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Lalu Prasad Yadav: सबके काम आ रहे लालू प्रसाद यादव, राजद से निकले तीन नेताओं के हाथ में तीन दलों की कमान

भाजपा के सम्राट चौधरी जदयू के उमेश कुशवाहा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह की राजनीतिक पारी राजद से ही शुरू हुई। तीनों को लालू का मार्गदर्शन मिला। चौधरी तो राबड़ी देवी की सरकार में ही पहली बार मंत्री बने थे।

By Arun AsheshEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 24 Mar 2023 09:20 PM (IST)
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सबके काम आ रहे लालू प्रसाद यादव, राजद से निकले तीन नेताओं के हाथ में तीन दलों की कमान
अरुण अशेष, पटना। आज तीन प्रमुख दलों की प्रदेश इकाई के प्रधान ऐसे हैं, जिनकी राजनीतिक पारी की शुरुआत लालू प्रसाद की पाठशाला में ही हुई थी।

विधानसभा में मुख्य विरोधी दल भाजपा ने तो लगातार दो ऐसे नेताओं को पार्टी की कमान दी है, जिन्होंने राजद के साथ राजनीति शुरू की थी।

पहले डा. संजय जायसवाल और बाद में सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह और जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह भी पहला चुनाव लालू प्रसाद की पार्टी से ही लड़े थे।

बुरी तरह हारे थे संजय

भाजपा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष और सांसद डा. संजय जायसवाल पहला विधानसभा चुनाव राजद के टिकट पर बेतिया से लड़े थे।

2005 की फरवरी में हुए चुनाव में वह चौथे नंबर पर चले गए थे। सात हजार से भी कम वोट मिले। हार के बाद उन्होंने भाजपा का हाथ थामा।

2009, 2014 और 2019 में पश्चिमी चंपारण से लगातार भाजपा के सांसद चुने गए।

कुशवाहा का भी हार से स्वागत

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी पहली बार 2005 में राजद टिकट पर वैशाली जिला के जंदाहा से उम्मीदवार बने। दूसरे नम्बर पर रहे।

इसी जिले के महनार से वे विधानसभा का दूसरा चुनाव निर्दलीय की हैसियत से 2010 में लड़े। इस बार भी हार हुई।

तीसरे प्रयास में 2015 में महनार विधानसभा से इनकी जीत हुई। संयोग यह कि उस साल राजद और जदयू में चुनावी तालमेल था।

राजद की मदद और जदयू की टिकट पर कुशवाहा विधानसभा पहुंच गए। 2020 में राजद का सहारा नहीं मिला।

राजद उम्मीदवार वीणा देवी के हाथों उमेश कुशवाहा की हार हो गई।

सिर्फ राजद टिकट पर हुई जीत

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह अपने राजनीतिक जीवन में कुल पांच चुनाव लड़े हैं। दो बार जीत हुई।

पहली बार राजद टिकट पर 2000 में अरवल से विधानसभा के लिए चुने गए। राजद टिकट पर दूसरा चुनाव 2004 में मोतिहारी लोकसभा क्षेत्र से लड़े।

कांग्रेस से 2009 और 2014 का लोकसभा और 2015 का विधानसभा चुनाव अखिलेश को रास नहीं आया।

तीनों में हार हुई। अभी वे कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं। इसमें भी राजद का योगदान है।

सम्राट पर लालू कृपा

भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष बने सम्राट चौधरी का विधानसभा प्रवेश भी राजद के माध्यम से ही हुआ।

पहली बार 2000 में वे खगड़िया जिला के परबत्ता से राजद विधायक बने। दूसरी बार इसी विधानसभा क्षेत्र से वे राजद के ही विधायक बने।

सम्राट राबड़ी देवी की कैबिनेट में ही पहली बार मंत्री बने थे।

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