Anand Mohan को आठ अगस्त तक राहत, रिहाई पर जवाब देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को और समय दिया
Anand Mohan डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल में बंद आनंद मोहन को बिहार सरकार ने रिहा कर दिया है। इस फैसले के खिलाफ जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई हुई। इस याचिका पर अब अगली सुनवाई आठ अगस्त को होगी।
पटना, जागरण संवाददाता। बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस जेएस पारदीवाला और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच कृष्णैया के पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई की। जिसके बाद आनंद मोहन की रिहाई पर जवाब देने कि लिए बिहार सरकार को और मोहलत मिल गई।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बिहार सरकार रिहाई से जुड़े मूल दस्तावेज जमा करवाए। अब, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आठ अगस्त को सुनवाई करेगी।
Supreme Court grants more time to Bihar Government to file a reply to slain IAS officer G Krishnaiah's wife Uma Krishnaiah's plea challenging premature release of Bihar politician Anand Mohan from prison. pic.twitter.com/viDLNWfmM3— ANI (@ANI) May 19, 2023
पांच दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में बिहार के गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैकया की उग्र भीड़ ने हत्या कर दी थी। हाल ही में जी कृष्णैया की हत्या के दोषी पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन को रिहा करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है।
बता दें कि 27 अप्रैल को बिहार सरकार ने इस मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को रिहा कर दिया था। इसके खिलाफ जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
आठ मई को उमा कृष्णैकया की याचिका पर पहली सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी ने की थी। उस दिन कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया था।
डीएम की हत्या के मामले में आनंद मोहन को मिली थी उम्रकैद
3 अक्टूबर 2007 को निचली अदालत ने आनंद मोहन को फांसी की सजा दी थी, जिसे पटना हाईकोर्ट ने 10 दिसंबर 2008 को उम्रकैद में बदल दिया था। आगे 10 जुलाई 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था।
आनंद मोहन पर सरकारी सेवक की काम के दौरान हत्या का दोष सिद्ध था, जिसमें रिहाई संभव नहीं थी। ऐसे मामलों में उम्रभर जेल में रहने का कानून था। उनकी रिहाई राज्य सरकार द्वारा कानून में बदलाव के कारण संभव हो सका है।