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KK Pathak के इस आदेश से शिक्षकों में हड़कंप! अब मीडिया में नहीं दे पाएंगे कोई बयान; 'मास्टर जी' की हर तरफ रहेगी नजर

उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. रेखा कुमारी ने बताया कि सभी विश्वविद्यालयों को पत्र के माध्यम से शिक्षा विभाग के विरुद्ध बयानबाजी को लेकर पहले ही सचेत किया गया है। इसका अनुपालन नहीं करने वालों के वेतन व पेंशन पर रोक लगाने का पत्र संबंधित विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा निदेशक ने अपने पत्र में कठोर दंडात्मक कार्रवाई जैसे शब्दों का प्रयोग किया है।

By Jagran NewsEdited By: Rajat MouryaUpdated: Thu, 30 Nov 2023 10:24 PM (IST)
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केके पाठक के इस आदेश से शिक्षकों में हड़कंप! अब मीडिया में नहीं दे पाएंगे कोई बयान (प्रतीकात्मक तस्वीर)

जागरण संवाददाता, पटना। बिहार में शिक्षकों ने यदि मीडिया में किसी प्रकार का बयान दिया या कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की तो वे कार्रवाई के घेरे में आ जाएंगे। इंटरनेट मीडिया पर इस तरह के बयान देने वाले राज्य के करीब 70 शिक्षकों व कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। विभिन्न जिलों के शिक्षकों व कर्मचारियों से जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय व विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों ने पत्र जारी कर कारण बताने को कहा है।

पत्र जारी होने के 24 घंटे के अंदर उचित जवाब नहीं देने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए वरीय अधिकारियों को यह अग्रसारित कर दिया जाएगा। पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार के अनुसार, शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों के किसी भी संघ को मान्यता नहीं दी गई है। इस संबंध में निदेशक माध्यमिक शिक्षा का पत्र प्राप्त हुआ है।

अनुशासनिक कार्रवाई का निर्देश

इसके अनुसार किसी भी शिक्षक या शिक्षकेतर कर्मी को किसी भी संघ का सदस्य बनने की मनाही है। संघ की स्थापना और उसकी सदस्यता गंभीर कदाचार की श्रेणी में चिह्नित है। इसके साथ ही इंटरनेट मीडिया, समाचार पत्र या टीवी के माध्यम से अनर्गल प्रचार-प्रसार नहीं किया जाएगा। इसका पालन नहीं करने वालों पर कठोर अनुशासनिक कार्रवाई का निर्देश है।

इसी पत्र के आलोक में जिले के कुछ शिक्षकों द्वारा अवकाश तालिका को लेकर इंटरनेट मीडिया पर की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया भी है, लाइक भी किया गया है। इसकी निगरानी के लिए भी टीम बनाई गई है कि किस पोस्ट पर कौन टिप्पणी कर रहा है, कौन लाइक कर रहा है। इसे अनुशासनहीनता बताते हुए 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।

उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. रेखा कुमारी ने बताया कि सभी विश्वविद्यालयों को पत्र के माध्यम से शिक्षा विभाग के विरुद्ध बयानबाजी को लेकर पहले ही सचेत किया गया है। इसका अनुपालन नहीं करने वालों के वेतन व पेंशन पर रोक लगाने का पत्र संबंधित विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को भेजा गया है। द फेडरेशन आफ यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन आफ बिहार (फुटाब) के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. कन्हैया बहादुर सिन्हा से भी विभाग ने स्पष्टीकरण मांगा है।

उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा निदेशक ने अपने पत्र में कठोर दंडात्मक कार्रवाई जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। पेंशन रोकने का निर्देश दिया गया है। यदि उच्च शिक्षा निदेशक अपने कृत्य पर अफसोस व्यक्त नहीं करती हैं तो उनके सहित शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव व सचिव के विरुद्ध कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया जाएगा।

विवाद की जड़ क्या है?

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश के अनुसार कोई भी शिक्षक किसी भी संगठन का सदस्य नहीं रह सकता। वह सरकार पर टीका-टिप्पणी नहीं कर सकता। उसके मीडिया या इंटरनेट मीडिया में बोलने पर भी कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। साथ ही जिला स्तर पर मॉनिटरिंग के लिए अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। आदेश के उल्लंघन को लेकर अभी तक 54 स्कूली शिक्षकों तथा 12 विश्वविद्यालय व कालेज शिक्षकों व कर्मियों से स्पष्टीकरण मांगा जा चुका है। शिक्षक संघ इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश बताते हुए कोर्ट जा रहे हैं।

इस आदेश का विश्वविद्यालय के प्रबंधन पर भी असर पड़ेगा। विवि सीनेट में कर्मचारी संघ व शिक्षक संघ के प्रतिनिधि रहते हैं। जब शिक्षा विभाग ऐसे संघों को मान्यता ही नहीं देगा तब सीनेट में इसके प्रतिनिधि कैसे रहेंगे, यह सवाल पूछा जा रहा है।

सर्विस रूल्स में संगठन बनाने का है प्रविधान

पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रास बिहारी प्रसाद सिंह ने बताया कि सर्विस रूल्स में ही संगठन बनाकर चयनित प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी बात कहने का प्रविधान है। संघ या संगठन की पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक होती है। चुनाव कर प्रतिनिधियों का चयन होता है। सभी जिम्मेदारी तय होती है।

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