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Lok Sabha Election 2024 : महागठबंधन और NDA में टिकट की किटकिट, अति पिछड़ा वर्ग कहां पीछे छूटा?

Lok Sabha Election 2024 Bihar Politics बिहार में टिकट बंटवारे को लेकर चल रही किटकिट के बीच महागठबंधन और राजग की ओर से अपने-उम्मीदवारों का एलान किया गया है। इस टिकट बंटवारे में खुद को अति पिछड़ा वर्ग का रहनुमा बताने वाले दलों ने अपनी चिंता को कितना रूपांतरित किया है। बहरहाल जो भी हो आंकड़े बताते हैं कि यह वर्ग कितना प्रभावी है।

By Arun Ashesh Edited By: Yogesh Sahu Updated: Thu, 11 Apr 2024 02:28 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024 : अति पिछड़ों की टिकट की किटकिट, महागठबंधन और NDA में कहां पीछे छूट गए?
राज्य ब्यूरो, पटना। Lok Sabha Election 2024 : ऐसे तो बिहार की राजनीति में अति पिछड़ी जातियों (extremely backward class) का प्रभाव 1995 के विधानसभा चुनाव के समय उजागर हुआ। लेकिन, इनकी वास्तविक संख्या को लेकर विवाद था। पिछले साल हुई जाति आधारित गणना का आंकड़ा बताता है कि अति पिछड़ों की आबादी 36 प्रतिशत है।

सभी दलों ने इस आबादी को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया। लेकिन, टिकट बंटवारे को देखें तो यही लगता है कि कुछ दलों को छोड़कर अधिसंख्य ने अपनी चिंता को टिकट वितरण में रूपांतरित नहीं किया।

महागठबंधन के दलों में चुनाव लड़ने के लिए सबसे अधिक 26 सीटें राजद को मिली थीं। उसने तीन सीटें विकासशील इंसान पार्टी को दीं। हिस्से की 23 में से 22 के लिए उम्मीदवारों की घोषणा हुई। इनके सिर्फ दो अति पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार हैं।

जदयू की विधायक रहीं बीमा भारती को राजद ने पूर्णिया से उम्मीदवार बनाया। वह अति पिछड़ा हैं। दूसरे अररिया से मो. शहनवाज। ये मुस्लिम अति पिछड़े हैं। विकासशीन इंसान पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है।

राजद नेतृत्व का आग्रह है कि वीआईपी तीन में से एक सीट अति पिछड़े को दे। घोषणा हो तो पता चले कि राजद के आग्रह का सम्मान हुआ या नहीं। महागठबंधन के घटक दलों में पांच सीटें वाम दलों को दी गई। भाकपा, माकपा और भाकपा माले ने सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। इनमें एक भी अति पिछड़े नहीं हैं।

कांग्रेस को नौ सीटें मिली हैं। तीन उम्मीदवारों की घोषणा हुई है। किशनगंज से डॉ. जावेद, कटिहार से तारिक अनवर और भागलपुर से अजित शर्मा कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित हुए हैं। तीनों सवर्ण हैं। कांग्रेस की बाकी सीटें हैं- सासाराम, मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चंपारण, महाराजगंज, पटना साहिब और समस्तीपुर। इनमें सासाराम और समस्तीपुर आरक्षित सीटें हैं।

इन पर अति पिछड़ों की उम्मीदवारी नहीं हो सकती है। मुजफ्फरपुर पर अति पिछड़े की उम्मीद कर रहे हैं। यह उन्हें मिल भी जाए तो महागठबंधन में अति पिछड़ों के अधिकतम अति पिछड़े उम्मीदवारों की संख्या तीन होगी। यह राजग की ओर से इस आबादी को दी गई उम्मीदवारी की संख्या से बहुत कम होगी।

जदयू ने दिए पांच अति पिछड़े

सीटों की संख्या में सबसे अधिक अति पिछड़ों को जदयू ने भागीदारी दी है। जदयू ने झंझारपुर, कटिहार, सुपौल, जहानाबाद और भागलपुर से अति पिछड़ों को उम्मीदवार बनाया है। इन पर 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जदयू के इन्हीं उम्मीदवारों की जीत हुई थी।

दूसरी तरफ भाजपा ने दो सीटों पर अत्यंत पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इनमें से एक प्रदीप कुमार सिंह अररिया से उम्मीदवार बनाए गए हैं। ये 2019 में भी भाजपा टिकट पर अररिया से सांसद बने थे। भाजपा ने मुजफ्फरपुर में डॉ. राजभूषण निषाद को उम्मीदवार बनाया है। वहां से 2014 एवं 2019 में भाजपा के अजय निषाद की जीत हुई थी। भाजपा ने इस बार उन्हें बेटिकट कर दिया है।

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