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दूसरे चरण में NDA के खिलाफ आरजेडी-कांग्रेस मिलकर खेलेगी 50-50 मैच! PM Modi का चलेगा विजय रथ या Lalu मारेंगे बाजी?

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। पहले चरण के चुनाव में बिहार की चार सीटों पर मतदान को लेकर सभी दल अब कमोबेश पूरी तरह से तैयार हैं। दोनों गठबंधन का ध्यान अब दूसरे चरण की लड़ाई पर है। बिहार में दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव में बांका पूर्णिया भागलपुर और कटिहार और किशनगंज सीट पर मतदान होना है।

By Sunil Raj Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 21 Apr 2024 07:19 PM (IST)
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पांच सीट पर जदयू के सामने तीन सीट पर कांग्रेस तो दो पर राजद उम्मीदवार होंगे। (फाइल फोटो)
सुनील राज, पटना। Lok Sabha Election 2024 । बिहार में दूसरे चरण में जिन पांच सीटों पर चुनाव होना है उसमें बांका, पूर्णिया, भागलपुर और कटिहार सीटों पर 2019 का चुनाव जदयू ने जीता था। जबकि किशनगंज की एक मात्र सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।

दूसरे चरण के इस चुनाव में पांच सीटों पर एनडीए की सहयोगी जदयू के उम्मीदवार मैदान में होंगे। जबकि महागठबंधन की ओर से तीन सीट कटिहार, किशनगंज और भागलपुर में एनडीए के सामने कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे तो दो सीट बांका और पूर्णिया में राजद जदयू को टक्कर देगा। महागठबंधन के इन दो प्रमुख दलों पर आधी-आधी लड़ाई का जिम्मा होगा।

पूर्णिया सीट पर कब और कौन जीता?

दूसरे चरण की इन पांच सीटों की बात की जाए तो पूर्णिया संसदीय सीट 2014 और 2019 से जदयू के कब्जे में रही है। इस सीट पर 2009 और 2004 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। जबकि 1999 के लोकसभा चुनाव में राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने स्वतंत्र रूप से जीत दर्ज की थी।

राष्ट्रीय जनता दल ने पूर्णिया संसदीय सीट पर 1989 में कब्जा किया था। तब पार्टी के वरिष्ठ नेता मो. तस्लीमुद्दीन ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1991 और 1996 में यह सीट पप्पू यादव के कब्जे में रही।

इस बार राजद ने यहां से बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया है। बीमा का मुकाबला पूर्व विजेता संतोष कुशवाहा से होगा। लेकिन इन दोनों के बीच पप्पू यादव भी चुनाव मैदान में और निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं।

वह सीट जहां से मधु लिमये जैसे दिग्गज रहे सांसद

बांका संसदीय सीट वैसी सीट है, जहां से मधु लिमये, चंद्रशेखर सिंह और मनोरमा देवी चुनाव जीतती रही हैं। इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दिग्विजय सिंह और बाद में उनकी पत्नी पुतुल सिंह ने भी जीता।

2014 के लोकसभा चुनाव में राजद ने जयप्रकाश नारायण यादव को उम्मीदवारी दी और वे चुनाव जीतने में सफल भी रहे।

लेकिन, 2019 के चुनाव में जदयू उम्मीदवार गिरिधारी यादव ने जय प्रकाश को पराजित करते हुए सीट अपने नाम कर ली। इस बार बांका संसदीय सीट पर एक बार फिर राजद से जय प्रकाश और जदयू की ओर से फिर गिरिधारी यादव मैदान में हैं।

कांग्रेस की इस पारपंरिक सीट का क्या है इतिहास?

भागलपुर संसदीय सीट पर जदयू के अजय कुमार मंडल और कांग्रेस के बीच टक्कर होगी। 1980-84 तक भागलपुर कांग्रेस की पारंपरिक सीट हुआ करती थी।

लालू प्रसाद के बिहार की राजनीति में उदय के बाद 1989 से लेकर 1996 तक यह सीट जनता दल के पास रही। 2004 से लेकर 2009 के यहां भाजपा का कब्जा रहा।

लेकिन, 2014 के चुनाव में यह सीट राजद के पाले में आ गई। तब राजद के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल ने इस पर जीत दर्ज की थी। लेकिन 2019 का चुनाव जदयू ने जीता।

भागलपुर में कांग्रेस एक बार फिर अपनी खोई जमीन हासिल करने मैदान में है। कांग्रेस से अजीत शर्मा और जदयू से अजय कुमार मंडल के बीच यहां टक्कर होनी है।

किशनगंज और कटिहार का सियासी पेंच

किशनगंज और कटिहार क्षेत्र में एक सीट पिछले चुनाव जदयू ने जीती तो दूसरी सीट कांग्रेस ने। कटिहार सीट से दुलालचंद गोस्वामी मैदान में थे। जिनका मुकाबला कांग्रेस के तारिक अनवर से हुआ। तारिक पराजित हुए।

तारिक अनवर 1980, 1984, 1996 और 1998 तक जीत प्राप्त की इसके बाद यहां भाजपा आ गई। लेकिन 2014 में तारिक फिर जीते और भाजपा के निखिल चौधरी पराजित रहे। 2019 में दुलालचंद ने तारिक को पराजित कर जीत प्राप्त की।

इस सीट पर ये दोनों उम्मीदवार फिर आमने सामने हैं। दूसरी ओर किशनगंज संसदीय सीट 2009 से कांग्रेस के पास रही है।

दो बार सीट पर कांग्रेस के असरारूल हक ने जीत दर्ज की। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी की प्रचंड लहर में भी कांग्रेस अपनी यह सीट बचाने में सफल रही थी।

तब मो. जावेद ने जदयू उम्मीदवार मो. अशरफ को पराजित कर महागठबंधन को एक मात्र जीत दिलाई थी। इस चुनाव यहां जदयू के मुजाहिद आलम और कांग्रेस के मो. जावेद के बीच टकराव होगा।

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