बिहार समेत देश के अधिकांश राज्यों में तापमान लगातार 40 पार बना हुआ है। ऐसे में थोड़ी-सी लापरवाही शरीर में खनिज तत्वों के असंतुलन का कारण बन रही है। इसके असंतुलित होने से दिल की धड़कन की अनियमितता थकान-सुस्ती पेट में दर्द-पेट दस्त-कब्ज मांसपेशियों में ऐंठन जैसे लक्षण सामने आते हैं। ऐसे में हृदय किडनी मधुमेह बीपी लिवर के रोगियों को डॉक्टर खास हिदायत बरतने की सलाह दे रहे हैं।
जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी में गुरुवार को भले ही धूप बहुत तीखी नहीं थी, लेकिन गर्मी इस कदर थी कि छाया में खड़ा व्यक्ति भी पसीने से तर-बतर था। ऐसे में थोड़ी-सी लापरवाही शरीर में खनिज तत्वों यानी इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलन का कारण बन रही।
चूंकि, सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फेट, क्लोराइड जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखने, कोशिकाओं में पोषक तत्वों को पहुंचाने, अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने, तंत्रिकाओं को सिग्नल भेजने में मदद करना, मांसपेशियों को आराम के साथ मस्तिष्क व हृदय की कार्यप्रणाली को सुचारू बनाए रखने में की अहम भूमिका है।
उल्टी-दस्त, पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ नहीं लेने, बहुत ज़्यादा पसीना आने, मूत्रवर्धक दवाओं के सेवन, किडनी या लिवर के मरीजों में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन का खतरा अधिक होता है।
इसके असंतुलित होने से दिल की धड़कन की अनियमितता, थकान-सुस्ती, जी मिचलाना-उल्टी, दस्त-कब्ज, पेट में दर्द-पेट, मांसपेशियों में ऐंठन जैसे लक्षण सामने आते हैं।आजकल सबसे ज्यादा लोग इन्हीं कारणों से परेशान हैं। सामान्यत: हर दूसरा व्यक्ति इसके कारण परेशान हैं। ऐसे में हृदय, किडनी, मधुमेह, बीपी, लिवर के रोगियों को डॉक्टर खास हिदायत बरतने की सलाह दे रहे हैं।
हर दिन अस्पताल में भर्ती हो रहे बड़ी संख्या में मरीज
राजधानी का तापमान लगातार 40 पार बना हुआ है। इस कारण बड़ी संख्या में स्वस्थ लोग भी गर्मीजनित रोगों के कारण अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। हालांकि, इनका उपचार छोटे अस्पतालों में भी हो जा रहा है।इसके विपरीत पहले से किडनी, हृदय रोग व हेपेटाइटिस ए या यानी पीलिया, हेपेटाइटिस बी व सी से पीड़ित रोगियों की हालत गर्मी से और खराब हो रही है।
आइजीआइएमएस, पीएमसीएच व एम्स पटना समेत निजी सुपरस्पेशियलिटी हास्पिटलों में ऐसे कई किडनी, हृदय व लिवर रोगियों को भर्ती किया गया है, जिनकी हालत भीषण गर्मी के कारण बिगड़ी है।आइजीआइएमएस के उप निदेशक सह चिकित्साधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि हीटस्ट्रोक व अत्यधिक गर्मी के कारण डिहाइड्रेशन के कारण कई किडनी, हृदय व लिवर रोगियों को गत पांच दिनों में भर्ती किया गया है।वहीं, इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में इतने मरीज भर्ती हो चुके हैं कि बेड की कमी के कारण मरीजों को इमरजेंसी से लौटाना पड़ रहा है।
गर्मी में बढ़ जाता ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
आइजीआइएमएस के चिकित्साधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि हीट स्ट्रोक या 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान होने रक्त नलिकाएं फैल जाती हैं। इससे ब्लड प्रेशर कम होता है। ऐसी स्थिति में मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में खून नहीं पहुंचने से इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक (रक्तप्रवाह की कमी) का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा, गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी से खून गाढ़ा हो जाता है और उसके थक्के बनने की आशंका बढ़ जाती है। इससे इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक की आशंका और बढ़ जाती है।वहीं, हीट स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क में सूजन बढ़ने या रक्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त होने से हैमरेजिक ब्रेन स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। ब्रेन स्ट्रोक कई अंगों की दिव्यांगता, बोलने में कठिनाई व अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बनता है।
मधुमेह-हाइपरटेंशन के मरीज बदलवाएं दवा
न्यू गार्डिर इंडोक्राइन सुपरस्पेशियलिटी हास्पिटल के निदेशक डा. मनोज कुमार ने बताया कि गर्मीजनित रोगियों की संख्या बढ़ी है। प्रतिदिन 600 की ओपीडी में आधे मरीज गर्मीजनित रोगों के होते हैं। पांच से छह लोगों को प्रतिदिन स्लाइन व इंजेक्टबल दवाएं देनी पड़ रही हैं।उन्होंने कहा कि मधुमेह व हाइपरटेंशन के मरीज इस समय खास ध्यान रखें। शरीर में पानी या इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी नहीं हो इसलिए डॉक्टर से मिलकर यूरिन की मात्रा बढ़ाने वाली दवाएं बंद करवा लें। दोनों ही रोगों में डाइयूरेटिक दवाएं शामिल होती हैं।
उमस भरी गर्मी में पसीना वैसे भी बहुत निकल रहा है, ऐसे में घर के सामान्य तापमान में ही स्ट्रेचिंग व योगाभ्यास करें, बाहर टहलने से परहेज करें।
किडनी रोगी परामर्श अनुसार ही पिएं पानी
पीएमसीएच के किडनी रोग विशेषज्ञ ने बताया कि तापमान अधिक होने के कारण बहुत से किडनी रोगी एक साथ बहुत अधिक मात्रा में पानी पी ले रहे हैं। इस कारण अपेक्षाकृत कमजोर किडनी पर अचानक बहुत अधिक कार्यबोझ पड़ जाता है।
घबराहट, बेचैनी व धड़कन बढ़ने की शिकायतें बढ़ीं
कार्डियोलाजिकल सोसायटी आफ इंडिया बिहार शाखा के पूर्व अध्यक्ष डा. एके झा व सदस्य डा. बीबी भारती ने बताया कि अधिक पसीना निकलने से डिहाइड्रेशन व उससे शरीर में सोडियम-पोटैशियम आदि कम हो जाते हैं। इस कारण बड़ी संख्या में घबराहट, बेचैनी, धड़कन बढ़ने के मरीज आ रहे हैं। रक्तचाप कम होने से हार्ट फेल्योर की आशंका भी बढ़ जाती है।
बाहर न खाने पर भी पेट हो रहा खराब
लिवर रोग विशेषज्ञ डा. विजय प्रकश ने बताया कि बड़ी संख्या में वयस्क पेट खराबी की समस्या लेकर आ रहे हैं। इनमें से बहुत से मरीज बाहर कुछ खाने-पीने तक से इनकार कर रहे हैं, फिर भी पेट में अचानक तेज दर्द, खाना नहीं पचना, भूख न लगना, उल्टी व दस्त की शिकायत हो रही है।लिवर रोगियों की हालत भी डिहाइड्रेशन के कारण तेजी से बिगड़ती है। ऐसे में जरूरी है कि किडनी, हृदय व हेपेटाइटिस ए, बी व सी आदि के मरीज डाक्टर से परामर्श लेते रहें व खुद को डिहाइड्रेशन से बचाएं।
शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं जरूरी जांच सुविधा
केंद्र से गर्मी पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार हीटस्ट्रोक व लू के गंभीर रोगियों यानी जिनका बुखार 104 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो, भ्रम की स्थिति में हों, बोले कुछ निकले कुछ तो उनका इलाज मानक के अनुसार, होना चाहिए।इसके लिए मरीज की हृदय गति, श्वसन गति, ब्लड प्रेशर, रेक्टम टेम्परेचर, मनोस्थिति जांच के अलावा कंप्लीट ब्लड काउंट, ईसीजी, इलेक्ट्रोलाइट्स, ब्लड कागुलेशन, क्लोराइड, किडनी व लिवर फंक्शन टेस्ट की सुविधा होनी चाहिए।साथ ही एंटी डायरिल मेडिसिन, एंटी एमोबिक मेडिसिन, एंटी इमेटिक मेडिसिन, आइवी फ्लूयूड्स, ओआरएस, चिकित्सकीय उपकरण पर्याप्त मात्रा में होने चाहिए।हालांकि, गरीबों के लिए स्लम बस्तियों के आसपास खुले शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इसकी व्यवस्था नहीं है। प्रखंडों के कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी इन जांच की सुविधा नहीं है।
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