रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल की चेयरमैन खुद बैठीं इजलास पर
रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में मृतक के परिजनों को मुआवजा देने के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले की जांच।
पटना। रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में मृतक के परिजनों को मुआवजा देने के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले की जांच करने पहुंचे सर्वोच्च न्यायालय के वरीय न्यायाधीश जस्टिस यू ललित दो दिनों की मैराथन जांच के बाद शुक्रवार को वापस दिल्ली के लिए प्रस्थान कर गए। जांच के दौरान उन्होंने एक दर्जन से अधिक पीड़ितों से मुलाकात कर मुआवजे की राशि मिलने की जानकारी ली। मृतक के परिजनों ने उनके समक्ष साफ तौर पर स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्हें न तो कोई मुआवजा मिला है और न ही जजमेंट की कोई कॉपी ही उन्हें दी गई है, जबकि रेलवे की ओर से बकायदा उनके नाम पर मुआवजे के रूप में लाखों रुपये की राशि जारी की गई थी। इस राशि की राजधानी के कुछ बैंकों की शाखाओं से निकासी कर ली गई थी। इधर, रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल की चेयरमैन के. कन्नन ने शुक्रवार को पटना आरसीटी के न्यायालय में बकायदा इजलास पर बैठकर पहले ही सत्र में 46 मामलों का निपटारा किया।
इस संबंध में रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल के दिल्ली से आए रजिस्ट्रार केपी यादव ने कहा कि जांच टीम कानूनी दायरे में रहकर अपना काम कर रही है। इस मामले की गहनता से जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि मृतकों के वैसे परिजनों से मुलाकात की गई, जिनके नाम पर मुआवजे की राशि दे दी गई थी, परंतु उन्हें अब तक यह राशि नहीं मिल सकी है। ऐसे कई पीड़ितों से बात की गई तथा उनका बयान रिकार्ड किया गया। बुलाने पर आए 10 में केवल एक अधिवक्ता
कई ऐसे भी पीड़ित मिले, जिन्हें पता नहीं था कि मुआवजा मिल चुका है। उनकी राशि बैंक में ही जमा थी। उन्हें राशि का भुगतान कराया गया। इस मामले की निष्पक्षता से जांच करने के लिए जांच कमेटी की ओर से 10 अधिवक्ताओं को नोटिस देकर आयोग के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया था, परंतु उनमें से एक ही अधिवक्ता उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने में सफल रहे। जांच में मिले गड़बड़ी के सबूत
श्री यादव ने माना कि क्लेम भुगतान में ट्रिब्यूनल की ओर से पिछले सालों में काफी अनियमितताएं बरती गई हैं। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया दो तरह के घोटाले देखने को मिले। कुछ लोग ऐसे मिले, जिन्हें मुआवजे की कोई राशि नहीं मिली। दूसरे कुछ लोग ऐसे मिले, जिन्हें मामूली दस-बीस फीसद मुआवजे की रकम देकर टरका दिया गया। कमेटी इस बात की भी जानकारी ले रही है कि जिन लोगों को दो-दो बार एक ही मृतक के नाम पर मुआवजा दिया गया, उनकी रकम की वापसी किस आधार पर की गई। बैंकों की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल
कमेटी इस बात की जानकारी ले रही है कि बैंक में ऐसे लोगों के खाते जो खोले गए, उनके इंट्रोड्यूसर कौन थे? एक ही बार में इतनी मोटी राशि महज एक विड्रावल फॉर्म पर बैंक से कैसे निकल गई? किसके आदेश पर एक्सक्यूशन वारंट फॉर्म 12 जो आरबीआई को जारी किया गया, उसमें चेक पेमेंट के बजाय ऑनलाइन पेमेंट का आदेश दिया गया? सूद के रूप में करोड़ों करोड़ की राशि का बंदरबांट हुई है।