गर्मी में खास सावधानी बरतें किडनी, मधुमेह-बीपी और हृदय रोगी; नसें फैलने से घटा रक्तप्रवाह
डा. एके झा व कार्डियोलाजिकल सोसायटी आफ इंडिया कार्यकारिणी के सदस्य डा. बीबी भारती ने बताया कि 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्मी प्रदूषण व आर्द्रता की अधिकता के कारण हृदय किडनी मधुमेह उच्च रक्तचाप ब्रेन स्ट्रोक व मस्तिष्क संबंधी अन्य समस्याएं शिकंजा कस देती है। शरीर अपना तापमान नियंत्रित करने के लिए पसीना निकालता है लेकिन उमस के कारण वह सूख नहीं पाता।
जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी का तापमान दो दिन से भले ही बहुत अधिक परेशान नहीं कर रहा हो, लेकिन हृदय, किडनी, मधुमेह व बीपी रोगियों को लापरवाही नहीं करनी है। जो लोग मधुमेह-बीपी की दवा खाते हों, पूर्व में एंजाइना पेन, हृदयाघात या फेल्योर, किडनी आदि की शिकायत हुई हो वे गर्मी से बचाव करते रहें।
तापमान किसी भी दिन 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक यानी हीटवेब की स्थिति में जा सकता है। ऐसे में सीधी धूप के संपर्क में आने से यदि शरीर का तापमान एक डिग्री सेल्सियस भी बढ़ गया तो हृदय या किडनी के गंभीर लक्षण उभरने की आशंका 10 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
ये बातें कार्डियोलाजी सोसायटी ऑफ इंडिया बिहार शाखा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एके झा ने दी। बताते चलें कि हाल के दिनों में इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के सभी बेड भर गए थे और इमरजेंसी से रोगियों को पीएमसीएच रेफर किया जा रहा था।
घबराहट, बेचैनी व धड़कन बढ़ने की शिकायतें बढ़ीं :
डा. एके झा व कार्डियोलाजिकल सोसायटी आफ इंडिया कार्यकारिणी के सदस्य डा. बीबी भारती ने बताया कि 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्मी, प्रदूषण व आर्द्रता की अधिकता के कारण हृदय, किडनी, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ब्रेन स्ट्रोक व मस्तिष्क संबंधी अन्य समस्याएं शिकंजा कस देती है। शरीर अपना तापमान नियंत्रित करने के लिए पसीना निकालता है लेकिन उमस के कारण वह सूख नहीं पाता। इससे शरीर का तापमान तो कम नहीं ही होता है बल्कि किडनी व हृदय के लिए जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स सोडियम-पोटैशियम आदि कम हो जाते हैं।
इसके अलावा शरीर में पानी की कमी से खून गाढ़ा हो जाता है और थक्का बनने की आशंका बढ़ जाती है। इससे हृदय अत्यधिक काम करने के बावजूद विभिन्न अंगों तक पर्याप्त खून नहीं पहुंचा पाता है। इसके सामान्य लक्षण घबराहट, बेचैनी, धड़कन बढ़ने के मरीज बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसके अलावा नसों में ब्लाकेज, इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक के साथ किडनी रोगी गंभीर लक्षण लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
बताते चलें कि पसीने के साथ शरीर से खनिज तत्व यानी सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फेट, क्लोराइड जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन गड़बड़ा जाता है। यही इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखने, कोशिकाओं में पोषक तत्वों को पहुंचाने, अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने, तंत्रिकाओं को सिग्नल भेजने में मदद करना, मांसपेशियों को आराम के साथ मस्तिष्क व हृदय की कार्यप्रणाली को सुचारू बनाए रखने में की अहम भूमिका निभाते हैं।
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