नवरात्र से नववर्ष के पंचांग की गणना, जानिए इसका ज्योतिष व वैज्ञानिक महत्व
नवरात्र से नववर्ष के पंचांग की गणना आरंभ होती है। इसका ज्योतिष व वैज्ञानिक महत्व है। आइए जानते हैं।
By Amit AlokEdited By: Updated: Tue, 28 Mar 2017 08:12 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। चैत्र नवरात्र बुधवार से शुरू होगा। चैत्र नवरात्र से ही नववर्ष के पंचांग की गणना प्रारंभ होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां शक्ति अवतरित हुई थीं और देवी के कहने पर ही ब्रह्मा को सृष्टि निमार्ण करने का आदेश दिया गया था। नवरात्र का ज्योतिष व वैज्ञानिक महत्व भी है। इसी दिन से सूर्य का राशि परिवर्तन होता है।
रामनवमी पांच को
पटना के पंडित नागेन्द्र दास बताते हैं कि नवरात्र के तीसरे दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर भक्तों का उद्धार किया था। भगवान विष्णु के अन्य अवतार माने जाने वाले भगवान श्रीराम का जन्म भी चैत्र नवमी को ही हुआ था। इस बार पांच अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी।
पटना के पंडित नागेन्द्र दास बताते हैं कि नवरात्र के तीसरे दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर भक्तों का उद्धार किया था। भगवान विष्णु के अन्य अवतार माने जाने वाले भगवान श्रीराम का जन्म भी चैत्र नवमी को ही हुआ था। इस बार पांच अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी।
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नवरात्र के ज्योतिष एवं वैज्ञानिक महत्व
ज्योति शास्त्र के अनुसार नवरात्र से ही सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। पटना के आचार्य वैदिक ने कहा कि नवरात्र के समय ही सूर्य 12 राशियों में भ्रमण पूरा करते हैं।नवरात्र का वैज्ञानिक महत्व भी है। ग्रीष्म ऋतु में बीमारियों की अत्यधिक आशंका रहती है। ऐसे में नवरात्र में उपवास व तप करने से शरीर स्वस्थ और निरोग होता है। शरीर को शुद्ध और मजबूत बनाने में नवरात्र का पाठ विशेष लाभकारी होता है।
नवरात्र का अलग-अलग राशियों पर प्रभाव
मेष - सामान्य फलदायक, पारिवारिक उलझन, धार्मिक कार्य में विलंब, मित्रों में वृद्धि।
वृष - शुभदायक, शनि की ढैया से परेशानी, कार्य में अवरोध, धार्मिक कार्य करने का अवसर, सफलता का सुख, अकारण भय।
मिथुन - यश का लाभ, भाई-बहनों की उन्नति, शारीरिक संकट, विरोधी उत्पन्न, धार्मिक कार्य में कठिनाई, परिवार में मांगलिक कार्य।
कर्क - सामान्य सुख की प्राप्ति, व्यवसाय का लाभ, रुके कार्य बनेंगे, घर में मांगलिक कार्य संपन्न, परिवार से सहयोग।
सिंह - विरोधी से सामना, सुख-सुविधा में खर्च, नौकरी में पदोन्नति, शारीरिक कष्ट।
कन्या - मानसिक असंतोष, आर्थिक क्षति, बाल-बच्चों को पीड़ा, मित्रों से विरोध, हनुमान चालीसा पाठ से लाभ।
तुला - मानसिक और आर्थिक परेशानी, नए कार्य का श्रीगणेश, आर्थिक परेशानी, नौकरी में पदोन्नति।
वृश्चिक - शनि की साढ़े साती के कारण मानसिक परेशानी, दांपत्य जीवन में खुशी, व्यापार में लाभ।
धनु - उदर विकार, आर्थिक कठिनाई, विरोधियों का प्रभाव, हनुमान की आराधना लाभकारी।
मकर - सामान्य लाभ, माता-पिता द्वारा धार्मिक कार्य, शारीरिक परेशानी, मित्रों का विरोध, विद्यार्थी की सफलता, नवीन कार्य का शुभारंभ।
मीन - सामान्य लाभ, नया कार्य आरंभ करने का अवसर, चोट-चपेट, शत्रु पराजित, प्रवासी जीवन, नारायण की पूजा लाभकारी।
पूजन विधि
नवरात्र के ज्योतिष एवं वैज्ञानिक महत्व
ज्योति शास्त्र के अनुसार नवरात्र से ही सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। पटना के आचार्य वैदिक ने कहा कि नवरात्र के समय ही सूर्य 12 राशियों में भ्रमण पूरा करते हैं।नवरात्र का वैज्ञानिक महत्व भी है। ग्रीष्म ऋतु में बीमारियों की अत्यधिक आशंका रहती है। ऐसे में नवरात्र में उपवास व तप करने से शरीर स्वस्थ और निरोग होता है। शरीर को शुद्ध और मजबूत बनाने में नवरात्र का पाठ विशेष लाभकारी होता है।
नवरात्र का अलग-अलग राशियों पर प्रभाव
मेष - सामान्य फलदायक, पारिवारिक उलझन, धार्मिक कार्य में विलंब, मित्रों में वृद्धि।
वृष - शुभदायक, शनि की ढैया से परेशानी, कार्य में अवरोध, धार्मिक कार्य करने का अवसर, सफलता का सुख, अकारण भय।
मिथुन - यश का लाभ, भाई-बहनों की उन्नति, शारीरिक संकट, विरोधी उत्पन्न, धार्मिक कार्य में कठिनाई, परिवार में मांगलिक कार्य।
कर्क - सामान्य सुख की प्राप्ति, व्यवसाय का लाभ, रुके कार्य बनेंगे, घर में मांगलिक कार्य संपन्न, परिवार से सहयोग।
सिंह - विरोधी से सामना, सुख-सुविधा में खर्च, नौकरी में पदोन्नति, शारीरिक कष्ट।
कन्या - मानसिक असंतोष, आर्थिक क्षति, बाल-बच्चों को पीड़ा, मित्रों से विरोध, हनुमान चालीसा पाठ से लाभ।
तुला - मानसिक और आर्थिक परेशानी, नए कार्य का श्रीगणेश, आर्थिक परेशानी, नौकरी में पदोन्नति।
वृश्चिक - शनि की साढ़े साती के कारण मानसिक परेशानी, दांपत्य जीवन में खुशी, व्यापार में लाभ।
धनु - उदर विकार, आर्थिक कठिनाई, विरोधियों का प्रभाव, हनुमान की आराधना लाभकारी।
मकर - सामान्य लाभ, माता-पिता द्वारा धार्मिक कार्य, शारीरिक परेशानी, मित्रों का विरोध, विद्यार्थी की सफलता, नवीन कार्य का शुभारंभ।
मीन - सामान्य लाभ, नया कार्य आरंभ करने का अवसर, चोट-चपेट, शत्रु पराजित, प्रवासी जीवन, नारायण की पूजा लाभकारी।
पूजन विधि
नवरात्रि के दिन सुबह उठकर शुद्ध जल से स्नान करके घर की साफ-सफाई कर मिट्टी से वेदी बनाएं। वेदी में जौ और गेहूं दोनों मिलाकर बोए। वेदी पर विधिवत कलश स्थापना कर पूजन करें। इसके बाद भगवान गणेश, पंचदेवता आदि की पूजा करने के बाद वैदिक मंत्रों के साथ मां की प्रतिमा स्थापित करें। कुमकुम, चावल, पुष्प, इत्र आदि से विधिवत पूजा कर मां दुर्गा का पाठ आरंभ करें।
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