Move to Jagran APP

गौरवशाली है 159 साल पुराने पटना कॉलेज का अतीत, पटना विश्‍वविद्यालय से भी पुराना है इतिहास

Patna College News बिहार में आधुनिक शिक्षा की शुरुआत में पटना कॉलेज का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। इस कॉलेज का इतिहास बिहार के सबसे पुराने विश्‍वविद्यालय पटना विश्‍वविद्यालय से भी पुराना है। पिछले सप्‍ताह ही इस कॉलेज ने 159 साल का सफर पूरा किया।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Sun, 17 Jan 2021 05:46 AM (IST)
Hero Image
159वीं वर्षगांठ पर रंगीन बल्‍बों की रोशनी से जगमगाता पटना कॉलेज। जागरण
पटना, जागरण संवाददाता। बिहार के सबसे पुराने विश्‍वविद्यालय पटना विश्वविद्यालय से भी पहले से स्थापित और 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' कहा जाने वाला पटना कॉलेज 159 वर्ष का हो गया है। गंगा नदी के तट पर अवस्थित पटना कॉलेज का स्वर्णिम इतिहास रहा है। इसके एलुमिनाई में देश के दिग्गज प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम शुमार हैं। ब्रिटिश काल में स्थापित पटना कॉलेज के छात्रों में देश के प्रथम संविधान सभा अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा, बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री व बिहार केसरी श्री कृष्ण सिंह, बिहार व उड़ीसा के शिक्षा मंत्री सर महम्मद फखरूद्दीन, सर डॉ. गणेश दत्त सिंह, साहित्यकार देशरत्न रामधारी सिंह दिनकर आदि के नाम शामिल हैं।

80 के दशक तक मिंटो और जैक्‍सन छात्रावास की बोलती थी तूती

1980 के दशक तक पटना कॉलेज के मिंटो छात्रावास व जैक्सन छात्रावास में अध्ययन की तूती बोलती थी। तब यहां रहने वाले छात्र आइएएस और आइपीएस बन कर निकलते थे। दरभंगा महाराज, गिद्धौर महाराज, खैरा नरेश, बेतिया की महारानी, हथुआ महाराजा आदि के सहयोग से मिंटो हिंदू हॉस्टल एवं मिंटो मुस्लिम हॉस्टल 1908 में तैयार हो गया था। तब यहां 43 छात्र रहते थे। पहले हर वर्ष यहां सालगिरह मनाई जाती थी। तब यहां के एलुमिनाई छात्र आते थे। तब यहां 'इफ एनी वन इज एनी मैन इन बिहार, ही इज मिंटोनियम' यह प्रसिद्ध था। मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, जस्टिस सतीशचंद्र मिश्र, जदयू के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह सहित कई दिग्गज यही रह कर शिक्षा-दीक्षा प्राप्त किए। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जैक्सन और मिंटो छात्रावासों का नाम बदल कर मौर्य मंदिर और अशोकाश्रम कुछ दिनों के लिए कर दिया गया था।

पटना कॉलेज प्राचार्य का आवास था वर्तमान कुलपति आवास

गंगा तट पर अवस्थित वर्तमान कुलपति आवास 1908-09 के दशक में पटना कॉलेज के कुलपति का आवास हुआ करता था। यह क्रम 1985 तक चला। तब 1988 में प्रो. आरके अवस्थी पहले पटना विवि के कुलपति के रूप में इस आवास में रहे। इसके बाद फिर से कुछ वर्षों तक पटना कॉलेज के प्राचार्य इस आवास में रहे। फिर 2006 से प्रो. वाईसी सिम्हाद्रि इस आवास में रहने लगे, तब से वर्तमान तक कुलपति आवास के रूप में इसका उपयोग हो रहा है।

ये रहे चुके हैं कुलपति

डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा, जय प्रकाश नारायण, बलभद्र प्रसाद सिंह, प्रो. विनोद कुमार सिंह, प्रो. सारगंधर सिंह, प्रो. सुदीप्त अधिकारी, प्रो. रास बिहारी सिंह, प्रो. एजाज अली अरशद, प्रो. रामाश्रय यादव, डॉ. ईश्वर चंद्र कुमार।

इन छात्रों ने राजनीति में चमकाया नाम

सर महम्मद फखरूद्दीन, सर डॉ. गणेशदत्त सिंह, बिहार विभूति डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह, श्री कृष्ण सिंह, तारकेश्वरी सिन्हा, बलिराम भगत, पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह, राम चरित्र सिंह, ललित नारायण मिश्र, मुख्यमंत्री पश्चिमी बंगाल डॉ. बीसी राय, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, ललित विजय सिंह, प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद, रविशंकर प्रसाद, डॉ. अशोक चौधरी, चंद्रिका राय, चंद्र मोहन।

आइपीएस, आइएएस, आइसीएस भी यहां से खूब निकले

इस कॉलेज से पढ़कर निकलने वाले छात्रों में आइएएस, आइपीएस और आइसीएस भी खूब निकले। कई छात्रों ने नौकरशाह के रूप में सफल कॅरियर के बाद राजनीति में भी अच्‍छा मुकाम हासिल किया। केंद्रीय वित्त सचिव त्रिभुवन प्रसाद सिंह, बीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष एनके अग्रवाल, रामेश्वर प्रसाद गोलवार, आइसीएस आनंद शंकर राय, आइएफएस विदेश सचिव मुचकुंद दुबे, श्याम शरण, बिहार के मुख्य सचिव रहे कमला प्रसाद, अंजनी कुमार सिंह आदि पटना कॉलेज के छात्र रह चुके हैं।

इसी तरह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आइएएएस आरसीपी सिंह, महावीर मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष व पूर्व आइपीएस किशोर कुणाल, कुमार नंदन प्रसाद, भाष्कर बनर्जी, निर्मल कुमार सिंह, राम चंद्र झा, युगल किशोर सिन्हा, आलोक सिन्हा, सतीश कुमार झा, रविंद्र महतो, महेंद्र सिंह, रामेश्वर पाठक, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, आइजी रहे सुधीर कुमार झा, भरत प्रसाद सिंह, रामचंद्र खान, छत्तीसगढ़ के डीजीपी रहे विश्वरंजन, बिहार डीजीपी रहे आशीष रंजन, मनोज नाथ, सीबीआई निदेशक रहे त्रिनाथ मिश्र, वित्त सचिव चंद्र मोहन, झारखंड डीजीपी रहे बीडी राम, मुख्य सचिव रहे अशोक सिंह आदि भी इस कॉलेज के छात्र रहे हैं।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।