Medical Claim: बीमा खरीदते समय छिपाई ऐसी बात, कंपनी ने नहीं दिया क्लेम; अब ब्याज और हर्जाने के साथ देने होंगे 30 लाख
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (बीमा) लेने का मन बना रहे और पॉलिसी खरीद चुके लोगों के लिए यह जरूरी खबर है। पॉलिसी लेने से पहले उसे ठीक से पढ़ना और समझ लेना बेहतर रहता है। खास तौर पर जब बात कैंसर जैसी बीमारी के कवरेज की हो तो यह और भी आवश्यक हो जाता है। वहीं विवाद होने की स्थिति में आप कहां जा सकते हैं यह जानना भी जरूरी है।
राज्य ब्यूरो, पटना। कैंसर कवरेज का बीमा खरीदते समय केशव सिंह ने यह नहीं बताया था कि उन्हें एनीमिया है। इस कारण मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने उनका दावा निरस्त कर दिया।
परंतु, उपभोक्ता आयोग के समक्ष बीमा कंपनी की चालबाजी नहीं चल सकी। कंपनी को अब ब्याज के साथ 30 लाख रुपये का भुगतान और हर्जाना अलग से देना होगा।
हीलाहवाली करने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-71 और 72 के तहत कानूनी कार्रवाई की राह अभी भी खुली है। उसमें तीन वर्ष तक जेल और एक लाख जुर्माना का प्रविधान है। यह सजा बीमित राशि की देनदारी के अतिरिक्त होगी।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, केशव सिंह अरवल जिले में करपी थाना क्षेत्र अंतर्गत चौहर चौक के मूल निवासी हैं। उन्होंने प्रदेश की राजधानी पटना के तकियापर इलाके में भी अपना घर बना रखा है। बल्कि, यूं कहें कि वह एक तरह से यहीं बस गए हैं।
गत 17 जून, 2020 को केशव सिंह ने 49938 रुपये वार्षिक प्रीमियम का भुगतान कर मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से 30 लाख रुपये की कैंसर कवरेज पॉलिसी ली थी।
जांघ की हड्डी में फ्रैक्चर होने पर वे उसी वर्ष 28 दिसंबर को हड्डी रोग अस्पताल में भर्ती हुए। वहां से डिस्चार्ज होने पर उन्होंने अगले वर्ष 20 जनवरी को सेकेंड ओपिनियन लिया।
उन्हें कैंसर रोग विशेषज्ञ से संपर्क की सलाह मिली। जांच-पड़ताल में उन्हें मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित पाया गया। इसके बाद उन्होंने बीमा का दावा किया, लेकिन कंपनी ने दावा निरस्त कर दिया।
दावा निरस्त होने के बाद केशव ने क्या किया?
केशव सिंह ने अपनी बीमा पॉलिसी खरीदते समय यह नहीं बताया था कि उन्हें एनीमिया है। परंतु, उनका दावा निरस्त हो चुका था, ऐसे में उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग की शरण में जाना बेहतर समझा।
इस तरह 17 अगस्त 2021 में उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग में अपना वाद दायर कर दिया।
जिला उपभोक्ता आयोग में केशव के साथ क्या हुआ?
जिला उपभोक्ता आयोग में केशव सिंह के मामले की आयोग अध्यक्ष प्रेम रंजन मिश्रा और सदस्य रजनीश कुमार ने सुनवाई की। इस दौरान उनके खून की जांच रिपोर्ट भी आयोग के समक्ष पेश की गई।
इस जांच रिपोर्ट में केशव के खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा 76 प्रतिशत बताई गई थी। सुनवाई में आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए एनीमिया होने की जानकारी नहीं देने को दावा निरस्त करने का एकमात्र आधार मानने से इनकार कर दिया।
केशव को अब क्या मिलेगा?
बता दें कि आयोग ने सुनवाई के बाद अब केशव सिंह के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है। आयोग अध्यक्ष और सदस्य ने अपने फैसले में मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 30 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
आयोग ने यह भी कहा कि ब्याज की गणना आयोग में मामला आने की तिथि (17 अगस्त, 2021) से की जाएगी। सेवा में त्रुटि के कारण 1 लाख रुपये और न्यायिक प्रक्रिया में खर्च के एवज में 10 हजार रुपये हर्जाना भी देना है।
45 दिनों में भुगतान नहीं करने पर बतौर कार्यान्वयन व्यय (एक्जीक्यूशन एक्सपेंस) पांच हजार रुपये भी अतिरिक्त देने होंगे।
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