KK Pathak: कितने पढ़े लिखे हैं केके पाठक? इन डिग्रियों के साथ UPSC में लहराया था परचम
Bihar News बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक भले ही कड़क मिजाज के दिखते हों लेकिन उन्होंने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए हर संभव कोशिश की। उनकी मेहनत अब रंग लाती भी दिख रही है। अब जानकारी आ रही है कि उन्होंने पद छोड़ दिया है। उनके अचानक पद छोड़ने से शिक्षक हैरान हैं। हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
संजीव कुमार, डिजिटल डेस्क, पटना। KK Pathak Biography: बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने वाले कड़क मिजाज अधिकारी केके पाठक यानी केशव कुमार पाठक इन दिनों लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें जब से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपी है, तब से वह लगातार एक्टिव मोड में दिख रहे हैं। केके पाठक के कड़े एक्शन की वजह से सभी शिक्षकों ने भी सही राह पकड़ ली है।
केके पाठक छात्रों और शिक्षकों दोंनो की उपस्थिति को लेकर लगातार अपनी पैनी निगाह बनाए हुए हैं। वे स्कूल में शौचालय से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी नजर बनाए हुए हैं। केके पाठक जितने कड़क मिजाज छवि के दिखते हैं वह उतने ही टैलेंट भी हैं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण डिग्रियां हासिल कर रखी हैं।तो चलिए आज हम आपलोगों को बताएंगे कि केके पाठक कितने पढ़े लिखे हैं और कौन-कौन सी डिग्रियां उन्होंने हासिल कर रखी है। इसके साथ बताएंगे कि यूपीएससी उन्होंने किस साल पास की थी और किस जगह सबसे पहले पोस्टिंग हुई थी।
कितने पढ़े लिखे हैं केके पाठक? (kk pathak qualification)
केके पाठक (kk pathak) का जन्म 15 जनवरी 1968 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह बचपन से पढ़ाई में मेधावी थे। उन्होंने दो महत्वपूर्ण डिग्रियां हासिल कर रखी हैं। उन्होंने अर्थशास्त्र (Economics) से स्नातक कर रखा है। इसके बाद उन्होंने अर्थशास्त्र से ही एम. फिल (m phil in economics) कर रखा है। यूपीएससी में उनकी रैंक टॉप 40 में थी।
1990 में केके पाठक की पहली पोस्टिंग कटिहार में हुई थी
1990 में केके पाठक की पहली पोस्टिंग कटिहार में हुई थी। केके पाठक को डीएम के रूप में पहली पोस्टिंग 1996 में मिली। फिर साल 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनी तो केके पाठक को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण के एमडी की जिम्मेदारी मिली थी।इतना ही नहीं बिहार आवास बोर्ड का सीएमडी भी बनाया गया। वह 2010 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए थे लेकिन फिर 2015 में नीतीश कुमार की रिक्वेस्ट पर केंद्र ने उन्हें बिहार भेज दिया। 2016 में ही शराबबंदी अभियान में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी। 2021 में उन्हें फिर से उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया।
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