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Independence Day: दंपत्ति स्वतंत्रता सेनानियों की जुबानी आजादी की कहानी, इन्होंने देखा है अंग्रेजों का जुल्म

भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 में मिली थी और इस दिन की सालगिरह अगले साल यानी 15 अगस्त 1948 में मनाई गई थी। भारत को आजाद हुए 76 साल पूरे हो गए हैं। ये आजादी का अमृत महोत्सव है। इस संग्राम के दौरान जिस उम्र में लोग घर बसाने के सपने देखते हैं उस उम्र में युवाओं ने सीने पर गोलियां खाईं।

By Ravi ShankarEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Mon, 14 Aug 2023 10:16 PM (IST)
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दंपत्ति स्वतंत्रता सेनानियों की जुबानी आजादी की कहानी
रवि शंकर, बिहटा: भारत को आजादी 15 अगस्त, 1947 में मिली थी और इस दिन की सालगिरह अगले साल यानी 15 अगस्त, 1948 में मनाई गई थी। भारत को आजाद हुए 76 साल पूरे हो गए हैं। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हालांकि, इस संग्राम के दौरान जिस उम्र में लोग घर बसाने का सपना देखते हैं, उस उम्र में देश के वीरों ने सीने पर गोलियां खाईं।

कईयों ने तो खुशी-खुशी देश के नाम अपने जीवन को कुर्बान कर दिया। आजादी की जंग में कई ऐसे नाम है, जो गौरव एवं सम्मान को अनुभूति कराते हैं। उन्हीं में से एक बिहटा प्रखंड के दिलावरपुर गांव के रहने वाले 99 वर्षीय जगदीश सिंह एवं उनकी 100 वर्षीय धर्मपत्नी फूलमती देवी हैं।

इन्होंने अंग्रेजों की जुल्म को देखा ही नहीं, बल्कि सहन भी किया है। पुलिस के राइफल के कुंदे और लाठियों का जख्म आज भी दर्द देती है।

स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा रहे जगदीश सिंह के पिता का नाम रामनंदन सिंह और मां का नाम सीता देवी था। उनका जन्म 1924 में हुई थी। मात्र 11 साल की उम्र में उनकी शादी नत्थूपुर निवासी 12 वर्षीय फूलमती देवी से हो गई। शादी के बाद अंग्रेज की आतंक को देख अपने चाचा शिव सिंह उर्फ सिपाही सिंह के साथ दोनों स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कूद पड़े।

1942 में बनी थी ट्रेन लूट की योजना 

जगदीश सिंह बताते है, "सन 1942 में पूर्व मंत्री राम लखन सिंह यादव, अमहारा के पूर्व विधायक श्यामनंदन सिंह उर्फ बाबा, बिहटा के श्रवण सिंह, राघोपुर के राजपाल सिंह, अंगद यादव, देव पूजन सिंह आदि के नेतृत्व में उनके पैतृक आवास कौड़िया-पाली पर बैठक हुई थी।"

ट्रेन पर लदा था खाद्य सामग्री एवं आर्म्स 

उन्होंने बताया, "1942 में भादो का महीना था। बिहटा स्टेशन से खाद्य सामग्री एवं हथियार को लेकर अंग्रेज की ट्रेन गुजर रही थी। जिसे हमलोगों ने रोक लिया और उसके बाद लूटपाट करते हुए हजारों बोरा चीनी, आटा, सूजी, दूध, घी आदि लेकर भाग निकले।"

"घटना के तुरंत बाद फिरंगी फौज आ धमकी, लेकिन उस वक्त बारिश बहुत तेज आ गई और लगातार तीन दिनों तक बारिश होती रही। मौका मिलने पर हमलोगों ने बिहटा क्षेत्र के तरफ से सड़क काटकर मार्ग को अवरुद्ध कर दिया।"

पेड़ पर रहकर बिताए थे दो दिन

उन्होंने बताया, "गोरे से क्षेत्र घिर जाने के बाद लोग अपने-अपने घर छोड़कर जंगल की ओर भाग निकले थे। पेड़ पर चढ़कर दो रात और दो दिन बिताए थे।"

अंग्रेज़ ने तोड़ दिया था हाथ

जगदीश सिंह की धर्मपत्नी फूलमती देवी ने कहा, "अंग्रेज मेरे पति को खोजते हुए घर में घुसकर गाली-गलौज करने लगा था। घर में रखा तलवार को लेकर उनके पीछे दौड़ा। फिरंगी ने मुझसे तलवार को छीनकर रायफल के बट से मारपीट करते हुए मेरा हाथ तोड़ दिया। घर में किसी के नहीं होने पर हल्दी का लेप लगाकर घरेलू उपचार किया था।"

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