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शराबबंदी: बिहार सरकार की तीसरी सर्वे रिपोर्ट जारी, 99 प्रतिशत महिलाएं और 92 प्रतिशत पुरुष इसके पक्ष में

Bihar Liquor Ban Survey Report शराबबंदी कानून को लेकर भले ही विपक्ष सवाल उठाए लेकिन हकीकत यह है कि राज्य की 99 प्रतिशत महिला आबादी और 92 प्रतिशत पुरूष आबादी शराबबंदी के पक्ष में है। अब तक 1.82 करोड़ यानी करीब 96 प्रतिशत लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है।

By Sunil RajEdited By: Prateek JainUpdated: Tue, 21 Feb 2023 11:52 PM (IST)
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राज्य की 99 प्रतिशत महिला आबादी और 92 प्रतिशत पुरूष आबादी शराबबंदी के पक्ष में है।
पटना, राज्य ब्यूरो: शराबबंदी कानून को लेकर भले ही विपक्ष सवाल उठाए, लेकिन हकीकत यह है कि राज्य की 99 प्रतिशत महिला आबादी और 92 प्रतिशत पुरूष आबादी शराबबंदी के पक्ष में है।

इतना ही नहीं बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 लागू होने के बाद से अब तक 1.82 करोड़ यानी करीब 96 प्रतिशत लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है।

संयुक्‍त रूप से किया गया सर्वे

यह नतीजे मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा शराबबंदी का आम लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव के आंकलन के लिए कराए गए सर्वे में निकल कर आए हैं।

यह सर्वे बिहार रुरल लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जीविका), चाणक्य विधि विश्वविद्यालय और पंचायती राज ने मिलकर किया है। मंगलवार को मद्य निषेध विभाग के आयुक्त बी. कार्तिकेय धनजी, चाणक्य विधि विश्वविद्यालय के डीन एसपी सिंह और जीविका समूह के कार्यपालक निदेशक राहुल कुमार ने संयुक्त रूप से सर्वे रिपोर्ट जारी की।

10 लाख से अधिक लोगों से पूछे गए सवाल

राहुल कुमार ने बताया कि सर्वेक्षण बिहार के 38 जिले और 534 प्रखंडों के अधिकांश गांवों में किया गया। सर्वे के काम में जीविका समूह के 1.15 लाख लोगों को लगाया गया था।

इसके पहले 10 हजार महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया गया और इन्होंने मद्य निषेध उत्पाद विभाग द्वारा तैयार प्रश्नों के सेट के आधार पर 10.22 लाख से अधिक लोगों से सवाल पूछे गए। सभी जवाब इस काम के लिए बनाए गए एप पर डाले गए।

सर्वे रिपोर्ट का चाणक्य विधि वि. ने विश्लेषण किया, जिसमें लोगों से पूछे गए सवालों से मिले जवाबों के विश्लेषण में पाया गया कि 2016 के पहले करीब 1.82 करोड़ लोगों ने शराब का सेवन छोड़ दिया है।

अब तक हो चुके हैं दो सर्वे, यह तीसरी रिपोर्ट

बिहार में शराबबंदी का आम जन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है इसकी जानकारी के लिए अब तक दो सर्वे हो चुके हैं। 2017 में आद्री और जगजीवन राम शोध संस्थान ने सर्वे किया था।

2022 में चाणक्य राष्ट्रीय विधि वि. ने एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान के शोध पदाधिकारियों के सहयोग से चार हजार लोगों पर सैंपल सर्वे हुआ था। अब सरकार ने तीसरा सर्वे जारी किया है।

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