कोरोना की तरह क्या डेंगू होने के बाद भी बनती है एंटीबाडी? जानें दोबारा मच्छर का डंक कितना है खतरनाक
डेंगू वायरस से सुरक्षा देने वाली एंटीबाडी बन चुकी है और अब वे दोबारा इसकी चपेट में नहीं आएंगे। डाक्टर लोगों को इस भ्रम में नहीं रहने की सलाह दे रहे हैं। जानें दोबारा डेंगू होना कितना खतरनाक है।
By Jagran NewsEdited By: Akshay PandeyUpdated: Mon, 10 Oct 2022 10:02 PM (IST)
जागरण संवाददाता, पटना : राजधानी में इस वर्ष जिन लोगों को डेंगू हो रहा है, उनके घर के अन्य लोग भी दो से तीन दिन में इसकी चपेट में आ रहे हैं। डेंगू की चपेट में आने के बाद अब वे फिर लापरवाह हो गए हैं। इसका कारण उनका यह मानना है कि अब उनके शरीर में डेंगू वायरस से सुरक्षा देने वाली एंटीबाडी बन चुकी है और अब वे दोबारा इसकी चपेट में नहीं आएंगे। डाक्टर, लोगों को इस भ्रम में नहीं रहने की सलाह दे रहे हैं। डाक्टरों के अनुसार यदि दोबारा डेंगू होता है तो पीड़ित में ज्यादा खतरनाक लक्षण उभर सकते हैं। हाल में डेंगू मुक्त हुए लोगों के लिए यह ज्यादा जरूरी है कि वे मच्छरों के संपर्क में आने से बचें और घर के आसपास डेंगूवाहक मादा एडीज मच्छर के लार्वा को नहीं पनपने दें। ये बातें पीएमसीएच में मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सह डेंगू वार्ड के डाक्टर डा. पूर्णानंद झा ने कहीं।
- - डेंगू की चपेट में दोबारा आने पर ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं लक्षण
- - डेंगू वायरस के होते चार स्ट्रेन, अभी सीरो 1 के कारण रोगियों में दिख रहे हल्के लक्षण
- - हल्के स्ट्रेन के विरुद्ध एंटीबाडी बनने से डेन सीरो 2, 3 या 4 होने की बढ़ जाती आशंका
एंटीबाडी में टकराव से खतनराक स्ट्रेन की आशंका
डा. पूर्णानंद झा ने बताया कि इस वर्ष रोगियों की संख्या भले ही अधिक है लेकिन अधिकतर राेगियों में लक्षण हल्के हैं। लोग चार से पांच दिन में स्वस्थ हो रहे हैं। कुछ ही रोगियों में स्वस्थ होने के बाद अधिक कमजोरी आदि की शिकायत हो रही है। लेकिन एक ही मौसम में दोबारा डेंगू होने पर हल्के स्ट्रेन से शरीर में बनी एंटीबाडी और डेंगूवाहक मच्छर के काटने से विकसित एंटीबाडी में टकराव होता है। ऐसे में रोगी के डेंगू के सीरो 2, 3 या 4 से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है। ये अपेक्षाकृत अधिक खतरनाक होते हैं और रोगी को खतरनाक हैमरेजिक डेंगू या शाक सिंड्रोम होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में बेहतर होगा कि सभी लोग पूरी कोशिश करें कि घर के आसपास लार्वा नहीं पनपने पाएं और वयस्क मच्छर घर में प्रवेश नहीं कर सकें।
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