चारा घोटाला: सजा के बाद पार्टी को जेल से रिमोट कंट्रोल करेंगे लालू, फ्रंट संभालेंगे तेजस्वी
चारा घोटाला के एक मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सजा के बाद राजद पर उनकी पकड़ का क्या होगा? क्या होेगा तेजस्वी-तेजप्रताप का भविष्य? जानिए।
By Amit AlokEdited By: Updated: Sat, 06 Jan 2018 11:06 PM (IST)
पटना [अमित आलोक]। चारा घोटाला के एक मामले में शनिवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल कारावास की सजा मिली। तीन साल से अधिक की सजा मिलने के कारण अब उन्हें हाईकोर्ट में जाना पड़ेगा। इससे लालू को अभी कुछ समय तक जेल में ही रहना पड़ेगा। लालू अगर लंबे समय तक जेल में रहे तो बिहार की राजनीति में इसके गहरे परिणाम होंगे। जेल से रिमोट कंट्रोल कर वे पार्टी चलाएंगे और फ्रंट उनके बेटे तेजस्वी यादव संभालेंगे। इसका असर पार्टी पर भी पड़ सकता है।
तेजस्वी को घोषित किया उत्तराधिकारी
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आज रांची की विशेष सीबीआइ अदालत ने साढ़े तीन साल कारावास की सजा दी। पटना हाईकोर्ट के वरीय वकील वाइवी गिरी के अनुसार यह सजा तीन साल से अधिक की है, इसलिए लालू को फिलहाल बेल नहीं मिलगी। इसका सीधा अर्थ यह है कि उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है। ऐसे में वे फिलहाल जेल में ही रहेंगे। तब तक राजद की कमान उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव के हाथों में रहेगी, जिन्हें वे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर चुके हैं।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आज रांची की विशेष सीबीआइ अदालत ने साढ़े तीन साल कारावास की सजा दी। पटना हाईकोर्ट के वरीय वकील वाइवी गिरी के अनुसार यह सजा तीन साल से अधिक की है, इसलिए लालू को फिलहाल बेल नहीं मिलगी। इसका सीधा अर्थ यह है कि उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है। ऐसे में वे फिलहाल जेल में ही रहेंगे। तब तक राजद की कमान उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव के हाथों में रहेगी, जिन्हें वे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर चुके हैं।
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राजद में फूट सकते विरोध के सुर
सवाल यह है कि अगर लालू लंबे समय तक जेल में रह गए तो क्या होगा? जहां तक राजद की बात है, पार्टी में लालू प्रसाद यादव की हैसियत 'वन मैन शो' वाली है। पार्टी उनके आगे-पीछे है। जेल जाने की स्थिति में भी वे सुप्रीमो बने ही रहेंगे। पार्टी को वे जेल से ही रिमोट कंट्रोल करेंगे। लेकिन, फ्रंट पर पार्टी को कोई पुराना बड़ा चेहरा नहीं रहेगा। लालू की अनुपस्थिति में तेजस्वी उत्तराधिकारी के रूप में सामने रहेंगे। इससे असंतोष के सुर फूट सकते हैं।
रघुवंश बोले, पार्टी एकजुट
राजद में फूट सकते विरोध के सुर
सवाल यह है कि अगर लालू लंबे समय तक जेल में रह गए तो क्या होगा? जहां तक राजद की बात है, पार्टी में लालू प्रसाद यादव की हैसियत 'वन मैन शो' वाली है। पार्टी उनके आगे-पीछे है। जेल जाने की स्थिति में भी वे सुप्रीमो बने ही रहेंगे। पार्टी को वे जेल से ही रिमोट कंट्रोल करेंगे। लेकिन, फ्रंट पर पार्टी को कोई पुराना बड़ा चेहरा नहीं रहेगा। लालू की अनुपस्थिति में तेजस्वी उत्तराधिकारी के रूप में सामने रहेंगे। इससे असंतोष के सुर फूट सकते हैं।
रघुवंश बोले, पार्टी एकजुट
हालांकि, पार्टी नेता इससे इन्कार करते हैं। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह तेजस्वी के नेतृत्व में पार्टी को एकजुट बताते हैं। पार्टी के वरीय नेता शिवानंद तिवारी तथा बिहार प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे पार्टी में किसी दरार से इन्कार करते हैं। लेकिन, ये बयान लालू की सजा पर फैसला के पहले के हैं। लालू के लंबे समय के लिए जेल जाने के बाद क्या होगा, यह देखना शेष है।राजद की बैठक पहली परीक्षा शनिवार को लालू के जेल जाने के बाद आगे की रणनीति बनाने के लिए राजद की महत्वपूर्ण बैठक हुई। लालू की अनुपस्थिति में पार्टी की यह बैठक तेजस्वी यादव के नेतृत्व में हुई। ऐसा पहली बार हुआ है कि राजद की कोई बड़ी बैठक लालू के बगैर हुई। बैठक में पार्टी तेजस्वी के नेतृत्व में एकजुट दिख रही है। लेकिन, लालू की उपस्थिति में ऐसा आगे भी भी होगा, इसपर फिलहाल संशय बरकरार है।शनिवार की बैठक में राजद नेताओं का रूख बहुत कुछ की ओर इशारा कर रहा है। पहली बार लालू के उत्तराधिकारी व विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पिता लालू प्रसाद यादव की गैर मौजूदगी में पार्टी की बैठक की। लालू की सजा के तुरंत बाद दिख रही एकजुटता के बावजूद आगे बड़े नेताओं पर नियंत्रण लालू के घोषित उत्तराधिकारी तेजस्वी के लिए आसान नहीं होगा।आसान नहीं होगा बड़ नेताओं पर नियंत्रण
समय-समय पर रघुवंश प्रसाद जैसे नेता पार्टी लाइन से हटकर बयान देते रहे हैं। उनपर नियंत्रण्ा करने में लालू तो कामयाब रहे थे, लेकिन उनके बेटे ऐसा कर पाएंगे, इसपर संदेह है। संभव है, पार्टी इन बयानों को आंतरिक लोकतंत्र या निजी राय बता पल्ला झाड़ ले, लेकिन, इनके दूरगामी परिणाम पार्टी के लिए प्रतिकूल होंगे।जदयू का दावा: राजद में परिवारवाद से असंतोष
हालांकि, जदयू प्रवक्ता व विधान पार्षद नीरज कुमार पार्टी नेताओं की फिलहाल की चुप्पी पर कहते हैं कि राजनीति को व्यापार बना चुके लालू की पार्टी के नेताओं की जमीर मरी हुई है। रघुवंश प्रसाद, जगतानंद सिंह व रामचंद्र पूर्वे आदि ने भ्रष्टाचार के सामने समर्पण कर दिया है। लेकिन, पब्लिक में सब एक्सपोज हो चुका है। एक अन्य जदयू नेता ने कहा कि लालू को सजा के बाद अब राजद में दरार पड़ जाए तो आश्चर्य नहीं। राजद के असंतुष्ट नेता पार्टी में परिवारवाद थोपे जाने से आहत हैं। वे मौके की तलाश में हैं।
आशंकाओं को खारिज करते लालूलालू प्रसाद यादव पार्टी में परिवारवाद के आरोपों को पहले से खारिज करते रहे हैं। उनके अनुसार पार्टी में सबकी इच्छा थी कि तेजस्वी को आगे किया जाए। तेजस्वी ने अपनी योग्यता साबित कर दी है। लालू ने समय-समय पर विपक्ष की आशंका को खारिज किया है। लेकिन, उनके दावों की असली परीक्षा का समय तो अब आया है। आगे-आगे देखिए, होता है क्या।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।समय-समय पर रघुवंश प्रसाद जैसे नेता पार्टी लाइन से हटकर बयान देते रहे हैं। उनपर नियंत्रण्ा करने में लालू तो कामयाब रहे थे, लेकिन उनके बेटे ऐसा कर पाएंगे, इसपर संदेह है। संभव है, पार्टी इन बयानों को आंतरिक लोकतंत्र या निजी राय बता पल्ला झाड़ ले, लेकिन, इनके दूरगामी परिणाम पार्टी के लिए प्रतिकूल होंगे।जदयू का दावा: राजद में परिवारवाद से असंतोष
हालांकि, जदयू प्रवक्ता व विधान पार्षद नीरज कुमार पार्टी नेताओं की फिलहाल की चुप्पी पर कहते हैं कि राजनीति को व्यापार बना चुके लालू की पार्टी के नेताओं की जमीर मरी हुई है। रघुवंश प्रसाद, जगतानंद सिंह व रामचंद्र पूर्वे आदि ने भ्रष्टाचार के सामने समर्पण कर दिया है। लेकिन, पब्लिक में सब एक्सपोज हो चुका है। एक अन्य जदयू नेता ने कहा कि लालू को सजा के बाद अब राजद में दरार पड़ जाए तो आश्चर्य नहीं। राजद के असंतुष्ट नेता पार्टी में परिवारवाद थोपे जाने से आहत हैं। वे मौके की तलाश में हैं।
आशंकाओं को खारिज करते लालूलालू प्रसाद यादव पार्टी में परिवारवाद के आरोपों को पहले से खारिज करते रहे हैं। उनके अनुसार पार्टी में सबकी इच्छा थी कि तेजस्वी को आगे किया जाए। तेजस्वी ने अपनी योग्यता साबित कर दी है। लालू ने समय-समय पर विपक्ष की आशंका को खारिज किया है। लेकिन, उनके दावों की असली परीक्षा का समय तो अब आया है। आगे-आगे देखिए, होता है क्या।