Nitish Kumar की नई सरकार में इस दिग्गज नेता को मिला वफादारी का इनाम, अब 'बोनस' पर टिकी है नजर
Bihar Politics News जीतन राम मांझी पिछली एनडीए सरकार का भी हिस्सा थे मगर तब और अब में काफी कुछ बदल गया है। तब मांझी एनडीए में जरूर थे मगर उनका गठबंधन नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से था। जदयू ने अपने कोटे से संतोष सुमन को जबकि भाजपा ने अपने कोटे से मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल में जगह दी थी।
कुमार रजत, पटना। जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को पहले ही दिन नीतीश कैबिनेट में जगह मिल गई है। मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन को मंत्री बनाया गया है। यह मांझी की वफादारी का इनाम है। तमाम कयासों को दरकिनार कर मांझी एनडीए की डगमगाती नाव को संभाले रहे। अब मांझी की नजर बोनस पर है। यह बोनस एक और मंत्री पद है, जिसकी उम्मीद मांझी लगाए बैठे हैं।
जीतन राम मांझी पिछली एनडीए सरकार का भी हिस्सा थे मगर तब और अब में काफी कुछ बदल गया है। तब मांझी एनडीए में जरूर थे मगर उनका गठबंधन नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से था। जदयू ने अपने कोटे से संतोष सुमन को जबकि भाजपा ने अपने कोटे से मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल में जगह दी थी।
इस बार की एनडीए सरकार में मांझी भाजपा के करीब हैं। कह भी चुके हैं कि जहां मोदी, वहां मांझी। ऐसे में मांझी को उम्मीद है कि नई सरकार में उन्हें एक और मंत्रीपद जरूर मिलेगा।
संतोष सुमन बोले, जो विभाग मिलेगा उसमें बेहतर करेंगे
मंत्रीपद की शपथ लेने के बाद संतोष कुमार सुमन ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि उन्हें जो भी विभाग मिलेगा, उसमें वह बेहतर काम करेंगे। कोई भी विभाग छोटा या बड़ा नहीं होता। एक और मंत्रीपद मिलने के सवाल पर कहा कि हमारी ओर से मांग तो की गई है, देखिए क्या होता है। नीतीश कुमार के साथ दोबारा आने के सवाल पर संतोष ने कहा कि पिछली सरकार में नीतीश जी जिस दबाव की बात कहते थे अब वह उससे मुक्त हो गए हैं। उम्मीद है कि बेहतर काम होगा। विधि-व्यवस्था भी दुरुस्त की जाएगी।
सात महीने बाद नई सरकार में एंट्री
जीतन राम मांझी की पार्टी हम की सरकार में करीब सात महीने बाद वापसी हुई है। मांझी महागठबंधन की सरकार का भी हिस्सा थे मगर पिछले साल जून में पार्टी विलय की शर्त न मानने पर संतोष कुमार सुमन ने मंत्रीपद छोड़ दिया था। इसके साथ ही पार्टी ने नीतीश कुमार से अपना समर्थन भी वापस ले लिया था। इसके कुछ ही दिन बाद मांझी भाजपा के खेमे में आ गए थे।ये भी पढ़ें- Nitish Kumar: नीतीश के लिए अचानक कैसे खुल गए भाजपा के दरवाजे? जानिए इसकी 'बैकडोर पॉलिटिक्स'
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