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Patna Tourist Places: गोलघर में लेजर शो नहीं देखा तो क्या देखा? दिलचस्प तरीके से दिखेगा बिहार का इतिहास; शुल्क बस इतना

Bihar Tourist Places आप कभी बिहार की राजधानी पटना आएं तो गोलघर में लेजर शो जरूर देखिएगा। 2013 में गोलघर के अंदर लेजर शो की शुरूआत की गई थी। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। इस शो में बिहार का इतिहार दिखाया जाता है। लेजर शो के लिए प्रति पर्यटक 30 रुपये शुल्क लगता था। उस दौरान हर दिन 50-60 पर्यटक शो देखने आते थे।

By prabhat ranjanEdited By: Aysha SheikhUpdated: Fri, 01 Dec 2023 08:47 AM (IST)
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Patna Tourist Places: गोलघर में लेजर शो नहीं देखा तो क्या देखा? दिलचस्प तरीके से दिखेगा बिहार का इतिहास
प्रभात रंजन, पटना। पटना की पहचान गोलघर में दर्शक जल्द ही लेजर शो के जरिए प्रदेश के गौरवशाली इतिहास से परिचित होंगे। गोलघर के जीर्णोद्धार व लेजर शो अन्य कारणों से बीते चार वर्षो से बंद है।

अब नए सिरे से अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से नए रंग में लेजर शो प्रदर्शित होगा। इसके लिए जल्द ही कला संस्कृति एवं युवा विभाग टेंडर निकालेगा।

गोलघर पटना शहर की पहचान

कला संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने बताया कि गोलघर पटना शहर की पहचान है। अंग्रेजों के समय का बना भवन पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। गोलघर के प्रति पर्यटकों का आकर्षण बना रहे इसे लेकर विभाग की ओर से जल्द कार्य को पूरा किया जाएगा।

बताते चलें कि 2013 में गोलघर के अंदर लेजर शो की शुरूआत की गई थी। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। लंबे समय से चल रहा इंतजार जल्द खत्म होगा।

पर्यटन निगम की ओर से होता था संचालित

आरंभ के दिनों में बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की ओर से गोलघर परिसर में लेजर शो संचालित होता था। लगभग 45 मिनट के लेजर शो के जरिए यहां के लोगों को गोलघर व पटना का इतिहास दिखाया जाता था।

पर्यटन निगम ने जनवरी 2013 में 1.10 करोड़ की लागत से लेजर शो की शुरुआत की थी। 2019 में लेजर शो तकनीकी कारणों से बंद कर दिया गया था। लेजर शो के लिए प्रति पर्यटक 30 रुपये शुल्क लगता था। उस दौरान हर दिन 50-60 पर्यटक शो देखने आते थे।

अनाज भंडारण के लिए हुआ था निर्माण

1770 में पड़े भयंकर सूखे के बाद अनाज भंडारण के लिए इसके निर्माण की योजना बनी थी। तत्कालीन गर्वनर जनरल हेस्टिंग ने गोलघर निर्माण का योजना बनाई थी। ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन जान गास्टिन ने 20 जनवरी 1784 को निर्माण आरंभ कराया था। 20 जुलाई 1786 को इसे पूरा कर लिया गया था। इसका भंडारण क्षमता लगभगत एक लाख 40 हजार टन अनाज रखने की है।

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