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बहुत कम लोग जानते हैं इजरायल-बिहार की कहानी, कमाल की एग्रो टेक्नोलॉजी ने बदल दिया खेती का तरीका

Israel Bihar Story इजरायल और हमास के युद्ध ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया हुआ है लेकिन इजरायल और बिहार की कहानी को बहुत कम लोग ही जानते हैं। इजरायल की एग्रो टेक्नोलॉजी से बिहार के किसानों को काफी फायदा हुआ है। इसकी वजह से अब एक एकड़ में एक हजार आम के पौधे लगाए जा सकते हैं।

By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Aysha SheikhUpdated: Mon, 16 Oct 2023 01:23 PM (IST)
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बहुत कम लोग जानते हैं इजरायल-बिहार की कहानी, कमाल की एग्रो टेक्नोलॉजी ने बदल दिया खेती का तरीका
भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। इजरायल की नई कहानी में इन दिनों हमास, गाजा पट्टी में गोलाबारी और न जाने कितनी अलग-अलग बातें हैं, लेकिन बिहार के लिए इजरायल का अलग ही महत्व है। बिहार और इजरायल की कहानी बहुत कम लोग जानते हैं।

इजरायल बिहार में किसानों को आम की खेती की वह तकनीक उपलब्ध करा रहा है, जिससे एक एकड़ में एक हजार आम के पौधे लगाए जा सकते हैं। इसके अलावा, पाली हाउस में टमाटर और बैंगन की ग्राफ्टिंग की तकनीक भी बता रहा है।

तीन महीने पहले तक इजरायली कृषि विज्ञानी, जिसे एग्रीकल्चर अटैची कहा जाता है। पटना से दूसरा वैशाली के देसरी में स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में काम कर रहे थे। नालंदा के चंडी स्थित पाली हाउस में सब्जियों की ग्राफ्टिंग की तकनीक बता रहे थे।

इजरायल की एग्रो टेक्नोलाजी से बिहार में हो रहे बड़े-बड़े काम

इजरायल की एग्रो टेक्नोलाजी से बिहार में कई बड़े-बड़े काम हो रहे हैं। पहले आम की खेती की बात जानिए। बिहार में आम का पेड़ पहले दस गुना दस मीटर छोड़ कर लगाया जाता था। इससे एक हेक्टेयर में सौ पेड़ लगते थे। बाद में पांच गुना पांच मीटर में आम का पौधा लगाया जाने लगा।

इससे एक हेक्टेयर में 500 पौधे लगाए जाने लगे। वहीं, इजरायल के एग्री अटैची ने वैशाली के देसरी स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में ऐसी तकनीक बताई कि फार्म में ढाई गुना की जगह छोड़कर आम का पेड़ लगा सकते हैं।

इससे एक हेक्टेयर में एक हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। आम का पेड़ सात फीट होते ही फल देने लगता है। एक बार जब फल ले लिया जाता है तो फिर ऊपर से काट दिया जाता है। किसानों को इस तरह के पेड़ दिए भी गए हैं, जो कम पानी में भी तैयार हो जाते हैं।

केले और पपीते का पौधा लगाने की तकनीक

इजरायल के एग्री अटैची बिहार के देसरी में इसी वर्ष जुलाई में कृषि विज्ञानियों के साथ इस तकनीक पर काम कर रहे थे कि पाली हाउस में केला और पपीते की खेती किस तरह से की जाए।

केले के पेड़ का संकट है कि बहुत अधिक हवा में उसका घौद खराब हो जाता है। पाली हाउस में इसे लगाने पर मौसम का असर नहीं होता। पपीता भी इसी तरह तैयार हो रहा है। किसानों के बीच इस तकनीक से तैयार पौधे बेचे भी जा रहे।

सब्जियों की ग्राफ्टिंग तकनीक

नालंदा के चंडी स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में इजरायल के एग्री अटैची सब्जियों की ग्राफ्टिंग की तकनीक बता रहे हैं। टमाटर के साथ बैंगन की ग्राफ्टिंग के पौधे बंटे भी हैं।

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