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ये हम लोगों की बुनियाद में है... मनोज मित्रा की किताब 'कास्ट प्राइड' पर लालू की खरी-खरी

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर जातीय गणना को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार जातीय गणना को लेकर प्रतिबद्ध है। पटना में मनोज मित्रा की किताब कास्ट प्राइड के विमोचन के मौके पर लालू ने कहा कि सामाजिक न्याय हमारे बुनियाद में है। इसे लेकर हम अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ते रहेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sat, 26 Aug 2023 06:20 PM (IST)
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ये हम लोगों के बुनियाद में है... मनोज मित्रा की किताब 'कास्ट प्राइड' पर लालू की खरी-खरी
एएनआई, पटना। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर जातीय गणना को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार जातीय गणना को लेकर प्रतिबद्ध है और इसकी पूरी प्रक्रिया की जा रही है।

पटना में मनोज मित्रा की किताब 'कास्ट प्राइड' के विमोचन के मौके पर लालू ने कहा कि सामाजिक न्याय हमारे बुनियाद में है। इसे लेकर हम अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ते रहेंगे।

जातीय गणना को लेकर लालू यादव ने कहा कि बिहार सरकार की पहल को रोकने के लिए विपक्षी दल कोर्ट तक पहुंच गए। वे चाह रहे थे कि किसी तरह से रोक दिया जाए। इसे नहीं होने दिया जाए। लेकिन हम प्रतिबद्ध हैं और इसे हर हाल में पूरा करेंगे।

अगले साल भाजपा सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी: राजद

इधर, राजद ने कहा है कि आरएसएस और भाजपा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान को बदलने की तैयारी में है।

योजना है कि 2024 में फिर सत्ता में आएं और 2025 में संघ की स्थापना के सौ साल पूरा होने के पहले संविधान बदलकर मनुस्मृति वाली व्यवस्था लागू कर दें।

देश की जनता को इनकी साजिश का पता चल चुका है। इसलिए लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा सत्ता में से विदा हो जाएगी।

राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन, मृत्युंजय तिवारी एवं सारिका पासवान ने शनिवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संविधान बदलने के मिशन के तहत प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बिबेक देबराय का आलेख प्रकाशित हुआ था।

उसके बाद ही भाजपा और आरएसएस से जुड़ी इंटरनेट मीडिया पर संविधान को बदलने के पक्ष में माहौल बनाने का अभियान शुरू हो गया है। राजद ने कहा कि संविधान को बदलना आरएसएस के मुख्य एजेंडा में शामिल है।

संविधान के अन्तिम प्रारूप की स्वीकृति के तीन दिन बाद हीं 30 नवम्बर 1949 को प्रकाशित आरएसएस की एक पत्रिका ने भारतीय संविधान को औपनिवेशिक विरासत बताकर मनुवादी व्यवस्था लागू करने की वकालत की थी।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा अनेकों बार संविधान की समीक्षा करने की बात सार्वजनिक रूप से कही गई है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय भी संविधान समीक्षा की बात कही गई थी।

राजद ने कहा कि औपनिवेशिक विरासत बताकर भारतीय संविधान को अपमानित करने वाले बिबेक देबराय कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं। वे प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष हैं। उनका लेख प्रकाशित हुए दस दिन हो गए। अबतक केंद्र सरकार और भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

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