आंध्र प्रदेश गई बिहार की उच्च स्तरीय टीम को वहां जांच के दौरान मछलियों में फॉर्मलिन के प्रयोग से जुड़े कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। इस टीम का नेतृत्व पशुपालन एवं मत्स्य सचिव डॉ. एन विजयलक्ष्मी कर रही थीं। टीम में चार अन्य सदस्य भी थे। जांच दल में शामिल पशुपालन निदेशक (मत्स्य) निषाद अहमद ने बताया कि जांच दल ने आंध्रप्रदेश में कई स्तरों पर जांच की और अधिकारियों के साथ बैठक भी की। प्रारंभिक जांच में मछलियों में फॉर्मलिन नहीं पाया गया है। जांच में यह बात सामने आई कि आंध्र प्रदेश से बिहार भेजी जाने वाली मछलियों को विशेष तरीके से बर्फ और भूसा मिलाकर पैक किया जाता है। तरीका पूरी तरह सुरक्षित है।
मछलियां साढ़े तीन दिन की अवधि में आंध्र से बिहार पहुंचती हैं। उन्होंने बताया आंध्र प्रदेश में फॉर्मलिन के प्रयोग पर नजर रखने के लिए विशेष टीम भी है। जांच टीम ने आंध्रप्रदेश सरकार को कई सुझाव दिए हैं, जिनसे बिहार सरकार को अवगत कराया जाएगा।
यह सवाल अभी तक अनुत्तरित
जो भी हो, बिहार में मछलियों में सरकारी जांच में ही फॉर्मलिन मिले थे। संभव है कि उसे आंध्र प्रदेश व बिहार के बीच मिलाया जाता रहा हो। ऐसे में यह कहना कि जागरूकता के लिए प्रतिबंध लगाया गया था, सवालों के घेरे में है। प्रतिबंध तो उठा लिया गया है, लेकिन यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है कि बिहार में मछलियों में मिला फॉर्मलिन अाखिर आया कहां से था?
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