बिहार कैडर का IAS अफसर बना रहा कैंसर-हार्ट व शुगर की हर्बल दवाएं
बिहार कैडर के आइएएस अधिकारी एसएम राजू खुद की बनाई आयुर्वेदिक औषधियोें के लिए भी जाने जाते हैं। उनकी दवाओं का दो दिन पहले केंद्रीय मंत्री श्रीपाद नाइक ने लोकार्पण भी किया।
By Pramod PandeyEdited By: Updated: Thu, 13 Oct 2016 10:49 PM (IST)
पटना [वेब डेस्क ]। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। मुजफ्फरपुर में प्रमंडलीय आयुक्त रहते जब एक दिन में एक करोड़ पौधे लगवाए तो पर्यावरण रक्षा के दूत के रूप में पहचाने गए। लोगों में जागरूकता आई तो एसएम राजू ने अपनी योजना को और विस्तार दिया। उन्होंने जड़ीबूटी आधारित कई ऐसी दवाओं के इजाद के लिए जाने जा रहे हैं जिससे गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है।
कृषि स्नातक राजू 1991 बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं और फिलहाल राजस्व पर्षद में अपर सदस्य हैं। शुरू से ही पर्यावरण के प्रति प्रेम ने उन्हें तिरहुत में एक दिन में एक करोड़ पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया। तब सरकार ने उनकी योजना को पूरा समर्थन दिया। उन्हें तब पर्यावरण दूत कहा गया। अपनी दवाओं के बारे में वे कहते हैं कि इसका इस्तेमाल उन्होंने अपने परिवार से ही शुरू कराया। कई जानीमानी हस्तियों ने भी उनकी दवाओं का सेवन किया है और अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। इससे उत्साहित राजू ने अपनी बनाई दवाओं का फार्मूला बंगलुरू की एक कंपनी को दिया है जिसके बाद अब ये दवाएं आमलोगों के लिए उपलब्ध हो गई हैं।
तिरहुत प्रमंडल में एक दिन में लगवाए थे एक करोड़ पौधे तिरहुत के प्रमंडलीय आयुक्त रहते एसएम राजू ने 2009 के अगस्त के पहले रविवार को आयोजित कार्यक्रम में पूरे प्रमंडल में एक करोड़ पौधे लगवाए थे। इस आयोजन पर सरकार ने भी पूरा ध्यान दिया था। सामाजिक वानिकी योजना के तहत मनरेगा को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा गया था।
घर में ही किया अपनी दवाओं का पहला इस्तेमाल
आमतौर पर दवाएं दूसरे लोगों पर प्रयाेग की जाती हैं लेकिन राजू ने पहले खुद के लिए दवा बनाई। फिर किडनी की बीमारी से जूझ रहे पिता और ब्लड कैंसर से लड़ रहे बेटे के लिए। दवा ने सकारात्मक परिणाम दिया और अब तीनों स्वस्थ हैं। इससे वे उत्साहित हैं और कहते हैं कि लोगों को बीमारी से बचाने का उनका सपना साकार होगा।कभी गठिया रोग से पीड़ित राजू 1997 से 1988 तक वे लगातार इंजेक्शन लेते रहे। कृषि में स्नातक पाठ्यक्रम के दौरान औषधीय पौधों के बारे उन्होंने गंभीरता से पढ़ा जिसके बाद उन्होंने इंजेक्शन का विकल्प ढूंढना शुरू किया। खुद कुछ दवाएं खोजीं और 1988 के बाद उन्होंने इंजेक्शन लेना बंद कर दिया।पढ़ेंः बिहार सरकार के आईटी विभाग की वेबसाइट हैक, हैकर्स ने डाल दिया ये सब वर्ष 2008 में डायलिसिस पर रहने वाले पिता के लिए उन्होंने खुद कुछ दवाएं बनाई। उसका प्रयोग सफल रहा। एक सप्ताह के भीतर जबरदस्त लाभ हुआ। पिता के बेहतर स्वास्थ्य ने उनकी दिशा बदल दी। फिर हार्ट, लीवर और किडनी की बीमारियों के इलाज के लिए दवा बनाने पर काम शुरू किया।वर्ष 2010 में बेटे को ब्लड कैंसर डिटेक्ट हुआराजू के मुताबिक तिरहुत कमिश्नर रहने के दौरान 2010 में डॉक्टरों ने बताया कि उनके दूसरे बेटे अविनाश को ब्लड कैंसर है। लेकिन वे परेशान नहीं हुए। अपनी बनाई आर्युवेदिक दवाएं भी उसे दी। परिणाम बेहतर आए और अब वह बिल्कुल सामान्य है।पढ़ेंः प्रकाशोत्सवः झारखंड के लिए रवाना हुआ जागृति रथ, CM ने दिखाई हरीझंडी जज, राजनेता और फिल्म स्टार भी कर रहे हैं दवाओं का इस्तेमालराजू ने बिहार के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि उनकी दवाओं का सेवन वैज्ञानिक, उद्योगपति, मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर, राजनेता, ब्यूरोक्रेट्स और फिल्मस्टार भी कर रहे हैं। उनकी बीमारियां भी ठीक हुई हैं।केंद्रीय मंत्री ने दवाओं का किया लोकार्पण केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री श्रीपाद यस्सो नायक ने उनकी दवाओं का मंगलवार को लोकार्पण किया। इसमें एंटी एजिंग सीरप के साथ हड्डी, गैस्ट्रो आदि के इलाज वाली दवाएं हैं। इन दवाओं को बनाने का अधिकार राजू ने बंगलूरू की एक कंपनी को दिया है और कहा है कि आमदनी का आधा हिस्सा गरीबों के इलाज पर खर्च होगा।
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