दीपावली में उल्लू का शौक पाला तो फंसेंगे आप, बिहार सरकार ने सभी डीएम और एसपी को किया अलर्ट
Diwali Alert बिहार में उल्लू के साथ पकड़े गए तो होगी कम से कम तीन वर्ष की जेल दीपावली के समय उल्लू की बलि देने की कुप्रथा सभी जिलों के डीएम व एसपी को पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने भेजा अलर्ट
By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Fri, 29 Oct 2021 01:07 PM (IST)
पटना, राज्य ब्यूरो। सावधान हो जाइए। अगर आपको भी दीवाली में उल्लू का शौक है तो बुरे फंस सकते हैं। उल्लू के साथ अगर पकड़े गए तो आपको कम से कम तीन वर्ष की सजा हो सकती है। भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची एक के तहत उल्लू संरक्षित है। यह विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में शामिल है। इसके शिकार व तस्करी पर प्रतिबंध है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों के डीएम-एसपी को अलर्ट भेजा है। इसकी वजह यह है कि दीपावली के समय उल्लू की बलि देने की कुप्रथा है। तांत्रिक अनुष्ठान किया जाता है उल्लू की बलि देकर।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने चला रखा है विशेष अभियानयह अंधविश्वास है कि दीपावली के समय धन कमाने के लिए उल्लू की बलि दी जाए। सरकार ने इसके खिलाफ कैंपेन शुरू किया है। विज्ञापनों के माध्यम से यह कहा जा रहा है कि -माता लक्ष्मी की सवारी के साथ यह कैसी लाचारी? सुख एवं समृद्धि की त्योहार दीपीवली, खतरे में क्यों उल्लुओं की जान? लोगों से उल्लू की रक्षा किए जाने की अपील की जा रही है।
बिहार में सात किस्म के उल्लुओं की प्रजाति दिखती हैपर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक सिंह का कहना है कि भारत में उल्लुओं की तीस किस्म की प्रजाति है। वहीं बिहार में उल्लुओं की सात किस्म की प्रजाति मुख्य रूप से पायी जाती है। इनमें सभी प्रजाति मुख्य रूप से जंगल और आबादी वाले इलाके में देखे जाते हैं। कुछ उल्लू इस तरह के हैं, जो शहरी इलाके में अक्सर दिखाई पड़ते हैं।
भारत में तेरह किस्म के उल्लुओं की अवैध तस्करी के मामले सामने आते रहे हैं। गंगा के मैदानी इलाके में और इससे सटे हिस्से में उल्लुओं को अवैध तरीके से पकड़ा जाता है। जिन प्रजातियों के उल्लुओं की सबसे अधिक तस्करी देखी गयी है उनमें रॉक ईगल, ब्राउन फिश, डस्की ईगल, कालर्ड स्कोप्स तथा माटल्ड वूड शामिल हैं।
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