Bihar Politics : JDU का चुनावी एजेंडा क्लियर, ध्रुवीकरण के लिए चुन लिया ये मुद्दा, I.N.D.I.A को भी दिया बड़ा संदेश
Bihar Politics बिहार में सियासी खलबली मची हुई है। इस बीच जदयू ने जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में अपना चुनावी एजेंडा साफ कर दिया है। जदयू ने इसके साथ ही परोक्ष रूप से आईएनडीआईए को भी बड़ा संदेश दिया है। बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को इस कार्यक्रम में परिवारवाद को लेकर बड़ा बयान दिया था।
राज्य ब्यूरो, पटना। कर्पूरी जन्म शताब्दी के बड़े आयोजन के माध्यम से जदयू ने बुधवार को अपने चुनावी एजेंडा को बिल्कुल ही स्पष्ट अंदाज में आगे कर दिया। नीतीश कुमार ने अति पिछड़ों के ध्रुवीकरण की बात की।
बिहार में जिस तरह से अति पिछड़ों को आरक्षण है, उसी तरह देश भर में आरक्षण की व्यवस्था की बात स्पष्ट तरीके से रखी गई। यह जोर देकर कहा गया कि अति पिछड़ा ज्यादा गरीब हैं।
40 सीटों पर जीत का दावा, नीतीश पर फोकस
जदयू के जिन नेताओं का कर्पूरी जन्म शताब्दी समारोह में मंच से संबोधन हुआ, उनमें सभी ने नीतीश कुमार की झोली में 40 की 40 सीटें डालने की बात की।
पर इस क्रम में जदयू के किसी भी नेता ने यह नहीं कहा कि आईएनडीआईए के साथ मिलकर हम 40 की 40 सीटें जीतेंगे।
इस दौरान महागठबंधन के भी किसी दल का कोई जिक्र नहीं हुआ। पूरी तरह से नीतीश कुमार पर ही सभी केंद्रित रहे।
आईएनडीआईए को बड़ा संदेश
जदयू के नेताओं ने मंच से यह भी कहा कि अगर हम नीतीश कुमार के सबल नेतृत्व के साथ खड़े रहेंगे तो हमारे नेता का सम्मान तो बढ़ेगा ही साथ-साथ बिहार का सम्मान भी बढ़ेगा।
इशारे-इशारे में यह बात बतायी गयी कि किस तरह से जदयू नीतीश कुमार को दिल्ली में देखना चाहता है। कई सांसदों ने यह नारा भी लगाया कि देश का नेता कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो। इस पर मैदान में मौजूद लोगों ने खूब तालियां बजाईं।
चुनाव इन बातों पर होगा फोकस
कर्पूरी जन्म शताब्दी समारोह में आए लोगों को यह कहा गया कि नीतीश कुमार ने किस तरह से कर्पूरी के सपनों को साकार किया। किस तरह से वह अति पिछड़ा वर्ग के लोगों को सशक्त करने के काम में लगे हैं।
कर्पूरी जन्म शताब्दी समारोह में यह भी तय हुआ कि आम चुनाव में इस बार जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के आधार पर बढ़े आरक्षण के दायरे पर भी खूब बातें होंगी।
नीतीश कुमार ने तो कर्पूरी जयंती के मंच से ही यह विस्तार से बता दिया किस वर्ग को कितना आरक्षण था और जाति आधारित गणना के बाद उनकी सरकार ने उसमें कितने की बढ़ोतरी की गयी है।
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