Bhagalpur Bridge पर IIT रुड़की ने दोबारा शुरू किया अध्ययन, पुल ढहने के बाद बिहार सरकार को कई जवाब की तलाश
अगुवानी-सुल्तानगंज पुल गिरने के मामले में आईआईटी रुड़की ने दोबारा अध्ययन शुरू किया है। बिहार सरकार के मन में ऐसे कई सवाल है जिसका जवाब तलाशने की कोशिश हो रही है। शनिवार को आईआईटी रुड़की की टीम अगुवानी घाट पुल को देखने भी गई थी।
By Jagran NewsEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Sat, 10 Jun 2023 04:41 PM (IST)
पटना, राज्य ब्यूरो। अगुवानी घाट पुल के सुपर स्ट्रक्चर के ध्वस्त होने के बाद विगत चार दिनों से आईआईटी रुड़की की टीम फिर से बिहार में है। अगुवानी घाट पुल को देखने भी गई थी। मौके पर जाकर यह देखा जा रहा कि पुल के डिजाइन में आखिर किस स्तर पर तकनीकी चूक है।
आईआईटी रुड़की की टीम ने इस संबंध में अपनी एक रिपोर्ट पथ निर्माण विभाग को भी सौंपी है। इसके बाद फिर से अध्ययन हो रहा है। पुल सेक्टर के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ वीके रैना भी इस मामले को देख रहे हैं। वह ऐज बिल्ट ड्राइंग को देखकर यह तय करेंगे कि आखिर पुल का पिलर क्यों ध्वस्त हुआ। सही तरीके से काम हुआ या नहीं, वह इसपर अपनी रिपोर्ट देंगे।
पुल की डिजाइन में तकनीकी गड़बड़ी की रिपोर्ट पथ निर्माण विभाग को मिल चुकी है। पथ निर्माण विभाग ने उक्त रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया है। रिपोर्ट में पुल को पूरी तरह से तोड़ने की बात कही गई है। इसके बाद आईआईटी रुड़की को दोबारा अध्ययन कर यह देखने को कहा गया है कि डिजाइन में किस स्तर पर गड़बड़ी है।
ताकि बाद में जब सरकार नए सिरे से पुल का निर्माण कराए तो पता चल सके कि क्या तकनीकी गड़बड़ी को सुधार कर उसी एलाइनमेंट पर आगे बढ़ा जा सकता है या नहीं। इसकी वजह यह है कि पुल के एलाइनमेंट के आधार पर एप्रोच रोड पर काम आगे बढ़ा था।
निर्माण एजेंसी की मशीन से ही हटाया जा रहा मलबा
पुल का पिलर ध्वस्त होने के बाद पूरा मलबा गंगा नदी में गिरा है। इस मसले पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूूनल (एनजीटी) किसी दिन भी सक्रिय हो सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए पथ निर्माण विभाग ने मलबा को जल्द से जल्द हटाने का काम शुरू कराया है। वैसे यह काम बहुत आसान नहीं है। मलबा हटाने के काम में अगुवानी घाट पुल बना रही एजेंसी की मशीनों और मजदूरों का सहारा लिया जा रहा है।निर्माण एजेंसी को 15 दिनों के भीतर देना होगा जवाब
इतने कम समय में मशीनों और मजदूरों की व्यवस्था करने में परेशानी थी। इसी वजह से मौजूदा निर्माण एजेंसी की मशीनों का ही इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि, इस काम से निर्माण एजेंसी को अलग रखा गया है, क्योंकि उसे 15 दिनों के भीतर पथ निर्माण विभाग द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण का जवाब देना है। पथ निर्माण विभाग के स्थानीय इंजीनियर इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
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