Lok Sabha Election : कटिहार में मुद्दों से ज्यादा ध्रुवीकरण की रफ्तार ने दिए परिणाम, लड़खड़ाई नैया तो याद आए नीतीश
Katihar Lok Sabha Seat बिहार में कटिहार लोकसभा सीट पर पिछले चुनावों के परिणाम बताते हैं कि यहां जमीनी मुद्दों से ज्यादा ध्रुवीकरण का असर होता है। हालांकि जानकार यह भी कहते हैं कि जहां ध्रुवीकरण से काम नहीं बनता वहां नीतीश कुमार लड़खड़ाती नैया को पार लगाने का काम करते हैं। बहरहाल सभी दल यहां अपना-अपना गणित भिड़ाने में जुटे हैं।
भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। कटिहार लोकसभा का चुनाव इस मायने में नोटिस लिया जाता रहा है कि वहां वोटरों में मुद्दे से अधिक ध्रुवीकरण की रफ्तार ने परिणाम दिए हैं।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, कटिहार की आबादी में 55 प्रतिशत हिस्सा हिंदुओं का है और 45 फीसद आबादी मुस्लिम की है।पिछले यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू के प्रत्याशी दुलालचंद गोस्वामी जीत जरूर गए पर उनकी जीत का अंतर बहुत अधिक नहीं था। उन्हें 5,59,423 वोट मिले थे, जो 50.05 प्रतिशत था।
वहीं, उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के तारिक अनवर को 5,02,220 वोट मिले थे, जो 44.93 प्रतिशत था। ऐसे में ध्रुवीकरण के असर को समझा जा सकता है।इस बार भी कांग्रेस की टिकट पर वहां से मैदान में तारिक अनवर हैं और जदयू ने पुन: दुलालचंद गोस्वामी को वहां से अपना उम्मीदवार बनाया है।
बहुत नई नहीं है ध्रुवीकरण की बात
कटिहार में ध्रुवीकरण की बात बहुत नई नहीं है। बात 1991 की है। जनता दल ने वहां से चुनाव में यूनुस सलीम को मैदान में उतार दिया था। दिलचस्प बात यह थी कि 1990 में वह बिहार के गवर्नर थे।
यूपी के रहने वाले यूनुस सलीम का कर्मक्षेत्र हैदराबाद रहा था। इसके बाद भी ध्रुवीकरण की वजह से वह कटिहार लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीत गए थे। तारिक अनवर तीन बार कटिहार से सांसद रहे हैं और इस बार भी मैदान में हैं।
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