बिहार शिक्षा विभाग ने राज्य के विश्वविद्यालयों में ऑडिट के जरिये वित्तीय गड़बड़ियों की पोल खोलने की शुरुआत कर दी है। इसमें जिम्मेदार अफसरों पर प्राथमिकी दर्ज होगी। ऑडिट में हर विश्वविद्यालय में कुछ न कुछ वित्तीय अनियमितता मिलनी तय माना जा रहा है जिसे विश्वविद्यालयों ने अबतक छिपा रखा है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में शिक्षा विभाग की टीम ऑडिट शुरू कर चुकी है।
By Dina Nath SahaniEdited By: Mohit TripathiUpdated: Wed, 23 Aug 2023 05:06 PM (IST)
दीनानाथ साहनी, पटना: बिहार
शिक्षा विभाग ने राज्य के विश्वविद्यालयों में ऑडिट के जरिये वित्तीय गड़बड़ियों की पोल खोलने की शुरुआत कर दी है। शिक्षा विभाग ऑडिट में गड़बड़ी मिलने पर जिम्मेदार अफसरों पर प्राथमिकी दर्ज कराने की तैयारी में है।
विभाग के एक बड़े अफसर ने बुधवार को स्वीकार किया कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता के नाम पर अधिकारियों को आर्थिक अपराध या अन्य गड़बड़ी करने की छूट नहीं दी जाएगी।
अधिकारी का कहना है कि ऑडिट में हर विश्वविद्यालय में कुछ न कुछ वित्तीय अनियमितता मिलनी तय है, जिसे विश्वविद्यालयों ने अबतक छिपा रखा है।
वीर कुंवर सिंह विवि में ऑडिट शुरू
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में शिक्षा विभाग की टीम ऑडिट शुरू कर चुकी है। वेतन सत्यापन कोषांग के पदाधिकारी विश्वविद्यालय में वित्तीय मामलों के दस्तावेज की जांच-पड़ताल कर रहे हैं। इसी सप्ताह अन्य विश्वविद्यालयों में ऑडिट का काम शुरू हो जाएगा।
राजभवन पर शिक्षा विभाग ने बनाया दबाव
शिक्षा विभाग के इस कदम से बिहार सरकार और राजभवन के बीच टकराव और अधिक बढ़ने के आसार हैं।
शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थु को पत्र भेजकर दो टूक कहा है कि शिक्षा विभाग अपने उन आदेशों को वापस नहीं लेगा, जिसमें डॉ. B. R. अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रति-कुलपति के वेतन और वित्तीय अधिकारों पर रोक लगाई है।
शिक्षा विभाग ने राजभवन को साफ कहा है कि अपने उन आदेशों के कार्यान्वयन के लिए दबाव बनाएगा।
इधर, राजभवन ने शिक्षा विभाग की कार्रवाई को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए उसे वापस लेने हेतु शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव को पत्र लिखा है।
दरअसल, शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के विश्वविद्यालयों की विश्वविद्यालयवार समीक्षा की जा चुकी है। इन बैठकों में खुद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक शामिल हो चुके हैं। वे सभी विश्वविद्यालयों की हकीकत जान चुके हैं। इसलिए अब वे एक्शन के मूड में हैं।
चार हजार करोड़ खर्च तो सुधार भी आवश्यक
शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने साफ तौर से कहा कि राज्य सरकार प्रतिवर्ष विश्वविद्यालयों को चार हजार करोड़ रुपये देती है।
ऐसे में राज्य सरकार की इस बात की जिम्मेदारी है कि विश्वविद्यालय तय जिम्मेदारियों का निर्वाह करें, उच्च शिक्षा में सुधार लाएं और छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य का निर्माण करें, इसे सुनिश्चित कराए।
इसके लिए उन्होंने अपने पत्र में बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम,1976 की धारा 4 (2) का हवाला दिया है।
बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय को बताया डिफाल्टर
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय डिफाल्टर रहा है। सरकार के आदेश की भी अवहेलना की है।
महाविद्यालय निरीक्षक द्वारा विश्वविद्यालय के विभागों एवं छात्रावासों का निरीक्षण भी नहीं किया जा रहा है। जबकि, इससे संबंधित प्रविधान अधिनियम की धारा 4 (5) में है।
विश्वविद्यालय छात्रों और उनके अभिभावकों के प्रति अपने उत्तरदायित्व के निर्वहन में विफल रहा है। ऐसे में राज्य सरकार चुप नहीं रह सकती है।
इसे स्वायत्तता पर हमला इसलिए नहीं कहा जा सकता कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 में इसका उल्लेख ही नहीं है।
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