RJD से लालू यादव का 'MY' फॉर्मूला OUT! अब तेजस्वी अपने तरीके से कर रहे सियासी पिच पर 'बैटिंग'
राजनीति के अपने सुनहरे दौर में अचानक आई मुसीबत से बचने के लिए करीब ढाई दशक पहले जिस राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया था उस पार्टी की कमान अब तेजस्वी यादव के हाथों में है। पार्टी की कमान हाथ में आने के साथ तेजस्वी यादव को 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका मिला। हालांकि तेजस्वी यादव ने इससे पार्टी को जल्द ही उबार लिया।
राज्य ब्यूरो, पटना। RJD की कमान हाथ में आने के साथ ही तेजस्वी यादव को 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका मिला। राजद उस चुनाव अपना खाता तक नहीं खोल पाई। लेकिन तेजस्वी ने अपनी मेहनत और सूझबूझ से 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद को 75 सीटें जीताकर राजद को बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया।
एक बार फिर चुनाव की बिसात सज रही है। राजद के लिए चुनौती है बिहार में भाजपा और जदयू के किले को ध्वस्त करना। लेकिन इस राह में तेजस्वी के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। राजद की चुनावी तैयारी, सोच और राजनीतिक एजेंडे की पड़ताल करती पटना से सुनील राज की रिपोर्ट।
एक नया एजेंडा सेट कर रहे तेजस्वी
तेजस्वी यादव जिन्हें कल तक लोग बिहार की राजनीति में लालू पुत्र के रूप में देखते थे, वे आज समय के साथ परिपक्व नेता हो चुके हैं।इस नेता ने पार्टी की कमान मिलने के बाद से इसमें आमूलचूल परिवर्तन कर यह संकेत दे दिए हैं कि राजद अब पुरानी पार्टी नहीं रही जो जाति समीकरण के दायरे में अपनी जमीन मजबूत करेगी।
एम-वाई समीकरण पर चलने वाली पार्टी में तेजस्वी ने बाप (बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी और पुअर यानी गरीब) तो जोड़ा ही इसमें विकास का एजेंडा भी शामिल कर दिया।
17 साल बनाम 17 महीने पर नीतीश को घेरने की तैयारी
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार में 17 महीने बिताने वाली राजद ने नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होते ही अपना चुनावी एजेंडा तय कर लिया था। जदयू और भाजपा सरकार की घेराबंदी के लिए 17 वर्ष बनाम 17 महीने में हुए काम को राजद ने अपना आधार बनाया है।
17 महीने की महागठबंधन सरकार में हुए कामों की जानकारी बिहार में जन-जन तक पहुंचाने के लिए पार्टी ने जन-विश्वास यात्रा तक निकाली और बिहार में घूम-घूमकर यह बताने में सफलता हासिल की कि जितने काम 17 महीने में राजद ने करा दिए उतने काम 17 वर्ष की राजग सरकार तक नहीं कर पाई।
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