अपनी 'बस्तियों' में पहुंचे राहुल गांधी, उमड़ पड़ा जनसैलाब; Voter Adhikar Yatra बढ़ाएगी कांग्रेस की ताकत?
वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी को सीमांचल में भारी समर्थन मिला। कटिहार पूर्णिया और अररिया में लोगों ने उत्साहपूर्वक उनका स्वागत किया। मुस्लिम आबादी वाले इस क्षेत्र में राहुल की बातें लोगों को पसंद आ रही हैं। पिछली यात्रा की तुलना में इस बार समर्थन और भी अधिक था।
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। 'वोटर अधिकार यात्रा' पर पहुंचे राहुल गांधी की अगुवानी के लिए रविवार को अररिया सड़क पर उतर आया, जैसे कि पूर्णिया से होड़ कर रहा हो। इससे एक दिन पहले यही हाल कटिहार का था। रूक-रूक कर रिमझिम फुहारें पड़ती रहीं, लेकिन उत्साह किसी का कम नहीं हुआ। न तो सीमांचल का और ना ही राहुल का।
कटिहार, पूर्णिया और अररिया के साथ किशनगंज जिला को मिलाकर सीमांचल का स्वरूप बनता है, जिसकी जनसंख्या में लगभग 49 प्रतिशत मुसलमान हैं।
यह जनसंख्या बिहार में घुसपैठियों के होने की आशंका को अपने ऊपर आक्षेप मान रही। इसीलिए उसे मतदाता-सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के विरुद्ध राहुल की बातें खूब जंच रहीं।
कटिहार में मोंगरा बस्ती के शम्सुल होदा हों, पूर्णिया में कसबा के शेख यासिर या कि अररिया में चांदनी चौक के मो. हफीजुर्रहमान, सभी-के-सभी भाजपा से चिढ़े हुए हैं।
शिकायत एक जैसी है और राहुल सबको दिलअजीज हैं। इस प्रेम का मोल राहुल भी खूब जान रहे। यही कारण है कि कटिहार में वे मखाने के पानी भरे खेत में उतर जाते हैं, तो पूर्णिया में बाइक से फर्राटे भरने लगते हैं।
अररिया में उत्साह इस कदर चरम पर होता है कि चाय-पानी की तलब में राहुल ढाबे पर बैठ जाते हैं। शहर में प्रेस-वार्ता के साथ इस यात्रा का दूसरा चरण पूरा कर वे दिल्ली के लिए उड़ान भरते हैं तो इस इत्मीनान के साथ कि सीमांचल उनसे दूसरों की तुलना में कुछ अधिक रजामंद है।
बिहार में राहुल की पहली यात्रा भारत जोड़ो न्याय यात्रा रही थी। सीमांचल ने उन्हें तब भी सिर-आंखों पर लिया था, लेकिन इस बार उछाह उससे भी अधिक रहा।
हालांकि, अररिया के मायानंद पासवान के लिए यह दिखावे की भीड़ है। उनकी बातों में कुछ हद तक सच्चाई हो सकती है, लेकिन वोट करने के सीमांचल के स्वभाव से इस आशंका की अक्षरश: पुष्टि नहीं हो रही।
बिहार से कांग्रेस के तीन सांसदों में दो सीमांचल से ही हैं। किशनगंज ने तो कांग्रेस का साथ 2019 के बुरे वक्त में भी दिया था। तब लोकसभा चुनाव में महाठबंधन की एकमात्र यही सफलता रही थी।
विधानसभा के पिछले दो चुनावों में भी सीमांचल ने बखूबी साथ निभाया है। 2020 में जब राजद को इस क्षेत्र में एकमात्र सीट से संतोष करना पड़ा था, तब भी सीमांचल ने कांग्रेस की झोली में पांच सीटें डालीं।
उसके कुल विधायकों में एक चौथाई की हिस्सेदारी इसी परिक्षेत्र से रही। इस गणित को समझाते हुए पूर्णिया के सुरेश दुबे पूछ रहे कि सीमांचल के प्यार और राहुल के मनुहार पर अब भी कोई शक है क्या!
सीमांचल में कांग्रेस का प्रदर्शन
चुनावी वर्ष | कुल विधायक | सीमांचल से |
---|---|---|
2020 | 19 | 05 |
2015 | 27 | 09 |
2010 | 04 | 03 |
2005 (अक्टूबर) | 09 | 04 |
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