Bihar Politics: बिहार की वो 6 सीटें, जहां पासवान और रविदास का है दबदबा, PM Modi मारेंगे बाजी या Lalu करेंगे खेला?
बिहार के चुनाव में जातियां सबसे प्रभावी कारक हैं। सवर्ण पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों में विभाजित राजनीति की विशेषता यह है कि सभी सामाजिक समूहों की खास जातियों को ही सांसद या विधायक बनने का अवसर मिलता है। राज्य में लोकसभा की छह सीटें अनुसूचित जातियों के लिए सुरक्षित हैं। सभी प्रमुख दलों के कैंडिडेट की घोषणा हो चुकी है।
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में लोकसभा की छह सीटें अनुसूचित जातियों के लिए सुरक्षित हैं। सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है। इन सीटों पर प्रमुख दो गठबंधन-राजग और महागठबंधन के 12 उम्मीदवार हैं। इनमें पासवान और रविदास जाति के उम्मीदवार बराबरी पर हैं।
अनुसूचित जाति की अन्य 20 जातियों से सिर्फ तीन उम्मीदवार हैं।12 में पांच पासवान और पांच रविदास हैं। मांझी और पासी एक-एक हैं।
सुपौल में राजद का नया प्रयोग
इस लोकसभा चुनाव में राजद ने नया प्रयोग किया है। उसने सुपौल से अनुसूचित जाति के चंद्रहांस चौपाल को उम्मीदवार बनाया है। सुपौल सामान्य सीट है।भाजपा ने 2014 में कामेश्वर चौपाल को वहां से उम्मीदवार बनाया था। उस समय चौपाल जाति अति पिछड़ों में शामिल थी।बाद में इसे अनुसूचित जाति में शामिल किया गया। राजद इसका श्रेय ले रहा है कि उसने सामान्य सीट पर अनुसूचित जाति को उम्मीदवार बनाया।
गया में मांझी बनाम सर्वजीत
गया में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी राजग के उम्मीदवार हैं। उनके विरूद्ध राजद टिकट पर कुमार सर्वजीत चुनाव लड़ रहे हैं। ये पासवान हैं। इनके पिता राजेश कुमार 1991 में जनता दल के उम्मीदवार की हैसियत से सांसद बने थे।
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