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Flashback: मुख्तार अंसारी की सुपारी लेने वाले लंबू ने 12 साल की उम्र में किया पहला मर्डर, तीन बार जेल से भागा

Flashback उत्‍तर प्रदेश के मऊ से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का पूरे पूर्वांचल में खौफ है लेकिन बिहार के लंबू शर्मा ने छह साल पहले उन्‍हें मारने की सुपारी ले ली थी। लंबू ने केवल 12 साल की उम्र में पहला मर्डर कर अपराध की दुनिया में कदम रखा।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Fri, 09 Apr 2021 05:51 PM (IST)
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उत्‍तर प्रदेश के विधायक मुख्तार अंसारी और उनकी हत्या की सुपारी लेने वाला लंबू शर्मा। फाइल फोटो
पटना, ऑनलाइन डेस्कUP Mau MLA Mukhtar Ansari news: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिला अंतर्गत मऊ विधानसभा क्षेत्र से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का खौफ पूरे पूर्वांचल में दिखता है। बिहार के पुराने शाहाबाद जिले के क्षेत्र में भी मुख्‍तार का असर है, लेकिन इसी इलाके से करीब 25 साल के एक लड़के ने मुख्‍तार अंसारी की हत्‍या करने की सुपारी ले ली थी। वह भी तब जब मुख्‍तार जेल में थे। साजिश यह थी कि मुख्‍तार को जेल से कोर्ट ले जाते वक्‍त बम धमाके में मार देना है। बम बनाने में एक्‍सपर्ट लंबू शर्मा ने विधायक की हत्‍या करने की सुपारी पूरे छह करोड़ में ली थी। इसमें करीब 50 लाख रुपए एडवांस मिलने थे। लंबू कितना खतरनाक अ‍पराधी है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि उसने केवल 12 साल की उम्र में ही पहला मर्डर किया था। अब तक वह तीन बार जेल से भाग चुका है। भोजपुर जिले की आरा सिविल कोर्ट उसे फांसी की सजा सुना चुकी है।

मुख्‍तार को मारने के लिए 2015 में हुआ जेल से फरार

वर्ष 2015 में बिहार के भोजपुर जिले के पीरो के रहने वाले लंबू शर्मा उर्फ सच्चिदानंद शर्मा ने मुख्तार को मारने की सुपारी ले ली थी। इसी खतरनाक मकसद को पूरा करने के लिए बिहार का मोस्ट वांटेड बदमाश सच्चिदानंद शर्मा उर्फ लंबू शर्मा आरा जेल से पेशी के लिए कोर्ट में लाए जाने के बाद फरार हो गया था। हालांकि, यह गलती बाद में उसे काफी महंगी पड़ी। कुछ महीने बाद ही उसे दिल्ली और बिहार पुलिस की संयुक्त टीम ने धर दबोचा। इस मामले में लंबू को फांसी की सजा हो चुकी है। उसके खिलाफ कई थानों में कई बड़े मामले दर्ज हैं। बिहार पुलिस को उस पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित करना पड़ा था।

गर्ल फ्रेंड के लिए किया था पहला मर्डर

लंबू ने अपने जीवन का पहला मर्डर केवल 12 साल की उम्र में किया था। मूल रूप से भोजपुर जिले के पीरो का रहने वाला लंबू बचपन में एक लड़की से प्यार करता था। उसी लड़की को एक और शख्स भी चाहता था, जिसका लंबू ने खून कर दिया। तब उसे सजा तो हुई, लेकिन कम उम्र होने के कारण उसे बाल सुधार गृह में रखा गया। कुछ ही महीने बाद लंबू वहां से फरार हो गया। इसके कुछ महीनों बाद पकड़ा गया लंबू दूसरी बार भी न्यायिक हिरासत से भागने में कामयाब रहा। हालांकि, तब तक वह बेहद शातिर अपराधी बन गया था। जेल में बंद एक नक्सली से उसने बम बनाना भी सीख लिया था। इसका इस्तेमाल उसने जेल से भागने में किया।

गर्लफ्रेंड को धोखे से बनाया मानव बम

तीसरी बार न्यायिक हिरासत से फरार होने के लिए उसने नगीना नाम की एक महिला का इस्तेमाल मानव बम के रूप में किया। हालांकि, इस मामले में नगीना को यह कह कर धोखे में रखा गया कि उसके झोले में रखी चीज एक कैमरा है, जिसका बटन दबाते ही लंबू की तस्वीर कैमरे में कैद हो जाएगी। यही महिला आरा सिविल कोर्ट में बम लेकर पहुंची और लंबू के पास पहुंचते ही उसका स्वीच दबा दिया। इसी के साथ बम धमाका हुआ और महिला के साथ ही एक पुलिस वाले की जान चली गई। मौके का फायदा उठाकर लंबू और एक अन्य अपराधी वहां से फरार हो गया। बाद में दिल्ली और बिहार पुलिस संयुक्त टीम ने उसे दिल्ली से पकड़ा। दिल्ली में गिरफ्तार किए जाने के दौरान उसने पुलिस को बताया कि वह यूपी के विधायक मुख्तार अंसारी को मारने के लिए जेल से फरार हुआ था।

मुश्किल में पड़ गए थे विधायक सुनील पांडे और बृजेश सिंह

बिहार के बाहुबली नेता और तब भोजपुर जिले के पीरो विधानसभा क्षेत्र से जदयू के विधायक रहे सुनील पांडे, यूपी के बाहुबली बृजेश सिंह और खुद मुख्तार अंसारी दिल्ली पुलिस के समक्ष लंबू शर्मा के दिए बयान से मुश्किल पड़ गए थे। जदयू के विधायक को तो जेल तक जाना पड़ा था। हालांकि, उन्हें हाईकोर्ट से जल्द ही जमानत मिल गई और बाद में आरा सिविल कोर्ट ने उन्हें मामले से बरी ही कर दिया। बृजेश सिंह के खिलाफ इस मामले में पुलिस चार्जशीट नहीं दाखिल कर सकी थी, वही मुख्तार अंसारी के खिलाफ पुलिस को कोई सबूत ही नहीं मिला।

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वर्ष 2019 में आरा सिविल कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा

आरा कोर्ट परिसर से फरार होने के मामले में लंबू के अलावा अन्य कई अपराधियों को भी सजा सुनाई जा चुकी है। आरा सिविल कोर्ट ने लंबू के खतरनाक रिकॉर्ड को देखते हुए उसे फांसी की सजा सुनाई है। जबकि, इस मामले के छह और आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। आरा सिविल कोर्ट ने यह फैसला वर्ष 2019 में सुनाया था, जिसके खिलाफ अभियुक्तों ने अपील कर रखी है। इनमें मुख्तार अंसारी का करीबी रहा चांद मियां भी शामिल है।

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