हाईकार्ट ने पूछा- शराबबंदी से बेरोजगार हुए लोगों के लिए क्या कर रही है सरकार
पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से चार सप्ताह में बताने के लिए कहा कि नई शराब नीति के बाद से बेरोजगार हुए लोगों के लिए वह क्या कर रही है।
By Ravi RanjanEdited By: Updated: Fri, 12 May 2017 09:38 PM (IST)
पटना [राज्य ब्यूरो]। पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में बताने को कहा कि नई शराब नीतियों के कारण बेरोजगार हुए कर्मचारियों के जीवन यापन के लिए किस प्रकार की योजना बनाई जा रही है? कर्मचारियों के लिए क्या कोई राहत पैकेज बनाई गई है?
यह जानकारी शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की खंडपीठ ने मैक डावेल्स कंपनी के बेरोजगार हुए 189 कर्मचारियों की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मांगी। खंडपीठ ने कहा कि कल्याणकारी सरकार होने के नाते यह अपेक्षा की जाती है कि इनके पुर्नवास एवं रोजगार के बारे में सरकार चिंतित होगी।याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कहा कि बिहार में शराब बंदी कानून लागू होने के कारण मोकामा स्थित विजय माल्या की शराब फैक्ट्री बंद हो गई है। इससे वहां के कर्मचारी भूखमरी के कगार पर आ गए हैं। यहां के कर्मचारियों को न तो किसी प्रकार का मुआवजा मिला और न ही पुर्नवास योजना का लाभ।
यह भी पढ़ें: राजेन्द्र नगर के पास बेपटरी हुई अर्चना एक्सप्रेस, टली बड़ी दुर्घटनाकर्मचारियों का कहना था कि इस कंपनी में प्रतिवर्ष 2.34 लाख लीटर शराब का उत्पादन होता था। इसमें आधी बिहार में बिक जाती थी। शराबबंदी के झारखंड में शराब की आपूर्ति होती थी। कंपनी करे पांच करोड़ की शराब बेवरेज कॉरपोरेशन कंपनी से लौट गई। 2016-17 के बाद शराब का धंधा पूरी तरह से चौपट हा गई। इस प्रकार से सैकड़ों लोग प्रभावित हो गये।
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