बीमा कंपनियों की मनमानी नहीं चलेगी, होशियारी करनी पड़ी भारी; अब उपभोक्ताओं को देंगी ब्याज सहित राशि
Patna Insurance Companies अक्सर देखा गया है कि कोई दुर्घटना होने के बाद बीमा कंपनियां बीमे की राशि देने में आनाकानी करती हैं। तरह-तरह के जुमले बता देती हैं। हालांकि उपभोक्ताओं को घबराने की जरूरत नहीं है। उपभोक्ता आयोग में ऐसे मामलों की शिकायत की जा सकती है। हाल ही में उपभोक्ता आयोग ने ऐसे दो मामलों में उपभोक्ता के पक्ष में फैसला भी सुनाया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। दुर्घटना के बाद दो उपभोक्ताओं ने बीमा राशि के लिए दावा किया। कई तरह के झोल बताकर बीमा कंपनी के अधिकारी कन्नी काटने लगे। मामला उपभोक्ता आयोग में पहुंचा।
साक्ष्यों व तर्कों के आकलन के बाद आयोग ने अनुचित होशियारी से बाज आने की हिदायत देते हुए बीमित पक्ष को ब्याज सहित भुगतान का निर्देश दिया है।
जिला उपभोक्ता आयोग पहुंचीं पत्नी
पटना में दिनकर चौराहे पर फास्टफूड की दुकान चलाने वाले सुनील कुमार नालंदा जिला में चिरान के निवासी थे। वे अपनी दुकान में थे। बाहर अचानक शरारती तत्व गोलीबारी करने लगे। एक गोली सुनील को लगी। पीएमसीएच में उन्होंने दम तोड़ दिया।
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से सुनील ने पांच लाख का बीमा करा रखा था। उनकी पत्नी विमला कुमारी ने बीमे का दावा किया। इसे दुर्घटना के बजाय हत्या बताते हुए बीमा कंपनी ने दावेदारी को निरस्त कर दिया। वे जिला उपभोक्ता आयोग पहुंचीं।
अध्यक्ष विधु भूषण पाठक व सदस्य रजनीश कुमार ने तमाम न्यायालयों के निर्णयों का उदाहरण देते हुए इसे दुर्घटनात्मक हत्या करार दिया। इसी के साथ जनरल इंश्योरेंस को पांच प्रतिशत ब्याज के साथ बीमा राशि के भुगतान का निर्देश दिया।
दूसरी शिकायत कार से जुड़ी हुई
दूसरी शिकायत फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से संबंधित थी। उस कंपनी से पटना में कंकड़बाग के अरुण कुमार लाल ने अपनी फिएट कार का बीमा करा रखा था। वह कार ओला कंपनी में किराये पर चलने लगी।
हजारीबाग जाते समय कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई। चालक जाकिर हुसैन घायल हो गया। वैध ड्राइविंग लाइसेंस व दूसरे राज्य में दुर्घटना का हवाला देते हुए बीमा कंपनी ने क्लेम को निरस्त कर दिया।
दोनों पक्षों के तर्कों व साक्ष्यों को आकलन कर जिला उपभोक्ता आयोग ने पाया कि ड्राइविंग लाइसेंस भी वैध है और बीमे की दावेदारी भी। आदेश यह कि शिकायतकर्ता को दो माह के भीतर 5,79,710 रुपये का भुगतान किया जाए। इस राशि पर दावेदारी की तिथि से छह प्रतिशत ब्याज भी देना होगा।
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