Move to Jagran APP

Citizenship Ammendment Bill: आर-पार के मूड में प्रशांत किशोर, ट्वीट कर कही ये बड़ी बात

Citizenship Ammendment Bill जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने फिर से पार्टी लाइन से बाहर जाकर ट्वीट किया है और गैर बीजेपी राज्य के मुख्यमंत्रियों को नसीहत दी है। जानिए

By Kajal KumariEdited By: Updated: Sat, 14 Dec 2019 09:37 AM (IST)
Citizenship Ammendment Bill: आर-पार के मूड में प्रशांत किशोर, ट्वीट कर कही ये बड़ी बात
पटना, काजल। नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Ammendment Bill)  को लेकर जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) अपनी ही पार्टी के स्टैंड के खिलाफ हैं और लगातार ट्वीट कर अपनी बात सामने रख रहे हैं। शुक्रवार को उन्होंने फिर ट्वीट कर अपनी नाराजगी जतायी है। उन्होंने लिखा है कि बहुमत से संसद में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Ammendment Bill) पास हो गया। न्यायपालिका के अलावा अब 16 गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर भारत की आत्मा को बचाने की जिम्मेदारी है, क्योंकि ये एेसे राज्य हैं जहां इसे लागू करना है।

प्रशांत ने आगे लिखा कि तीन मुख्यमंत्री (पंजाब, केरल और पश्चिम) ने CAB और NRC को नकार दिया है और अब दूसरे गैर-बीजेपी राज्य के सीएम को अपना रूख स्पष्ट करने का समय आ गया है। 

बता देंम कि उनके ट्वीट पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने सार्वजनिक रूप से चेतावनी के साथ उन्हें परामर्श भी दिया कि अलग उनके विचार अलग हैं तो उन्हें पार्टी फोरम में अपनी बात रखनी चाहिए। इस तरह से ट्वीट कर सार्वजनिक रूप से पार्टी के स्टैंड के खिलाफ ना जाएं। लेकिन, इस बिल को लेकर प्रशांत किशोर मुखर हैं और उनकी बगावत सामने है।

बता दें कि संसद में जदयू के नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Ammendment Bill)  पर अपनी सहमति देने के बाद प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर निराशा जाहिर करते हुए अपनी राय रखी थी और कहा था कि यह बिल नागरिकों के नागरिकता के अधिकार से धर्म के आाधार पर भेदभाव करता है। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता और गांधी जी के सिद्धांतों को ले जेडीयू की प्रतिबद्धता का भी जिक्र किया था।

इसके बाद कुछ जदयू नेताओं ने उनका समर्थन भी किया था। उसके बाद अपने ही दल में अलग-थलग पड़ चुके जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने प्रदेश अध्यक्ष की नसीहत के बावजूद पुन: गुरुवार को जदयू के स्टैैंड के खिलाफ ट्वीट किया। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि हमें बताया गया है कि नागरिकता संशोधन विधेयक किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं, बल्कि लोगों को नागरिकता देने के लिए है, लेकिन सच्चाई यह है कि NRC और यह CAB सरकार के हाथ में एक ऐसा घातक जोड़ हो सकता है जिसके जरिए धर्म के आधार पर लोगों से भेदभाव कर उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है।

इसके पहले प्रशांत किशोर ने बिना नाम लिए ट्वीट के जरिए कहा था कि नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने ले पहले जेडीयू नेतृत्व को उनलोगों के बारे में भी सोचना चाहिए जिन्होंने 2015 में उनपर भरोसा और विश्वास जताया था। हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि 2015 की जीत के लिए पार्टी और इसके प्रबंधकों के पास जीत के बहुत रास्ते नहीं बचे थे।

बता दें कि प्रशांत किशोर शुरू से ही नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी के खिलाफ हैं और जदयू ने काफी वक्त तक इन मुद्दों पर अपना स्टैंड साफ नहीं किया था। लेकिन, अचानक संसद में जदयू ने नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर केंद्र सरकार का साथ दिया। इस वजह से प्रशांत किशोर ने पार्टी से खिलाफत की है और ट्वीट कर अपनी बात सामने रख रहे हैं।

प्रशांत ने कुछ दिनों पहले ही एनआरसी को लेकर भी ट्वीट किया था और लिखा था कि भारत की 55% से अधिक आबादी वाले 15 प्लस राज्यों में गैर-भाजपा मुख्यमंत्री हैं। आश्चर्य है कि उनमें से कितने से परामर्श किया जाता है और अपने-अपने राज्यों में NRC के लिए ऑन-बोर्ड हैं !!

अब प्रशांत ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ पूरी तरह से जंग छेड़ने का एेलान कर दिया है और अपने ट्वीट के साथ हैशटैग #NotGivingUp के माध्‍यम से यह सेंदेश भी दे दिया है कि वे इस मुद्दे को अब छोड़ने नहीं जा रहे।

स्‍पष्‍ट है कि उन्‍होंने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है। हालांकि इस मुद्दे को लेकर प्रशांत किशोर अकेले पड़ गए दिख रहे हैं। साथ ही पार्टी की तरफ से प्रशांत किशोर को इस बगावत की सजा भी मिलनी तय मानी जा रही है। अब देखना होगा कि पार्टी उन पर क्या बड़ी कार्रवाई कर सकती है?

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।