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Bihar Lok Sabha Election : लोकसभा चुनाव के चौथे चरण की जंग में बिहार के 55 लड़ाके, दांव पर इन 7 दिग्गजों की साख

Bihar Lok Sabha Election 2024 बिहार में चौथे चरण के चुनावी रण की चर्चा जोरों पर है। कारण कि प्रदेश में दो चरण का मतदान हो चुका है। इनमें मतदान प्रतिशत बहुत उत्साहजनक नहीं रहा है। ऐसे में चौथे चरण के लिए अभी से राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। इस चरण में प्रदेश सरकार के मंत्री भी प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से मैदान में हैं।

By Raman Shukla Edited By: Yogesh Sahu Updated: Tue, 30 Apr 2024 08:59 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव के चौथे चरण की जंग में बिहार के 55 लड़ाके, दांव पर इन 7 दिग्गजों की साख
रमण शुक्ला, पटना। Bihar Lok Sabha Election 2024 : 18वीं लोकसभा के रण में जैसे-जैसे चुनाव का चक्र आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे चुनावी कहानी दिलचस्प मोड़ लेती जा रही है।

सोमवार (29 अप्रैल) को चौथे चरण (Fourth Phase) वाले पांच संसदीय क्षेत्रों में नाम वापसी की समय सीमा समाप्त होने के साथ ही रोचक दृश्य उभरकर कर सामने आया है।

पांचों लोकसभा सीट पर कुल मिलाकर 55 लड़ाके मैदान में हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में सात दिग्गजों की साख भी दांव पर है।

प्रतिष्ठा का प्रश्न बना ये चुनाव

इसमें बेगूसराय से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh), उजियारपुर से नित्यानंद राय (Nityanand Rai) के अलावा जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) के साथ ही चुनाव नहीं लड़ने के बावजूद नीतीश सरकार में ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वरी हजारी की प्रतिष्ठा फंसी है।

इसके पीछे वजह यह है कि चौधरी की बेटी शांभवी समस्तीपुर (सुरक्षित) सीट से चुनाव लड़ रही हैं। शांभवी लोजपा की प्रत्याशी हैं तो हजारी का बेटा सन्नी हजारी भी समस्तीपुर से ही कांग्रेस के टिकट पर चुनावी रण में है।

इसके अतिरिक्त राजद के दो वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री की साख भी दांव पर हैं। इसमें दरभंगा से पूर्व मंत्री ललित यादव एवं उजियारपुर से आलोक मेहता किस्मत आजमा रहे हैं।

आलोक के साथ अहम पक्ष यह है कि यह है कि उजियारपुर से दो हार के बाद भी देश के सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचने की कामना बरकार है। इसी उम्मीद से आलोक तीसरी बार जमात के वोट के बल पर उजियारपुर से मैदान में पसीना बहा रहे हैं।

किस संसदीय सीट पर कितने प्रत्याशी

पांच लोकसभा क्षेत्रों में कुल 55 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। इसमें दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में आठ, उजियारपुर में 13, समस्तीपुर संसदीय से 12, बेगूसराय में 10 एवं मुंगेर से 12 प्रत्याशी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इसमें सबसे कम प्रत्याशी दरभंगा में हैं।

सन्नी-शांभवी के कारण सबसे चर्चित सीट बनी समस्तीपुर

बिहार में समस्तीपुर अभी तक 1975 में पूर्व रेल मंत्री एलएन मिश्रा की हत्या एवं 1990 की प्रसिद्ध राम मंदिर रथ यात्रा के दौरान लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के लिए सुर्खियों में रहा है।

परंतु, अबकी बार लोकसभा चुनाव के कारण चर्चा में है। नीतीश सरकार के दो मंत्रियों की संतानें यहां चुनाव मैदान में हैं।

एक मंत्री की बेटी एनडीए गठबंधन की ओर से चिराग पासवान की पार्टी से चुनाव लड़ रही हैं, तो दूसरी ओर एक मंत्री का बेटा कांग्रेस ओर से चुनावी मैदान में है।

ऐसे में समस्तीपुर लोकसभा सीट की चुनावी कहानी दिलचस्प हो गई है। इसमें दुविधा मंत्री महेश्वर हजारी के सामने है कि वे किसके प्रचार में जाएंगे?

विरोधी खेमे से खड़े बेटे या राजग के उम्मीदवार के लिए। हालांकि, महेश्वर हजारी (Maheshwar Hazari) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए बेटे के लिए चुनाव प्रचार करने से स्वयं को किनारे कर लिया है।

परंतु, सन्नी के साथ अहम पक्ष यह है कि महेश्वर हजारी इस सीट से सांसद भी रह चुके हैं। सन्नी के दादा भी सांसद रह चुके हैं।

वहीं, राजग से चुनाव लड़ने वाली शांभवी (Shambhavi Choudhary) अंतरजातीय शादी से चर्चा में आई थीं। पूर्व आईपीएस एवं महावीर मंदिर न्यास के सचिव किशोर कुणाल के बेटे सायण कुणाल से हुई है।

दलित समुदाय से आने वालीं शांभवी के पति भूमिहार समाज से आते हैं। इस सीट पर भूमिहार समुदाय के मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं यही वजह है कि समस्तीपुर की लड़ाई चर्चा में है।

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