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BRA Bihar University में बड़े पैमाने पर पैसों की धांधली का खुलासा, FIR दर्ज कराने के आदेश

BRA Bihar University Money Scam शिक्षा विभाग की ओर से बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की करायी गई जांच में करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है। दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की नियुक्ति में भी गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ है। इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने वित्तीय अनियमितता के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया है।

By Dina Nath SahaniEdited By: Prateek JainUpdated: Wed, 27 Sep 2023 09:51 PM (IST)
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बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, पटना: शिक्षा विभाग की ओर से बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की करायी गई जांच में करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है।

दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की नियुक्ति में भी गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ है। इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने वित्तीय अनियमितता के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया है।

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के वित्तीय अभिलेखों का अंकेक्षण

शिक्षा विभाग ने उच्च शिक्षा निदेशालय के वेतन सत्यापन कोषांग में प्रतिनियुक्त वित्त विभाग के अंकेक्षकों से बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के वित्तीय अभिलेखों का अंकेक्षण कराया है।

अंकेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, मेसर्स दिशा एंटरप्राइजेज से लगभग 38 लाख रुपये के स्टेशनरी का सामान बिना निविदा प्रक्रिया किया गया, जो बिहार वित्तीय नियमावली, 2005 के नियम 131-ज का उल्लंघन है।

रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया है कि गोपनीय प्रिटिंग प्रेस से बिना निविदा एवं बिना एकरारनामा के प्रश्नपत्रों की छपाई के बदले 2017 से 2018 तक कुल रुपये लगभग 58.62 लाख का भुगतान किया गया।

इस पर क्रय समिति का अनुमोदन नहीं है तथा वर्ष 2017-2020 में किये गये व्यय हेतु एकरारनामा लगभग तीन वर्षों बाद नौ अप्रैल 2021 को किया गया है। यह बिहार वित्तीय नियम 131-ज के विरुद्ध है।

इसी प्रकार एम. एस. समता सिक्युरिटी एंड इंटेलीजेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से 2021-2022 एवं 2022-23 में सुरक्षा संबंधी सेवा प्राप्त करने हेतु लगभग 19 लाख रुपये का भुगतान किया गया, परन्तु सेवा लेने से संबंधित संचिका उपलब्ध नहीं कराई गई, जिससे गहरा शक होता है कि सेवा नियमानुकूल प्राप्त नहीं की गई।

बिना निबंधित फर्म से सामग्री की खरीद

रिपोर्ट के मुताबिक, टेबुलेशन डायरेक्टर (संस्कृत विभाग) डॉ. मनोज कुमार द्वारा लगभग 53.41 लाख रुपये अग्रिम प्राप्त किये गये थे, जिसके विरुद्ध उनके द्वारा मात्र लगभग 10.97 लाख रुपये का ही अभिश्रव दिया गया।

इससे स्पष्ट नहीं हुआ कि सभी राशि का समायोजन हुआ है या नहीं। इससे विश्वविद्यालय के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर शक उत्पन्न होता है। राशि का दुरुपयोग हुआ हो सकता है।

रिपोर्ट में यह तथ्य भी उजागर हुआ है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 के अभिश्रवों के नमूना जांच से स्पष्ट हुआ कि विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 6.53 लाख की सामग्री का क्रय ऐसे दुकानदार-फर्म से किया गया, जो निबंधित नहीं है एवं उनके द्वारा संभवतः सेवा कर जमा नहीं किया जाता है यानी वाणिज्य करों का भुगतान नहीं करने का मामला बनता है।

दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की नियुक्ति पर सवाल

रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्वविद्यालय द्वारा तीन तरह के दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को रखा गया है, जिन्हें 19,900 रुपये, नियत वेतन 10,200 रुपये एवं श्रम विभाग द्वारा निर्धारित प्रतिदिन के आधार पर मानदेय दिया जाता है।

ऐसे कर्मियों की नियुक्ति किस आधार पर की गयी है, के संबंध में मांगे जाने पर संचिका-अभिलेख अंकेक्षक दल को उपलब्ध नहीं कराये गये। कितने दैनिक वेतनभोगी कर्मी कार्यरत हैं, का ब्योरा भी नहीं दिया गया। इससे नियुक्ति की प्रक्रिया पर गहरा शक उत्पन्न होता है।

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