HAM : जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' ने की बिहार इकाई भंग, कार्यकर्ताओं-समर्थकों को दिया बड़ा संदेश
Jitan Ram Manjhi बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा यानी हम ने अपनी प्रदेश इकाई को भंग कर दिया है। इसके लिए पार्टी की ओर से जारी किए गए एक पत्र में यह जानकारी दी गई है। यह पत्र पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव सह प्रवक्ता राजेश कुमार पाण्डेय की ओर से जारी किया गया है।
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा यानी 'हम' ने गुरुवार को बिहार प्रदेश की इकाई को भंग करने के साथ ही कार्यकर्ताओं और समर्थकों को बड़ा संदेश दे दिया है।
पार्टी की ओर से इस संबंध में राष्ट्रीय प्रधान महासचिव सह प्रवक्ता राजेश कुमार पाण्डेय ने यह पत्र जारी किया है। इस पत्र में जानकारी दी गई है कि प्रदेश की इकाई को भंग किया जा रहा है।
पार्टी की ओर से इस संबंध में राष्ट्रीय प्रधान महासचिव सह प्रवक्ता राजेश कुमार पाण्डेय ने यह पत्र जारी किया है। इस पत्र में जानकारी दी गई है कि प्रदेश की इकाई को भंग किया जा रहा है।
इस पत्र में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के हवाले से कहा गया है कि प्रदेश की इकाई को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाता है। इसके साथ ही कहा गया है कि जल्द ही दलहित में नई इकाई का गठन किया जाएगा।
राष्ट्रीय प्रधान महासचिव सह प्रवक्ता के हस्ताक्षर से जारी हुए इस पत्र में यह भी कहा गया है कि नई इकाई का गठन होने तक सभी पदाधिकारी पहले की तरह ही कार्य करते रहेंगे।
बता दें कि पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने बीते दिनों एनडीए के समर्थन का ऐलान किया था। ऐसे में आने वाले चुनावों को देखते हुए प्रदेश इकाई का भंग होना पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए बड़ी तैयारी का बड़ा संदेश माना जा रहा है।
राज्यपाल से मिले मांझी, जाति गणना पर रखी बात
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संस्थापक एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बुधवार को राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात की थी। करीब आधे घंटे की मुलाकात में मांझी ने जाति आधारित गणना से जुड़ी अपनी बात कही।
उन्होंने कहा कि मुसहर-भुइयां एक ही जाति के लोग हैं, लेकिन जाति आधारित गणना में उनके लिए अलग-अलग कोड आवंटित कर गणना की गई है। इससे मुसहर-भुइयां समाज को नुकसान हो रहा है।
इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मिलकर अनुरोध किया गया था, लेकिन गणना प्रपत्र में दोनों कोड का एकीकरण नहीं किया गया। इसमें सुधार कर ही गणना रिपोर्ट प्रकाशित किया जाना चाहिए।
मांझी ने कहा कि सरकारी कालेज में अधिसंख्य गरीब-वंचित वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं। पठन-पाठन की स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण यहां सात से आठ प्रतिशत उपस्थिति है।
इस कारण गरीब परिवार के बच्चों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पाती है, क्योंकि इसके लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है।
ऐसे में या तो उपस्थिति की सीमा को शिथिल कर दिया जाए या कॉलेज में नियमित पठन-पाठन की व्यवस्था में सुधार किया जाए, ताकि छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़ सके।