Politics: 'बिहार में महाराष्ट्र जैसी कोशिश... ', ललन सिंह ने सियासी बवाल के बीच भाजपा को लेकर कही यह बात
Bihar Politics महाराष्ट्र में एनसीपी में हुई फूट और अजित पवार समेत पार्टी के विधायकों के भाजपा और शिवसेना शिंदे गुट की सरकार में शामिल होने पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जनता की ताकत पर विश्वास नहीं करती है जोड़तोड़ पर विश्वास करती है। जनता की ताकत से उन्हें (भाजपा को) झटका लगेगा।
By Jagran NewsEdited By: Prateek JainUpdated: Sun, 02 Jul 2023 11:00 PM (IST)
पटना, एएनआई: महाराष्ट्र में एनसीपी में हुई फूट और अजित पवार समेत पार्टी के विधायकों के भाजपा और शिवसेना शिंदे गुट की सरकार में शामिल होने पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जनता की ताकत पर विश्वास नहीं करती है, जोड़तोड़ पर विश्वास करती है। जनता की ताकत से उन्हें (भाजपा को) झटका लगेगा। वहीं, यह पूछे जाने पर कि क्या महाराष्ट्र जैसी स्थिति बिहार में भी हो सकती है? इस पर ललन सिंह ने कहा कि यह कोशिश बहुत बार हो चुकी है।
#WATCH | "BJP doesn't believe in the strength of people...they believe in breaking parties & one day they will get the shock...": JD(U) President Lalan Singh on Ajit Pawar joining Shinde govt and taking oath as Maharashtra Dy CM pic.twitter.com/ULAB2IDOum
— ANI (@ANI) July 2, 2023
वहीं, महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि यह अफसोसजनक है। भाजपा स्वस्थ शासन देने के बजाय जांच एजेंसियों जैसे ईडी, सीबीआई और आईटी का इस्तेमाल कर दबाव बनाती है और फिर अपना काम करती है।
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि यह विपक्षी एकजुटता पर आघात है। बिहार के बाद महाराष्ट्र विपक्षी एकता का बड़ा गढ़ था।
भाजपा ने एनसीपी से हाथ कैसे मिला लिया? - केसी त्यागी
इस पक्ष भी चर्चा होनी चाहिए कि अजित पवार पर दर्जनों मामले दर्ज हैं। एनसीपी को भाजपा नेशनल करप्शन पार्टी कहती रही है। ऐसे में भाजपा ने एनसीपी से हाथ कैसे मिला लिया।
भाजपा को भी इस पर सोचना होगा, जिस समय 24 घंटे के लिए अजित पवार को भाजपा ने पिछली बार अपने साथ जाेड़कर सत्ता से जोड़ा था, तब उनके मुकदमे वापस होने लगे थे। वहीं, जब वह पुन: वापस एनसीपी में आ गए तो उन पर फिर जांच शुरू हो गयी।भाजपा दबाव बनाती है और फिर अपने साथ आने को विवश कराती है। शासक दल द्वारा एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल किया जाता है। सबसे अधिक नोटिस में लिए जाने वाली बात यह है कि प्रफुल्ल पटेल ने भी शरद पवार का साथ छोड़ दिया है।
भाजपा विपक्षी दलों को चुनाव में पराजित किए जाने की जगह उन पर जांच ऐजेंसियों का दबाव बना उन्हें रास्ते से हटाती है।
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