यूपी के अवध में 'छोटी अयोध्या' बन जाता है बिहार का इस्लामपुर, संत भी पैर छूकर लेते हैं आशीर्वाद
बिहार के छोटे से कस्बे इस्लामपुर का उत्तर प्रदेश के अयोध्या औ अवध क्षेत्र से पुराना और गहरा रिश्ता है। बिहार के नालंदा जिले का एक कस्बा है इस्लामपुर। नई दिल्ली से खुलने वाली मगध एक्सप्रेस पटना होते हुए इस्लामपुर तक ही जाती है।
By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Sat, 15 Jan 2022 08:20 AM (IST)
इस्लामपुर (नालंदा), मुरलीधर प्रसाद केशरी। बिहार के नालंदा जिले का एक कस्बा है इस्लामपुर। नई दिल्ली से खुलने वाली मगध एक्सप्रेस पटना होते हुए इस्लामपुर तक ही जाती है। यह कस्बा पटना से बहुत अधिक दूर नहीं है। इस्लामपुर शहर का उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र और खासकर अयोध्या से बेहद नजदीक का रिश्ता है। अवध क्षेत्र में इस्लामपुर को छोटी अयोध्या के तौर पर जाना जाता है। इस शहर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है। इस्लामपुर के साथ कई संतों तथा राजाओं की कहानियां जुड़ी हैं।
स्वामी युगलानन्य शरण की है जन्मभूमिश्री स्वामी युगलानन्य शरण जी महाराज की यह जन्मभूमि रही है, जिन्होंने अवध में लक्ष्मण किला की स्थापना की थी। यही कारण है कि इस्लामपुर को अवध में छोटी अयोध्या कहा जाता है। सन् 1875 को इस्लामपुर की पावन भूमि इनका जन्म हुआ था। तेजस्वी व विलक्षण प्रतिभा के कारण इनका आठ वर्ष की आयु में ही यगोपवित्र हुआ।
शिक्षा के बहाने चले गए काशी और चित्रकूट
प्रख्यात विद्वान गुरु हरिकृष्ण के सानिध्य में इन्होंने शिक्षा ग्रहण किया लेकिन इनका बाल मन सांसारिक जीवन से हटकर प्रभु की उपासना में जुड़ गया। अपने पिता के अकेले संतान होने के कारण इन्होंने शिक्षा का बहाना बनाकर काशी की यात्रा की। बाद में चित्रकूट चले गए। चित्रकूट पहुंचकर इन्होंने कठोर साधना की। कहा जाता है कि कठिन साधना के प्रभाव से इन्होंने सीताराम जी का प्रत्यक्ष दर्शन एवं सानिध्य पाया। लंबे समय तक चित्रकूट में रहने के बाद ये अपने आराध्य का निर्देश पाकर अयोध्या जी आ गए। यहां उन्होंने सीता राम नाम प्रताप प्रकाश, श्री नाम कांति, धाम कांति, इश्क कांति, अवध महिमा सहित सौ से अधिक श्रेष्ठ भक्ति ग्रंथ की रचना की।
रीवा रियासत के दीवान ने बनवाया मंदिरश्री स्वामी युगलानन्य शरण जी महाराज की बढ़ती ख्याति को देखते रीवा इस्टेट मध्य प्रदेश के दीवान पंडित दीनबंधु पांडेय ने सरयू नदी तट पर एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया, जिसे समस्त भारत में आचार्य पीठ श्री लक्ष्मण किला के नाम से गौरव प्राप्त है। कहा जाता है कि धनी प्रतिभा के विलक्षण संत युगलानन्य जी के जन्म स्थल को आज भी लोग पूजनीय मानते हैं। लोगों का कहना है कि आज से तीन दशक पूर्व इस्लामपुर के लोग लक्ष्मण किला जाते थे। तब वहां के साधु-संत इस्लामपुर के लोगों का चरण छूकर अपने गुरु का आशीर्वाद पाना समझते थे। यही कारण है कि आज भी वहां के लोग इस्लामपुर को छोटी अयोध्या जी के रूप में देखते हैं।
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