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Rohini Nakshatra 2024: किसानों के लिए जरूरी खबर, 25 मई से शुरू हो जाएगा कृषि नक्षत्र रोहिणी

किसान समय पर धान के नए और गुणवत्तपूर्ण प्रभेद के चयन और फसल प्रबंधन पर ध्यान दें तो वे ज्यादा उत्पादन कर सकते हैं। इसके साथ ही किसानों को बीज की खरीदारी हमेशा प्रमाणित एजेंसी से ही करनी चाहिए। बीज दुकानदार बताते हैं कि रोहिणी नक्षत्र के दौरान किसान नाटी मंसूरी 150 दिन राजेंद्र श्वेता 130 दिन और राजेंद्र मंसूरी 130 दिन में तैयार होने वाले प्रभेद लगा सकते हैं।

By Pintu Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 21 May 2024 03:04 PM (IST)
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किसानों के लिए जरूरी खबर, 25 मई से शुरू हो जाएगा कृषि नक्षत्र रोहिणी
जागरण संवाददाता, पटना। खरीफ फसल के लिए रोहिणी नक्षत्र 25 मई से शुरू हो जाएगा। छह जून तक रोहिणी नक्षत्र के दौरान खेतों में धान का बिचड़ा डालने के लिए उत्तम समय रहेगा। धान के अगात प्रभेद का चयन कर उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि विभाग से गुणवत्तापूर्ण प्रभेद की जानकारी किसान ले सकते हैं।

किसान समय पर धान के नए और गुणवत्तपूर्ण प्रभेद के चयन और फसल प्रबंधन पर ध्यान दें तो वे ज्यादा उत्पादन कर सकते हैं। इसके साथ ही किसानों को बीज की खरीदारी हमेशा प्रमाणित एजेंसी से ही करनी चाहिए।

रोहिणी नक्षण में किसान लगाए ये प्रभेद

बीज दुकानदार आशीष बताते हैं कि रोहिणी नक्षत्र के दौरान किसान नाटी मंसूरी 150 दिन, राजेंद्र श्वेता 130 दिन और राजेंद्र मंसूरी 130 दिन, बेडा प्लस 130 दिन , एमटीयू 7029 (145) दिन में तैयार होने वाले प्रभेद लगा सकते हैं।

लंबी अवधी के धान जिसमें राजेंद्र मंसूरी, नाटी मंसूरी, स्वर्णा सभ वन, सबौरा हीरा, सबौर संपन्न आदि 150 से 160 दिन में पैदा होने वाले धान की उपज 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। संसाधन के अनुसार इस धान का बिचड़ा 25 मई से 10 जून के बीच में डालना चाहिए।

धान की सुगंधित किस्म

धान की सुगंधित किस्मों की उपज क्षमता 40 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इसके तैयार होने की अवधी 130 से 160 दिन होती है। सुगंधित किस्मों में राजेंद्र कस्तुरी, सबौर सुरभीत, सबौर सोना, सोनाचुर, भागलपुर कतरनी, गोविंद भोग, राजेंद्र सुहासिनी आदि शामिल है। सुगंधि प्रभेद धान की नर्सरी 10 से 25 जून के बीच में डालनी चाहिए।

प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा

मोटे धान में 15-20 किलोग्राम, मध्यम धान में 12-15 किलोग्राम और महीन धान में 10-12 किलोग्राम। प्रति हेक्टेयर बीज प्रयाप्त होता है। राज्य के कृषि विश्विवद्यालयों के अधीन कृषि विज्ञान केंद्रों और शोध संस्थानों में बीज उपलब्ध है बिक्री के लिए।

बीज का शोधण बेहद जरूरी

बीज डालने से पहले बीज का शोधण बहुत जरूरी है। बीज शोधण के लिए फाइरम या कैपटान दवा का घोल बनाकर हल्के पानी में बीज का शोधण करना चाहिए। तीन ग्राम प्रति किलोग्राम में घोल बना लेना चाहिए। बाबीस्टीन अथवा कैप्टान अथवा थाइरम ढाइ से तीन ग्राम दवा को प्रति किलो बीज में शोधण करना चाहिए।

बीज भीगोने के बाद आठ से दस घंटा छाव में सुखा लेना चाहिए। अब बीज को तैयार खेत में छिड़काव कर बिचड़ा तैयार कर लेना चाहिए। धान का का बिचड़ा 20 से 25 दिन के बाद रोपाई की जा सकती है।

धान की अच्छी उपज के लिए नौ विकसित प्रभेदों का चयन और गुणवत्तापूर्ण बीज को ही किसान भाई को प्रयोग करना चाहिए। जिससे उन्हें अच्छी उपज की प्राप्ती हो सके। धान की खेती के दौरान परंपरागत के साथ वैज्ञानिकों एवं कृषि पदाधिकारियों की सलाह के अनुसार खेती करने से अच्छी उपज प्राप्त होगी। - डॉ. प्रकाश सिंह, धान विशेष विज्ञानी

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